राष्ट्रीय लोक अदालत 2024: 10 करोड़ से अधिक की मुआवजा राशि का विवाद सुलझा, रांची में 86638 मामले निबटे
National Lok Adalat 2024: रांची सिविल कोर्ट में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत आयोजित की गयी. इसमें 10 करोड़ से अधिक की मुआवजा राशि का विवाद सुलझा. रांची में कुल 86,638 मामले निबटे.
National Lok Adalat 2024: रांची-रांची सिविल कोर्ट में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत लगायी गयी. इसमें 10 करोड़ से अधिक की मुआवजा राशि का विवाद सुलझा. कुल 86,638 मामलों का निबटारा किया गया. 50 लाख रुपए से अधिक की मुआवजा राशि वितरित की गयी. झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विद्युत रंजन सारंगी ने पीड़ितों के बीच मुआवजा राशि का वितरण किया.
86,638 मामलों का हुआ निबटारा
रांची सिविल कोर्ट में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में 19 पीड़ितों के बीच 50 लाख रुपए से अधिक की मुआवजा राशि वितरित की गयी. कुल 86,638 मामलों का निबटारा किया गया. 5,30,87,75,272 करोड़ रुपए की समझौता राशि की वसूली विभिन्न मामलों में की गयी. इसमें प्रीलिटिगेशन एवं लिटिगेशन के मामले शामिल हैं. न्यायिक दंडाधिकारियों के लिए 40 बेंच एवं कार्यपालक दंडाधिकारियों के लिए 20 बेंचों का गठन किया गया था.
राष्ट्रीय लोक अदालत का निरीक्षण करने पहुंचे रांची सिविल कोर्ट
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विद्युत रंजन सारंगी ने जय जगन्नाथ के साथ अपने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि रांची सिविल कोर्ट में आकर काफी अच्छा लगा. झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष और रांची सिविल कोर्ट के प्रधान न्यायायुक्त ने राष्ट्रीय लोक अदालत के लिए काफी मेहनत की. बार से मिले स्नेह से अभिभूत हूं. बार और बेंच परिवार एक ही परिवार है. मैंने वकालत से न्यायिक जीवन की शुरुआत की थी. रिटायर होने के बाद वापस वकालत करूंगा. लोक अदालत में वादी-प्रतिवादियों को कम समय में न्याय मिलता है. लोगों को समय पर न्याय मिलेगा, तभी न्यायिक व्यवस्था का सही इस्तेमाल माना जाएगा. लोक अदालत में वकीलों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि हाथों के पांचों अंगुलियां अलग-अलग कार्य करती हैं. जब पांचों अंगुलियां मिलकर काम करती हैं, तो काम और भी बेहतर होता है. बेंच और बार मिलकर काम करेंगे, तो काम बेहतर होगा. लोगों को सुलभ न्याय मिलेगा.
रांची सिविल कोर्ट में लगी राष्ट्रीय लोक अदालत
झालसा (झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार) के कार्यपालक अध्यक्ष जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद के निर्देश पर रांची सिविल कोर्ट में शनिवार को राष्ट्रीय लोक अदालत लगायी गयी. उद्घाटन के मौके पर मुख्य अतिथि झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विद्युत रंजन सारंगी, जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद, जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी, रजिस्ट्रार जनरल मो शाकिर, रांची के न्यायायुक्त दिवाकर पांडेय, झालसा की सदस्य सचिव कुमारी रंजना अस्थाना, रांची के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा, सिटी एसपी राजकुमार मेहता, असिस्टेंट रजिस्ट्रार प्रोटोकॉल, मो फहीम किरमानी, रांची जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष शम्भू प्रसाद अग्रवाल, सचिव संजय कुमार विद्रोही, न्यायिक पदाधिकारीगण, मध्यस्थ, अधिवक्ता, पीएलवी समेत अन्य उपस्थित थे. स्वागत भाषण एवं मंच का संचालन न्यायिक दंडाधिकारी एकता सक्सेना एवं परिधि शर्मा ने किया.
त्वरित और सुलभ न्याय का माध्यम है लोक अदालत
झारखंड हाईकोर्ट के न्यायाधीश और झालसा के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद ने लोक अदालत को त्वरित और सुलभ न्याय का माध्यम बताया. कार्यक्रम के दौरान लोक अदालत के लाभुकों के बीच सभी न्यायाधीशों ने चेक का वितरण किया. लोक अदालत के दौरान पारिवारिक विवाद खत्म कर दोबारा एक हुए दो जोड़ों को चीफ जस्टिस ने उपहार देकर उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की.
लोक अदालत से समय और धन की भी होती है बचत
न्यायायुक्त दिवाकर पांडेय ने कहा कि वादों के निस्तारण का सबसे सुलभ माध्यम लोक अदालत है. लोक अदालत के आयोजन से वादों को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाया जाता है. इससे न्यायालय का लंबित मामला कम होता है. वादकारियों को समय और धन की भी बचत होता है.
रांची डीसी ने जताया आभार
रांची के उपायुक्त राहुल कुमार सिन्हा ने धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंने सभी मंचासीन पदाधिकारियों को बहुमूल्य समय निकाल कर कार्यक्रम में शामिल होने के लिए धन्यवाद दिया.
मुआवजा राशि को लेकर विवाद सुलझा
रांची के न्यायायुक्त के न्यायालय से एक मुकदमा का निबटारा राष्ट्रीय लोक अदालत में किया गया. रांची के जिला भू-अर्जन पदाधिकारी के यहां से केस रेफर किया गया था. मामला सिवरेज ड्रेनेज जोन-1 परियोजना के तहत मौजा-लेन, थाना नंबर-162, खाता नंबर-75 में प्रभावित रैयतों के बीच मुआवजा राशि को लेकर विवाद उत्पन्न हो गया था. इसमें आज दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया और मुआवजा 10 करोड़ 14 लाख 66 हजार 650 रुपये का सेटलमेंट दोनों पक्षों के बीच हुआ. बेंच नंबर-6 से ये मामला निबटाया गया.
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