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ranchi news : जिला स्कूल रांची में 10 दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेला शुरू, पहले दिन दो साहित्यकारों की तीन पुस्तकों का लोकार्पण

ranchi news : सांसद डॉ महुआ माजी ने कहा कि किताबें किसी भी भाषा-संस्कृति के विकास में एक शस्त्र की तरह है. इससे लोगों को अतित, इतिहास से लेकर भविष्य के अवसरों की जानकारी मिलती है.

रांची. किताबें किसी भी भाषा-संस्कृति के विकास में एक शस्त्र की तरह है. इससे लोगों को अतित, इतिहास से लेकर भविष्य के अवसरों की जानकारी मिलती है. इतना ही नहीं परंपरा और साहित्य के विकास में किताबें मार्गदर्शिका का काम करती हैं. किताबें न हों, तो भाषा- संस्कृति लुप्त हो जायेंगी. ये बातें राज्यसभा सांसद डॉ महुआ माजी ने कहीं. वे जिला स्कूल मैदान में शुक्रवार को 10 दिवसीय राष्ट्रीय पुस्तक मेला के उद्घाटन सत्र में बोल रही थीं. उन्होंने कहा कि आदिवासियों की 32 जनजाति है, जिनमें नौ जनजातीय भाषा और पांच की ही लिपि है. यह किताबों के कारण ही संभव हो पाया. पुस्तक न होने पर साहित्य लुप्त हो जायेंगी. यह जल हीन काई की तरह होगी. उन्होंने बंगाली समुदाय का उदाहरण देते हुए लोगों को किताबों से प्रेम करने के लिए प्रेरित किया. बताया कि बंग समुदाय किताब खरीदने के लिए वार्षिक बजट तैयार करता है. घर में मिनी लाइब्रेरी तैयार हो जाती है, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी पढ़ने-लिखने की आदत विकसित करती है.

पुस्तक मेला का खाली परिसर विडंबना का विषय

विशिष्ट अतिथि विधायक सीपी सिंह ने पुस्तक मेला के खाली परिसर को देख दुख बयां किया. कहा कि आज मैदान परिसर में किसी सांस्कृतिक अनुष्ठान का आयोजन होता, तो सैकड़ों युवा जुट जाते. लेकिन आज के युवा किताबें नहीं पढ़ना चाहतें. किताबें केवल परीक्षा देने के लिए इस्तेमाल की जाती हैं. पुस्तक लिखना एक बड़ा तप है. इसके लिए ज्ञान का भंडारण करना होगा. इस अवसर पर मेला संयोजक चंद्र भूषण, डॉ वीणा श्रीवास्तव, डॉ जंग बहादुर पांडेय, अशोक बंका, वंदना टेटे, डॉ कुमकुम लता आदि उपस्थित थे.

तीन किताबों का हुआ लोकार्पण

पुस्तक मेला के पहले दिन लेखिका उर्मिला सिन्हा की पुस्तक ””””एक जोड़ी आंखें”””” व ””””यादों की पोटली”””” और अशोक बंका का कहानी संग्रह ””””सरहुल”””” का लोकार्पण हुआ. ये तीनों पुस्तकें मानवीय संवेदना के साथ स्थानीय संस्कृति को व्यक्त करती हैं. इसमें समाज के व्यवहार और परस्पर संबंध की बात साझा की गयी है. मेला संयोजक चंद्र भूषण ने बताया कि मेला के प्रत्येक दिन पुस्तक लोकार्पण और साहित्यिक चर्चा का आयोजन होगा. 18 जनवरी को प्रसिद्ध नाटककार अनीश अंकुर की पुस्तक का लोकार्पण होगा. वहीं, 19 जनवरी को राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश की किताबों पर संवाद होगा. इसके अलावा बच्चों के लिए कविता पाठ, कहानी लेखन, चित्रकला, गायन, नृत्य और फैंसी ड्रेस जैसी प्रतियोगिताएं होंगी.

हर विषय की पुस्तकें मौजूद

मेला में देशभर के कई प्रकाशकों ने स्टॉल लगाया है. इनमें पंचतंत्र से लेकर बिहार, बंगाल, ओडिशा के गजट, प्रेमचंद के कहानी संग्रह समेत हजारों लेखकों की साहित्य रचना उपलब्ध हैं. विद्यार्थियों के लिए पुस्तक मेला नि:शुल्क है. विद्यार्थी सोमवार से शुक्रवार तक दोपहर दो बजे तक आई कार्ड दिखाकर मेला का लुत्फ उठा सकते हैं. मेला में झारखंड झरोखा, राजपाल एंड संस, प्रकाशन संस्थान, समय प्रकाशन, यश प्रकाशन, लक्ष्मी प्रकाशन, नैय्यर बुक सर्विस, वर्मा बुक कंपनी, रोहित बुक कंपनी, विकल्प प्रकाशन, आर्यन बुक कंपनी, हिन्द युग्म, दिव्यांश प्रकाशन (लखनऊ), योगदा सत्संग सोसायटी ऑफ इंडिया, क्राउन पब्लिकेशन, गीता प्रेस, रामकृष्ण मिशन आश्रम (रांची), श्री कबीर ज्ञान प्रकाशन केंद्र (गिरिडीह), राज्य अभिलेखागार (पटना) के स्टॉल लगाये गये हैं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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