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My Mati : खोरठा साहितेक सुरुज हला भुनेश्वर दत्त शर्मा

My Mati : खोरठा साहितेक इतिहासें भुनेश्वर दत्त शर्मा ‘व्याकुल’ एगो दगदगिया नाम हके. इनखरा खोरठा साहितेक टर्निंग पोइंट मानल जा हे. पहिल धांव कोनो खोरठा साहितें राष्ट्रीय चेतना, सामाज-सुधार आर जनवादी भावना जइसन नावां बिचार के ठांव मिलल हलइ.

By Prabhat Khabar News Desk | September 30, 2022 11:18 AM

My Mati : खोरठा साहितेक इतिहासें भुनेश्वर दत्त शर्मा ‘व्याकुल’ एगो दगदगिया नाम हके. इनखरा खोरठा साहितेक टर्निंग पोइंट मानल जा हे. पहिल धांव कोनो खोरठा साहितें राष्ट्रीय चेतना, सामाज-सुधार आर जनवादी भावना जइसन नावां बिचार के ठांव मिलल हलइ. इनखर रचनें जुग चेतना के झकझोरेक, हुरइठ-खोरइठ के जगवेक जोऽ-जुगुतेक जोरगर जिगिस्ता भेंटा हे. एकर पहिले खोरठा साहित भगति आर सिंगारेक खाम खेयाली भाव जगतें मगन हल. मकिन खोरठा साहित जगतें व्याकुल जीक उदय क्रांतिक रंफ से जगजगाइत एगो सुरुज लेखें भेल हल.

गुमनामिक गढ़ाञ बिदरल-हिगरल, लाखो लोकेक मांयकोरवा भासा खोरठा तोहरे करम-गुनें सही अरथे पहिल बइर नाम पाइल हल. तोहीं ऊ जुगांतकारी मानुस हला जे आपन रचनाक माइधम से एगो भासा रुपें खोरठा के देस असतरें परिचय करवाल हलइ. सुखद खोरठा साहित कुटीर नामक परकासन-संसथा बनाइ के खोरठा आंदोलनेक पहिल छेंव-नेव देल हला. भुनेश्वर दत्त शर्मा व्याकुल केर जनम 13 मार्च 1908 में महथाडीह नामेक गांव जिला-गिरिडीह में भेल हलइ आर निधन 17 सितंबर, 1984 के. बापेक नाम बलदेव उपाध्ययाय हलइन. व्याकुल जी जखन छव मइहनाक हला तखने इनखर बाबुजी दुनिया छोइड़ के चइल गेल हला. लालन-पालन मामु घार बिसुनगढ़ हजारीबाग में भेल हलइन. संबेदनसील भुनेश्वर दस-बरह बछरेक उमइरें सइनासी बइन के कासी चइल गेल हला.

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सइले इनखर संसथागत पढ़ाइ पांच कलासे तइक हवे पारल हलइन. मकिन आपन अध्ययन से हिंदी-उर्दू/फारसी भासा आर दुनिया-जहान के गिआन हासिल करल हला. तकर अलावे तोहें गीत-संगीतो के अभियास करल हला. व्याकुल जी बड़ी करांतिकारी बिचारेक बेगइत हला. उनखर रचना आर करम ई बात के साबित करे हे. इनखर उपर गांधी जीक गढ़िया परभाव परल हलइन. गांधी जीक हांक सेहीं ई 1925 के ई अंगरेजी सासन के खिलाप आंदोलन आर सामाजिक बदलाव के अभियानें कूदल हला आर तकर चलते जेहेलो गेल हला. 1930 में हजारीबाग जेहलें इनखर भेंट नावंइजका हिंदी साहितकार रामवृक्ष बेनीपुरी जी से भेल हलइन. बेनीपुरी जी तखन जेहेल से ही ‘कैदी’ नामेक एगो हांथलिखा पतरिका बहरवो हला. जेकर में ‘कवि व्याकुल’ नाम से इनखर पहिल कविता बहराइल हलइन.

