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National Sports Day 2022: झारखंड में स्थित कई स्टेडियम का हाल बदहाल, करोड़ों की लागत से हुआ था निर्माण

झारखंड में स्थित कई स्टेडियमों का हाल खस्ता है. करोड़ों रुपये की लागत से निर्माण कई स्टेडियम बिल्कुल जर्जर हालत में है. इसकी बड़ी वजह देखरेख का अभाव है. प्रभात खबर ने राज्य के कई स्टेडियमों का हाल जानने की कोशिश की. इसमें कई चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आये.

रांची: झारखंड के खिलाड़ी हर राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक लाकर राज्य का गौरव बढ़ा रहे हैं. राज्य सरकार इनको समय-समय पर प्रोत्साहित भी कर रही है. खिलाड़ियों के नियमित प्रैक्टिस और नये खिलाड़ी तैयार करने के लिए जो संसाधन तैयार किये जा रहे हैं या किये जा चुके हैं, उनका हाल बेहाल है.

राज्य सरकार का कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग ने करीब-करीब सभी प्रखंडों में स्टेडियम का निर्माण किया है. कई का निर्माण कार्य जारी है. कुछ बने हुए स्टेडियमों पर किसी और ने कब्जा कर लिया है. कई तो देखरेख के अभाव में बर्बाद हो रहे हैं. प्रभात खबर ने राज्य के कई स्टेडियमों का हाल जानने की कोशिश की. इसमें कई चौंकाने वाले तथ्य भी सामने आये.

कभी अंतरराष्ट्रीय मैच होते थे अब अभ्यास लायक भी नहीं है

2011 में निर्माण शुरू हुआ

05 करोड़ खर्च

कभी राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर के फुटबॉल मैच खेले जानेवाले हजारीबाग कर्जन ग्राउंड अब खिलाड़ियों के प्रैक्टिस करने के लायक भी नहीं है. इस मैदान ने अंतरराष्ट्रीय एथलीट अरविंद पन्ना, सरोज लकड़ा, कामेश्वर रविदास, रॉबर्ट कुजूर जैसे खिलाड़ी दिये. यहां 26 जनवरी 1955 को रशियन फुटबॉल टीम और भारतीय एकादश फुटबॉल टीम के बीच मैच खेला गया था. तब हजारीबाग के कर्जन ग्राउंड की प्रशंसा हुई थी, लेकिन राज्य बनने के बाद यह ग्राउंड बर्बादी के कगार पर पहुंच गया. यहां सीके नायडू और मुश्ताक अली क्रिकेट मैच खेले जाते थे.

रंका : आउटडोर स्टेडियम में हो रही तिल की खेती

2005-6 में निर्माण

1.96 करोड़ खर्च

खेल को बढ़ावा देने के लिए रंका (गढ़वा) में आउटडोर और इंडोर स्टेडियम का निर्माण कराया गया, लेकिन दोनों स्टेडियमों का इस्तेमाल निजी फायदे के लिए हो रहा है़ आउटडोर स्टेडियम में फील्ड नहीं है. इसमें तिल की खेती हो रही है. स्टेडियम में आजतक कोई खेल नहीं हुआ. पूर्व विधायक गिरिनाथ सिंह ने खेल को बढ़ावा देने के लिए दोनों स्टेडियमों का निर्माण कराया था. आउटडोर स्टेडियम एक करोड़ 20 लाख रुपये व इंडोर स्टेडियम 76 लाख रुपये की लागत से बनाया गया है. दोनों का निर्माण कार्य 2005-06 में शुरू हुआ था. इस बारे में फुटबॉल खिलाड़ी हरिशंकर पांडेय, गोपाल राम चंद्रवंशी ने कहा कि उन्हें स्टेडियम बनने की जानकारी नहीं है. दोनों स्टेडियम कब बना यह भी जानकारी नहीं है.

गुमला : हॉलैंड से मंगाये गये एस्ट्रोटर्फ अब उखड़ चुके हैंss

2005 में निर्माण शुरू हुआ

05 करोड़ खर्च

गुमला जिला हॉकी खेल की नर्सरी है. 2005 में हॉकी खेल को बढ़ावा देने के लिए कला-संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग झारखंड सरकार द्वारा संत इग्नासियुस हाइस्कूल की कुछ जमीन लेकर उसमें एस्ट्रोटर्फ (हॉकी ग्राउंड) लगवाया गया, परंतु सिर्फ ग्राउंड बना कर छोड़ दिया गया. यह एस्ट्रोटर्फ हॉलैंड से मंगवाया गया. लेकिन पानी छिड़कने (स्प्रिंकलर) की व्यवस्था नहीं रहने के कारण एस्ट्रोटर्फ उखड़ गये हैं. अब पूरा एस्ट्रोटर्फ सड़ गया है. गैलरी बनी है, परंतु बैठने लायक नहीं है. चेंजिंग रूम है, लेकिन वह जर्जर है. चेजिंग रूम में खिलाड़ी नहीं जाते हैं.

