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My Mati: बांदना की पारंपरिक पूजा में मांझी का सम्मान

बांदना पर्व के पारंपरिक गोट पूजा में पुजारी पंडित की तरह मांझी को सम्मान मिलता है. बांदना पर्व की एक महत्वपूर्ण कड़ी गोट पूजा है. गांव के बाहर मैदान में स्थित गरु गोट में नाईया मांझी के द्वारा गोट पूजा संपन्न कराये जाने की प्राचीन प्रथा आज भी जीवंत है.

My Mati: बांदना पर्व के पारंपरिक गोट पूजा में पुजारी पंडित की तरह मांझी को सम्मान मिलता है. बांदना पर्व की एक महत्वपूर्ण कड़ी गोट पूजा है. गांव के बाहर मैदान में स्थित गरु गोट में नाईया मांझी के द्वारा गोट पूजा संपन्न कराये जाने की प्राचीन प्रथा आज भी जीवंत है. धनबाद जिला के तोपचांची प्रखंड अंतर्गत मानगो गांव इसका ज्वलंत उदाहरण है. मानगो कुड़मी महतो समुदाय का गांव है. यहां पर पावापुर गांव के रानवाटांड़ टोला निवासी भुवनेश्वर टुडु गांव के परंपरागत पूजा के पुजारी हैं. गांव की परंपरागत पुजारी को स्थानीय खोरठा भाषा में नाईया कहा जाता है. जिस तरह मंदिर के पुजारी का सम्मान जनक स्थान होता है, उसी तरह मानगो गांव के नाईया को मौजूदा समय में भी सम्मानजनक स्थान प्राप्त है. इस तरह क्षेत्र में अनेक गांव हैं, जहां पर संथाल ( मांझी) जनजाति के द्वारा गोट पूजा की परंपरा है.

बांदना पर्व की अमावस्या को मानगो गांव के गरु गोट मैदान में नाईया भुवनेश्वर टुडु स्वयं अपने हाथों से खीर का मिठाई तैयार कर पूजा-अर्चना करते हैं. गोट पूजा में गरु के मालिक एवं गांव के गणमान्य लोगों के अलावा गड़ाईत मितन तुरी आदि लोग उपस्थित रहते हैं. मानगो गांव का गोट पूजा क्षेत्र का ख्यातिप्राप्त पूजा है. इस पूजा का एक अनोखा रिवाज है, जिसे देखने के लिए गांव के अलावा अन्य गांव के भी लोग उपस्थित होते हैं. गोट पूजा में नाईया भुवनेश्वर टुडु एक देशी अंडा को गरु गोट मैदान में रखकर पूजा अर्चना करके गांव के बुढ़ा बाबा, बुढ़िमाञ, जाहिर बुढ़ा, जाहिर माञ आदि को स्मरण कर गांव एवं पशुधन की सुरक्षा के लिए आव्हान करता है. इसके बाद गांव की पूरे गरु गोट को उस अंडे से होकर पार किया जाता है । जिसका गरू अंडा को पैरों से रौंदकर फोड़ता है उसे कंधे के ऊपर सम्मान स्वरूप बैठाकर उसका घर गाजा-बाजा के साथ पहुंचाने की प्रथा रही है. घर पहुंचते ही घर मालकिन पैर धोकर उनका स्वागत करती हैं. इसके बाद नाईया सहित उपस्थित सभी ग्रामीणों को उनके घर में जलपान कराया जाता है. इन्हीं के घर से बांदना पर्व का नृत्य-गीत का दौर प्रारंभ होता है.

मानगो गांव में नाईया को पूजा अर्चना के एवज में एक एकड़ खेती जमीन प्रदान किया गया है. यह जमीन पहले इनके पूर्वज को मौखिक रूप से प्रदान किया गया था. सर्वे सेटलमेंट में उनके नाम पर खतियान बना और यह जमीन नाईया के नाम पर नामित हुआ. जमीन के अलावा गांव के प्रत्येक पूजा में प्रतिघर से नाईया को दक्षिणास्वरूप स्वैच्छिक नगद राशि एवं चावल प्रदान किया जाता है.

बांदना पर्व की जाहली में प्रति चुल्हा सोलह आना जाहलिया दल के अलावा नाईया को अलग से नगद राशि व चावल प्रदान किया जाता है. नाईया जाहलिया दल के साथ जाहली बुला में सम्मिलित रहता है. नाईया गोट पूजा के अलावा ग्राम पूजा, काली पूजा, जाहिरा पूजा, पाथरा पूजा आदि गांव की सोलह आना पूजा के अधिकारी हैं.सभी पूजा में नाईया को दान दिया जाता है. दानस्वरूप प्राप्त नकद राशि व चावल सह सम्मान नाईया को उनके घर पहुंचा दिया जाता है. नाईया के द्वारा अपने घर में ग्रामीणों का स्वागत व सत्कार किया जाता है.

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