रांची : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) राज्य में बिना पर्यावरण स्वीकृति के बन रहे सभी भवनों का निर्माण रोकने का आदेश दिया है. जो भवन बन गये हैं, उनसे होनेवाले पर्यावरण क्षति के आकलन का निर्देश दिया है. यह शहरी तथा ग्रामीण दोनों इलाकों में लागू होगा. 20 हजार वर्गफीट से अधिक के सरकारी और गैर सरकारी निर्माण पर पर्यावरण क्षति के आकलन करने का प्रावधान है.
पर्यावरणविद् आरके सिंह ने दिल्ली एनजीटी में झारखंड के हाइकोर्ट, विधानसभा सहित कई भवनों का निर्माण बिना पर्यावरण स्वीकृति के कराने की शिकायत की थी. श्री सिंह ने इन दोनों भवनों के अतिरिक्त राज्य के निर्माणाधीन बड़े भवनों की सूची एनजीटी को सौंपी थी. एनजीटी ने नगर विकास विभाग को इन भवनों से होनेवाले पर्यावरण क्षति का आकलन कर क्षतिपूर्ति भुगतान का आदेश दिया है.
क्षतिपूर्ति का भुगतान निर्माण करने वाले विभाग, ठेकेदार, अधिकारी से वसूला जायेगा. इसके लिए एनजीटी ने तीन माह का समय दिया है. जिस प्रोजेक्ट के क्षतिपूर्ति का आकलन पहले हो चुका है, उसका भुगतान भी तीन माह के अंदर करने का निर्देश दिया गया है. एनजीटी ने इस मामले में संबंधित अधिकारियों पर भी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. राज्य प्रदूषण बोर्ड की भूमिका की भी जांच करने को कहा है.
एनजीटी ने इस मामले में छह माह में की गयी कार्रवाई की रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. एनजीटी में सुनवाई के दौरान कुल 55 प्रोजेक्ट के पर्यावरण स्वीकृति की जानकारी दी गयी. इसमें आइआइएम रांची का प्रोजेक्ट भी शामिल है. बताया गया कि शैक्षणिक संस्थानों को इसमें छूट दी गयी है.
शुक्रवार को आया नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल का आदेश, जुर्माने की राशि का जिक्र नहीं
एनजीटी ने दिया है आदेश, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आकलन के अनुसार भरना होगा दंड
पूर्व की रघुवर सरकार पर बिना पर्यावरण स्वीकृति के भवन बनवाने का आरोप, झामुमो हमलावर
1. जो भवन बन गये, उनकी क्षतिपूर्ति का आकलन कर भुगतान किया जाये
2. 20 हजार वर्गफीट से अधिक के निर्माण पर है क्षति आकलन का प्रावधान
फोकस प्वाइंट : मार्च 2020 तक हाइकोर्ट भवन के लिए करीब 81 करोड़ और विधानसभा भवन के लिए 49 करोड़ रुपये का आकलन पर्यावरण क्षति के लिए हुआ था. लेकिन यह राशि हर दिन बढ़ रही है और जिस दिन जुर्माने का भुगतान होगा यह राशि उसी दिन निर्धारित होगी.
पूर्व में हुआ है हाइकोर्ट व विस का आकलन : सिंह : प्रार्थी सह पर्यावरणविद् आरके सिंह ने बताया कि विधानसभा और हाइकोर्ट के निर्माण से हुए पर्यावरण क्षति का आकलन पूर्व में ही हो गया था. हाइकोर्ट के लिए मार्च 2020 तक करीब 81 करोड़ व विधानसभा के लिए करीब 49 करोड़ का आकलन किया गया था. क्षति की राशि हर दिन बढ़ती जायेगी. भुगतान भी तीन माह के अंदर करने का आदेश है.
पिछली सरकार ने पर्यावरण स्वीकृति के बिना भवनों का निर्माण कराया है. पर्यावरण के नुकसान व सामाजिक रूप से होनेवाली क्षति का पहले आकलन होना चाहिए था. सक्षम संस्था क्षति का आकलन करेगी. दोषियों से इसकी वसूली होगी.
– सुप्रीयो भट्टाचार्य, महासचिव, झामुमो
पर्यावरण संरक्षण के नियमों का उल्लंघन कर 20 हजार वर्ग फीट से ज्यादा के निर्माण कार्य में दंड निर्धारण का फाॅर्मूला है. सीपीसीबी इसी फॉर्मूले के तहत निर्धारण करता है. राज्य सरकार को उसे लागू कराना है.
– सरयू राय, निर्दलीय विधायक व पर्यावरणविद
एनजीटी के जजमेंट में कहीं भी जुर्माने की राशि का जिक्र नहीं है. सिर्फ सीपीसीबी द्वारा किये गये आकलन के आधार पर जुर्माना लेने की बात कही गयी है. राज्य सरकार ने इस मुद्दों को दमदार तरीके से नहीं रखा, जिसके कारण ऐसा आदेश आया है.
– प्रतुल शाहदेव, प्रवक्ता, भाजपा
Post by : Pritish Sahay