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रांची राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव: लेखक के रहस्यमय जीवन से पर्दा उठा, तो सब हो गये चकित, जानें पूरी कहानी

रांची के अड्रे हाउस में कल छोटानागपुर राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव़ में 'दो हजार पच्चीस' नाटक का मंचन किया गया. नाटक में लेखक का रहस्य तुर्की-ब-तुर्की संवाद के बीच खुलता है. इस नाटक की प्रस्तुति दिल्ली के बेला थियेटर द्वारा किया गया

रांची : लेखक के एक के बाद एक हिट उपन्यास पर गड़गड़ सूफी (जासूस) छानबीन शुरू करता है. एक दिन सूफी लेखक से मिलता है और कहता है : मुझे मालूम है कि आपने हत्या पर आधारित जितनी कथाएं लिखी हैं, वे आपने स्वयं की हैं. लेखक कुछ पल ठहरता है और सूफी के आरोप को स्वीकार लेता है.

और कहता है : हां, वे सब हत्याएं मैंने ही की है. इससे पहले कि जासूस कुछ हासिल करने के लिए अपनी शर्तें मनवाता, लेखक पिस्तौल के इशारे पर उसे बालकनी से गिरने के लिए विवश कर देता है और जासूस की मौत हो जाती है. इस दृश्य को रविवार को ऑड्रे हाउस में जीवंत किया गया.

मौका था नौवां छोटानागपुर राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव़ इसमें ‘दो हजार पच्चीस’ नाटक का मंचन किया गया. नाटक में लेखक का रहस्य तुर्की-ब-तुर्की संवाद के बीच खुलता है. सच और झूठ से उठता पर्दा दर्शकों को बांधे रखता है. दिल्ली के बेला थियेटर कारवां के कलाकारों ने लेखक पीयूष मिश्रा और निर्देशक अमर शाह के मार्गदर्शन पर नाटक की प्रस्तुति दी.

इससे पूर्व युवा नाट्य संगीत अकादमी की ओर से नाट्य महोत्सव का आगाज हुआ. मुख्य अतिथि डॉ महुआ माजी, डॉ स्वामी दिव्यानंद महाराज, पंकज सोनी, ऋषिकेश लाल ने महोत्सव को सफल बनाने की अपील की. महोत्सव के दूसरे नाटक का मंचन जमशेदपुर के नाटक दल झारखंड सांस्कृतिक मंच ने किया. इसके लेखक सुनील राज और निर्देशक शिवलाल सागर हैं. सोमवार को भी शाम छह बजे से ऑड्रे हाउस के मुक्ताकाश मंच पर दो नाटकों का मंचन होगा.

Posted By: Sameer Oraon

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