चतरा : भूमि विवाद के कारणs नहीं हुआ स्टेडियम का उद्घाटन

2009-10 में निर्माण शुरू हुआ

1.15 करोड़ खर्च

सरकार ने सभी प्रखंड मुख्यालय में स्टेडियम का निर्माण शुरू किया़ लेकिन कहीं भूमि विवाद तो कहीं पदाधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण स्टेडियम का निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है. हंटरगंज प्रखंड में स्टेडियम का निर्माण 2009-10 में डुमरी कॉलेज के समीप कराया गया था. इसका निर्माण 39 लाख की लागत से किया गया था. हालांकि इस स्टेडियम का उद्घाटन आज तक नहीं हो पाया. वहीं प्रतापपुर का स्टेडियम का निर्माण 2009-10 में प्रतापपुर हाइस्कूल मैदान में प्रारंभ किया गया था. 11 वर्ष बाद भी निर्माण अधूरा है. इसका बजट 76 लाख रुपये था़

अलबर्ट एक्का स्टेडियम : न ही ट्रैक है, न खेलने लायक ग्राउंड

1990 में निर्माण शुरू हुआ

05 करोड़ खर्च

गुमला का परमवीर अलबर्ट एक्का स्टेडियम का मैदान अब खेलने लायक नहीं रह गया है. ग्राउंड में लोहे के कील सहित पत्थर का चूर्ण भरा पड़ा है. इससे खिलाड़ी अभ्यास के दौरान घायल होते रहते हैं. ग्राउंड में दौड़ने के लिए न ट्रैक है, न फुटबॉल खेलने लायक ग्राउंड है. मेंटनेंस में हर साल लाखों रुपये खर्च होते हैं. बावजूद इसके खिलाड़ियों को बेहतर ग्राउंड नहीं मिल रहा है. फुटबॉल का

गोलपोस्ट भी धक्का मारने से यह गिर जाता है. गोलपोस्ट में जाली तक नहीं लगा है. जब कोई कार्यक्रम होता है, तो गोलपोस्ट उखाड़ दिये जाते हैं.

लोहरदगा के ललित नारायण स्टेडियम में सुबह टहलना भी है मुश्किल

लोहरदगा शहरी क्षेत्र के कॉलेज रोड स्थित ललित नारायण स्टेडियम की बदहाली से युवा परेशान हैं. एलएन स्टेडियम के मुख्य द्वार से लेकर अंदर मैदान तक जल-जमाव और गंदे पानी के बहाव से मॉर्निंग वॉक, एक्सरसाइज सहित खेल के आयोजन परेशानी होती है़ एक समय था, जब यह स्टेडियम युवाओं का भविष्य संवारने का काम करता था. आज मॉर्निंग वॉक के लिए आनेवाले लोग कई बार गंदे पानी की वजह से फिसल कर गिर जाते हैं. सुरक्षित नहीं होने के कारण महिलाओं ने इस स्टेडियम में आना ही बंद कर दिया है. यह स्टेडियम असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अजहरुद्दीन सहित कई सितारे इस स्टेडियम पर खेल चुके हैं.

650 करोड़ से तैयार स्टेडियम कुछ वर्षों में हो गया बदहाल

34वें राष्ट्रीय खेल के लिए 2011 में होटवार में मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स तैयार किया गया. इसपर करीब 650 करोड़ रुपये खर्च हुए़ राष्ट्रीय खेल के आयोजन के बाद कुछ वर्षों तक झारखंड सरकार के खेल विभाग ने रख-रखाव की जिम्मेदारी निभायी़ वर्ष 2015 में सीसीएल और झारखंड सरकार के बीच समझौता हुआ और झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी गठित की गयी़ फिर रख-रखाव की जिम्मेदारी सीसीएल को मिल गयी.

वर्ष 2015 में 25 करोड़ रुपये की लागत से पूरे मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स की मरम्मत की गयी़ हालांकि कुछ ही दिन बाद स्टेडियम फिर बदहाल हो गया. किसी इंडोर स्टेडियम का छप्पर उड़ गया, तो किसी के अंदर का मैट टूट गया. वहीं बिरसा मुंडा एथलेटिक्स स्टेडियम के टावर नंबर एक का छप्पर एक वर्ष से टूटा हुआ है़ वहीं जेएसएसपीएस को मेटेंनेस सहित अन्य कार्यों के लिए प्रतिवर्ष 22-23 करोड़ रुपये मिलते हैं. इस संबंध में जब जेएसएसपीएस एलएमसी के सीइओ जीके राठौड़ से पूछा गया, तो उनका कहना था कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है.

यहां तीन इंडोर सहित नौ स्टेडियम हैं

मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में नौ स्टेडियम हैं. इसमें बिरसा मुंडा एथलेटिक्स स्टेडियम, वीर बुधु भगत इक्वेटिक्स स्टेडियम, टेनिस स्टेडियम, हरिवंश टाना भगत इंडोर स्टेडियम, गणपत राय इंडोर स्टेडियम, वेलोड्रॉम स्टेडियम, टिकैत उमरांव शूटिंग स्टेडियम, विश्वनाथ शाहदेव इंडोर स्टेडियम और खो-खो स्टेडियम शामिल है.

लातेहार : खंडहर में तब्दील हो गया स्टेडियम खेल मैदान बना चारागाह

दो प्रखंडों में बनाये गये खेल स्टेडियम खंडहर में तब्दील हो गये, जबकि खेल मैदान पशुओं का चारागाह बन गया है. वर्ष 2005-06 में खेल विभाग द्वारा स्टेडियम और खेल मैदान बनाने का निर्णय लिया गया था. इसमें लातेहार जिले के बालूमाथ, बारियातू, गारू व मनिका प्रखंड में भी खेल स्टेडियम के निर्माण पर सहमति बनी़ सरकारी आंकड़ों में गारू व बालूमाथ प्रखंड में स्टेडियम का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, जबकि बारियातू व मनिका प्रखंड में निर्माण कार्य चल रहा है. बालूमाथ प्रखंड की किसी पंचायत में कोई खेल मैदान व स्टेडियम का निर्माण नहीं कराया गया है. गारू प्रखंड के बारेसांढ़ व बरियातू प्रखंड में 22-22 लाख रुपये की लागत से खेल स्टेडियम और खेल मैदान का निर्माण कराया गया है.

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