National Mathematics Day: गणित एक ऐसा विषय है, जो काफी बच्चों की समझ से बाहर होता है. इसे पढ़ने व समझने में बच्चों के पसीने छूट जाते हैं. कुछ बच्चे तो गणित में तेज होते हैं, लेकिन कुछ इसमें कमजोर रह जाते हैं. यही वजह है कि कई बच्चे गणित विषय के प्रश्न को हल करने में घंटों समय बिता देते हैं. कई बच्चे तो डर से गणित में कम अंक लाते हैं. लेकिन, गणित हमारे दैनिक जीवन के लिए बेहद जरूरी है. फॉर्मूले पर आधारित यह विषय काफी दिलचस्प है. बस जरूरी है कि बच्चे को थोड़ा गाइड करके इस सब्जेक्ट को लेकर उनके मन में बने डर को दूर किया जाये. इसके बाद गणित से दोस्ती हो जायेगी. क्योंकि, गणित एक बार समझ लेने से काफी आसानी से हल किया जा सकता है.
महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को मद्रास में हुआ था. इस दिन को हर वर्ष राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाया जाता है. उनका पूरा नाम श्रीनिवास अयंगर रामानुजन है. 26 फरवरी 2012 को देश जब श्रीनिवास की 125वीं जयंती मनाने की तैयारी कर रहा था, उसी वर्ष भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रामानुजन का गणित के प्रति समर्पण व विदेशों में भारत को विशिष्ट सम्मान दिलाने के लिए विशेष सम्मान देते हुए 22 दिसंबर के दिन को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी. इसके बाद से प्रत्येक वर्ष 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस मनाया जाता है.
रामानुजन अवार्ड युवा मैथेमेटिशियन को साल 2005 के बाद से हर वर्ष दिया जाता है. 2021 में कोलकाता स्थित इंडियन स्टैटिस्टिकल इंस्टीट्यूट की प्रोफेसर नीना गुप्ता को रामानुजन प्राइज फॉर यंग मैथेमेटिशियन से सम्मानित किया गया था. प्रो नीना गुप्ता रामानुजन पुरस्कार प्राप्त करने वाली तीसरी महिला हैं.
राजधानी के कुछ स्कूलों में वैदिक गणित की पढ़ाई करायी जा रही है. इसके माध्यम से गणित के प्रश्नों को छोटे और सरल तरीके से हल करने के बारे में सिखाया जाता है. बिशप वेस्टकॉट गर्ल्स स्कूल डोरंडा की वैदिक गणित शिक्षिका साजिया रहमान ने बताया कि वैदिक गणित से विद्यार्थी आसान तरीके से गणित सीख सकते हैं. बेसिक रूल्स के माध्यम से प्रश्नों को हल कर सकते हैं. इसे बनाने के बाद बच्चों को क्रॉस चेक करने में भी आसानी होती है. साथ ही प्रश्नों को अच्छे से समझ भी रहे हैं. वैदिक गणित के माध्यम से बच्चे रोचक तरीके से छोटे-छोटे रूप में सरल भाषा में सीख रहे हैं. वहीं, इसके माध्यम से बच्चे मौखिक भी गणित के प्रश्न को हल कर रहे हैं. कुछ स्कूलों में आई क्रिएट संस्था के माध्यम से वैदिक गणित छठी से नौवीं कक्षा के बच्चों को सिखाया जाता है. इससे समय की भी बचत हो रही है. इससे बच्चों में वैदिक गणित सीखने की जिज्ञासा बढ़ेगी.
डोरंडा के रहने वाले आदर्श अनुराग आइआइटी कानपुर से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं. वह बताते हैं कि तीसरी से 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई जेवीएम श्यामली से की. स्कूल में मैथ्स काफी पसंद था. 100 में 100 अंक आते थे. लेकिन, जब नौवीं कक्षा के बाद कोचिंग ज्वाइन किया, तो गणित को समझने में थोड़ी कठिनाई आने लगी. तब पिता जी ने थ्योरी मेथड से समझाया और कॉन्सेप्ट क्लियर किया. यही कारण है कि मैट्रिक और 12 वीं बोर्ड में 99-99 अंक गणित में मिले. मेरा मानना है कि अगर मैथ्स में इंट्रेस्ट लेकर पढ़ाई करेंगे, तो मैथ्स से आसान विषय कोई नहीं है. स्कूल के दिनों से ही मैथ्स पर फोकस करें.
बच्चों में गणित के प्रति जिज्ञासा बढ़ाने के लिए सही तरीके से पढ़ाने की आवश्यकता है. बच्चों को अगर गणित के लॉजिक और उसे लिखने का तरीका समझाया जाये, तो वह प्रश्न काफी आसानी से हल कर सकते हैं. कोई भी प्रश्न में लॉजिक होता है. इसे कैसे हल करें. अगर ऐसा समझ लें, तो बच्चे आसानी से प्रश्न को हल कर सकते हैं. कई सवाल वर्ड में होते हैं. उसे एक्वेशन में कैसे चेंज करना है, यह समझाने से प्रश्न को आसानी से समझा सकते हैं. शिक्षक बच्चों को समझें, कमजोर बच्चों पर ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है. इसलिए शिक्षक के लिए भी एक चैलेंज होता है.
-डॉ शीत निहाल टोपनो, मैथ्स विभाग, रांची विवि
गणित सीखने के लिए गणित के कॉन्सेप्ट को समझना जरूरी है. इसके लिए बेसिक कॉन्सेप्ट को समझकर, डेफिनेशन को याद रखने से प्रश्नों को हल करने में कोई दिक्कत नहीं होगी. गणित के प्रश्नों का अभ्यास बहुत जरूरी है. स्कूलों में विद्यार्थियों को टीचिंग मेटेरियल के माध्यम से पढ़ाया जाता है. इसमें हर गणित के प्रश्न से संबंधित मेटेरियल का डेमो दिखाकर बच्चों को ऑडियो व वीडियो के माध्यम से समझाया जाता है. अभिभावकों से भी अपील है कि बच्चों को साइंस सेंटर जैसी जगहों पर ले जायें, ताकि साइंस और गणित को समझ सकें.
-कृष्ण कुमार सिंह, गणित शिक्षक, जेवीएम श्यामली
स्कूल में बच्चों के मन से गणित के डर को दूर करने के लिए पहले गणित के प्रति उनकी रुचि को समझते हैं. फिर बातचीत करके गणित को समझाने का प्रयास करते हैं. ब्लैक बोर्ड पर हर प्रश्न को एक-एक करके बनाते हैं. उसी तरह दूसरे प्रश्न को विद्यार्थियों से हल करवाते हैं, ताकि यह समझ सकें कि किन-किन प्रश्नों को बच्चे समझते हैं. प्रतिदिन नये बच्चे से प्रश्नों को हल करवाते हैं. उन्हें एजुकेशनल टूर पर ले जाते हैं और साथ ही साथ उन्हें स्कूल के कमजोर बच्चों से टॉपर बनने तक के सफर को साझा करते हैं. इससे बच्चों में गणित के प्रति जिज्ञासा बढ़ती है.
-दिनेश साहू, गणित शिक्षक, मारवाड़ी प्लस टू हाई स्कूल