सौ साल का हुआ नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर, जानें क्यों और कैसे हुई थी इसकी शुरूआत
नामकुम स्थित इस लाह संस्थान की स्थापना 20 सितंबर 1924 को बाॅयोकेमिकल एंड एन्टोमोलॉजी लेबोरेट्री के रूप में हुई थी. यह संस्थान अगस्त 1925 से काम करने लगा.
रांची : नामकुम स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर (नया नाम) आज 100 साल का हो गया. संस्थान करीब 110 एकड़ में फैला हुआ है. वर्ष 1900 से पहले छोटानागपुर और आसपास के इलाकों में लाह जमा करने और इसका अवैज्ञानिक तरीके से उपयोग करने का काम ग्रामीण करते थे. इसकी उपयोगिता समझने के लिए तत्कालीन भारत सरकार (ब्रिटिश सरकार के अधीन) ने जांच कमेटी बनायी. इसमें एचएएफ लिंडसे और सीएम हार्ले शामिल थे.
कमेटी ने 1921 में अपनी रिपोर्ट में अनुशंसा की थी कि लाह के उपयोग के लिए अनुसंधान संस्थान हो. इसलिए नामकुम स्थित इस संस्थान की स्थापना 20 सितंबर 1924 को बाॅयोकेमिकल एंड एन्टोमोलॉजी लेबोरेट्री के रूप में हुई थी. यह संस्थान अगस्त 1925 से काम करने लगा. आज यह संस्थान देश में सबसे अधिक लाह उत्पादन करनेवाला संस्थान बन चुका है.
1930 में लाह की प्रायोगिक फैक्टरी शुरू हुई :
नामकुम स्थित इसी परिसर में 1930 में लाह की प्रायोगिक फैक्टरी (एक्सपेरिमेंटल) शुरू हुई. रॉयल कमीशन ऑफ एग्रीकल्चर (1927-28) ने लाह पर सेस लगाने का एक्ट लाया था. यह एक्ट 1930 में पास हुआ. ब्रिटिश सरकार का उद्देश्य लाह की खेती कराना, इससे उत्पाद तैयार करना तथा विपणन भी था. वर्ष 1931 में इंडियन लाह सेस कमेटी बनायी गयी.
इसी के आधार पर भारतीय लाह अनुसंधान संस्थान खोला गया. यहीं 1938 में बिजली से चलनेवाला लैब विकसित किया गया. इससे जुड़े दो फील्ड स्टेशन मध्य प्रदेश के दामोह और प बंगाल के झालदा में खोले गये. महाराष्ट्र के गोंदिया में 1958 में क्षेत्रीय प्रशिक्षण संस्थान खोला गया.
1961 में बना मुख्य भवन :
लाह का कारोबार बढ़ने के बाद भारत सरकार ने 1961 में संस्थान के मुख्य प्रशासनिक भवन का निर्माण कराया. भारत सरकार ने 1961 में भारतीय लाह सेस कमेटी को भंग कर दिया है. 1966 में यह संस्थान भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर), नयी दिल्ली के अधीन आ गया. उसके बाद से संस्थान आज भी इसी इंस्टीट्यूट की देखरेख में चल रहा है.
2007 में बदला गया नाम :
संस्थान के नाम के कारण इसके विस्तार में परेशानी हो रही थी. इस कारण आइसीएआर के बोर्ड ने अपनी 206 मीटिंग में इसका नाम बदल दिया. इस संस्थान का नाम 2007 में बदल कर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल रिजिंस एवं गम्स (आइआइएनआरजी) कर दिया गया था. भारत सरकार ने फिर इस संस्थान का नाम 27 सितंबर 2022 को बदलकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर कर दिया.
स्थापना दिवस समारोह आज राज्यपाल होंगे मुख्य अतिथि
संस्थान बुधवार को अपना 100 वां स्थापना दिवस मना रहा है. इसमें मुख्य अतिथि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, कृषि मंत्री बादल, आइसीएआर के सचिव डॉ हिमांशु पाठक, कृषि सचिव अबु बक्कर सिद्दीख होंगे. अतिथियों का स्वागत संस्थान के निदेशक डॉ अभिजीत करेंगे.