रांची. डोरंडा कॉलेज में भारतीय ज्ञान परंपरा : एक प्राच्य पुनर्जागरण विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का रविवार को समापन हो गया. मुख्य अतिथि आर्यभट्ट कॉलेज के प्राचार्य मनोज सिन्हा ने इंडियन नॉलेज सिस्टम को नयी शिक्षा नीति के लिए एक आकार देने वाली शक्ति बतायी. कहा कि यह व्यक्ति के समग्र विकास को बढ़ावा देने के साथ-साथ जीवन के उद्देश्य और अंतिम वास्तविकता को समझने में मदद करता है. वहीं कामेश्वर सिंह संस्कृत कॉलेज दरभंगा के पूर्व कुलपति डॉ चंद्रकांत शुक्ला ने भारतीय वर्ण व्यवस्था की उत्कृष्टता पर प्रकाश डाला. बताया कि वेदों का भारतीय ज्ञान परंपरा से बहुत गहरा संबंध है. डॉ राधाकृष्णन ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा का प्रमुख उद्देश्य है संतोष की प्राप्ति. इस अवसर पर चेयरपर्सन, को चेयरपर्सन, प्रतिभागियों, सदस्यों और आयोजन समिति के सदस्यों को रांची विवि के कुलसचिव डॉ विनोद नारायण, वित्तीय सलाहकार डॉ अजय कुमार, प्राचार्य डॉ राजकुमार शर्मा, मानविकी संकाय की डीन डॉ अर्चना दुबे ने सम्मानित किया.
सरना विकास समिति की बैठक में कार्यों की समीक्षा
रांची. झारखंड आदिवासी सरना विकास समिति धुर्वा की वार्षिक बैठक रविवार को मेघा उरांव की अध्यक्षता में हुई. बैठक में समिति के आय-व्यय का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया. आगामी कार्य योजनाओं पर भी विमर्श किया गया. मेघा उरांव ने कहा कि समिति सदस्यों के परिवारों के दुख-सुख में हमेशा खड़ी रही है. इसके अलावा असहाय परिवार के लड़के-लड़कियों का विवाह कराने का काम भी करती आ रही है. इस वर्ष भी सामूहिक विवाह कराया जायेगा. उन्होंने कहा कि समिति आदिवासी समुदाय के पूर्वजों की रुढ़ि प्रथा (कस्टम) को बचाये रखने का भी कार्य कर रही है. धर्मांतरण और लव जिहाद से आदिवासी समुदाय को सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है. समिति इन मुद्दों पर आवाज उठाना जारी रखेगी. बैठक में लोरया उरांव, लुथरु उरांव, मानसाय उरांव, पंचम उरांव, डॉ बुटन महली, कृष्ण उरांव, चंदा कच्छप, राजू उरांव, लक्ष्मण उरांव, नीलम तिर्की सहित अन्य उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है