नमिता पूनम
संस्कृति शादी-बिहा से जुड़ल संस्कृति लागे! इके मुध रूप से कोइरी समाज कर अदमीन मने करेना. कोइरी समाज में डेगे-डेग, नेगे-नेग, नेग-दसतूर हय. शादी-बिहा से जुड़ल बहुत इसन नेग-नियम हय जेके खाली बर पख कर अदमीन मने करेना कनेया पख कर नय.
मुदा नेवता घुसेक इसन रिवाज लागे जेके बर आउर कनेया दुइयो पख कर अदमीन मने करेना. ई नियम के करे ले बर चाहे कनेया पख कर अदमीन मने के एक दिन पहिले मड़वा-छपरा गाड़ेक पड़ेला. बर चाहे कनेया कर आपन नजिका कर हित-परिबार नाना-नानी, मामा-मामी, मोसा-मोसी, फुफा-फुफू, दीदी-भाटू सउब झने बिहा से महीना-पंद्रहिंया दिन पहिले सउब कोई एक ठीन जुइम के, मिल-बतिया के कइसन आउर कोन नाच-बाजा लेगेक हय आउर कोन ठांव ठिन सउब कोई के एक ठीन झुमेक हय सेकर सलाह- मसोराहा करेना. आउर सउब कोई दिन ठांव ठिकाल दिने मड़वा राइत के चाउर-दाइल नोन-तेल, तियन-सालन लुगा-फाटा, सउब सर-सिधा साइज-गोइज के आपन तय करल नाच-बाजा, छोहाडी नाच,
पइका नाच, नचनी नाच, चाहे कोनवो पारंपरिक नाच-बाजा कर संगे सउब कोई टिकाल ठांव ठीन जुइम के ओहे ठीन से गोटा खोइर नाचते-ढेगते बरात तरी धूम-धाम से बमगोला,फटेका दागते-फोरते करते बर चाहे कनेया कर घर जायना. जब ई मन बर चाहे कनेया कर घर पहुंच जायना तो ई मन कर सोवागत बर चाहे कनेया पख कर आदमीन मने बहुत धूम धाम से सउब महिमान मन के परीछ के बेटा छउवा आउर बेटी छउवा मन कर गोड़ धोय के बेटी छउवा मन के तेल सेंदूर देय के के दूरा लंघूवाएना. आउर बजनिया मन भी आपन ढ़ाक-नगेरा, सहनाई, गीत आदि मन से सउब नेवतारी मन कर सोवागत करेना.
नेवता घुसेक वाला अदमीन मने रीझे-रंगे बजनिया मने के नेग में रूपिया दस रूपिया पांच रूपिया देवेना. फिन ई मन के नासता पानी करूवाल जायला. बाचल नेग नियम के बिहान करेना. जेकर पाया हय उ एकले भी नेवता घुइस सकेला. मुदा ईकर ले चट मंगनी आउर पट बिहा करले नय चली. मुध रूप से चट मंगनी आउर पट बिहा कर चलतेहे. बेरा सिरे ई संस्कृति विलुप्त होवेक कगार में है. काले कि आइज अदमीन मन के खायक ले नय, आपन रीति रिवाज के मनाएक ले नय, बस खाली कमाय ले समय हंय. आपन संस्कृति के नंवा पीढ़ी कर अदमीन मन एकदम नय अपनात हंय.
पढ़़-लिखल रूपिया वाला अदमीन मने सउब तो बड़का-बड़का होटल में बिहा करत हंय तो कहां से गोतिया नेवतेक, नेवता घुसेक, चुमावन, सराद करेक घीवडरी, घरी करेंक आदि नेग-नियम के कहां से करबैं. केऊ-केऊ नवा पीढ़ी अपनातो हंय तो मुदा बेस से नय ,जइसे-तइसे.दुनिया रूपिया कर पिछे पगलाय जाय हे. आधुनिकता कर दौर में सउब अदमीन देखावा कर फेरा में लागल हंय. नंवा पीढ़ी कर अदमीन मन के आपन पुरना संस्कृति के अपनाएक में बेकार लागेला. नंवा पीढ़ी पश्चिम संस्कृति से दिनों-दिन प्रभावित होते जाथैं. आउर ई मन आपन पुरना से पुरना संस्कृति के भुलाते जाथैं. मुदा ई मन के का पता हय आपन संस्कृति कर माइन आउर महातम का हय.
(नागपुरी भाषा विभाग, रांची विश्वविद्यालय)