जे रचनाक बड़ी चरचा भेल हलइ. एकर बाद प्रताप, वर्त्तमान, कर्मवीर, लोकमान्य, विश्वमित्र, हिदुस्तान, पंच जइसन बोड़-बोड़ पतर-पतरिका´ व्याकुल जीक रचना छपल लागल हलइ. बेसी रचना उर्दू में रहो हलइन. इनखर दमगर रचना से हिंदी-उर्दू जगतेक बोड़-बोड़ साहितकार परभावित भेल हला. ‘कैदी और कोकिला’ आर ‘पुष्प की अभिलाषा’ जइसन महान् कविताक कवि माखललाल चतुर्वेदी व्याकुल जीक रचनाक परोसाएं एक ठिनें लिखल हला -‘‘ ’व्याकुल’ उपनाम से उर्दू भाषा में लिखी गई भुनेश्वर दत्त शर्मा की राष्ट्रीय कविताएं सुनकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई. इस कवि में राष्ट्रीय भावना कूट-कूट कर भरी हुई हैं.’’ हजारीबागेक परसिध आजादी उलगुलानी आर पहिल सांसद रामनारायण सिंह व्याकुल जी के ‘राट्रीय कवि’ के मोखिक उपाधि देल हला.

देश प्रेम आर आजादिक तड़प से अछल-गदल उनखर कविता गुला खातिर व्याकुल जीक देसवासिक मांझें ढेइर जस मिलल हलइन.मकिन अंगरेजी हुकूमत के आइंखेक कांटा बइन गेल हला. 1943 ई ‘कलाम ए व्याकुल’ नामेक उनखर रचना किताप के जबत कइर जलाइ देल हलइ.

व्याकुल जी बिचारेक आइग भरल कविताक कवि के अलावे जोसीला बकता हला. बिचकुन गांधीवादी बिचारेक संग समाज सुधारऽको हला..उनखर काम से परभावित भइ के रामनारायण सिंह आजादिक आंदोलनेक साथी बनवल हला. रामगढ़ में 1940 भेल राष्ट्रीय कांग्रेस के महाधिवेशन के सफल आयोजनें व्याकुल जी अगुवाइ के आपन ढेइरमोहड़ी जिमिरजिद जोगदान करल हला.

व्याकुल जी गांधीवादी हला, बिचार आर करम दुइयो से. गांधी जीक बिचारेक अनुसार समाजें ऊंच-नीच, छुआ-छूत, सामाजिक कुरीति, जमींदारी सोसन, किसानेक दुरदसा आर असिक्छा जइसन से घरिक बनबनिया समइसा गुलइन के मेटवेक लेल जनजागरन के अभियान चलवल हला. जाइत-पाइंत के भेद के फाव बतवेक लेल खुद बाम्हन होइयो के गइर जाइतेक बिधवा जुवती से बीहा करल हला. ऊ बिधवा जुवती कांग्रेस के बड़का नेता आर बादें बिहार के पहिल मुख्यमंत्री बनेवाला बाबु श्रीकृष्ण सिंह केर परिवारेक बाल बिधवा हलिक.

आजादी आर समाजी उलगुलानेक जिमिरजिद सवांग आर ढेरमोहड़ी परतिभाक धनी व्याकुल जी बहुभासी साहितकार, मुइख रूप से कवि-गीतकार हला. अपान लिखल गीत के खुदे गाइके जनता के जगवो हला. इनखर दमगर कलम आपन मांय-कोरवा भासा खोरठा के अलावे हिंदी, उर्दू आर संथाली में चलो हलइन. इनखर लिखल-छपल ढेर कितापेक बनार मिले हे आर ढेर रचना पांडुलिपि अवस्थाहीं हेराइ सिराइ गेल हइ.

(असिस्टेंट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी डिपार्टमेंट ऑफ खोरठा, रांची यूनिवर्सिटी, रांची)

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