खेलगांव का वेलोड्राम स्टेडियम पहली बार देश भर के साइकिलिंग के खिलाड़ियों से गुलजार है. यहां गुरुवार से नेशनल ट्रैक साइकिलिंग चैंपियनशिप का आगाज हुआ है. इसमें 26 राज्यों के 600 से अधिक खिलाड़ी शामिल हुए हैं. रंग-बिरंगी साइकिलों के साथ खिलाड़ियों का जोश देखते ही बन रहा है. खिलाड़ियों का जोश ऐसा कि हर तरफ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी इवेंट की तैयारी में नजर आ रहे हैं. यहां का नजारा पूरी तरह से इसी बात की ओर इशारा कर रहा है कि हेल्थ और फिटनेस के साथ मेडल जीतने की खिलाड़ियों की तैयारी खास है.
नेशनल ट्रैक साइकिलिंग में प्रत्येक दिन 25 से 27 इवेंट होंगे. पहले दिन टाइम ट्रायल प्रतियोगिता में अलग-अलग राज्य के खिलाड़ी शामिल हुए. मेजबान झारखंड के खिलाड़ियों ने भी प्रतिभा दिखायी. वहीं अगले चार दिनों तक सुबह आठ बजे इवेंट की शुरुआत होगी. प्रतियोगिता का उदघाटन मुख्य अतिथि सांसद विजय हांसदा ने किया. इस अवसर पर साइकिलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव मनिंदर पाल सिंह, झारखंड साइकिलिंग संघ के महासचिव शैलेंद्र पाठक, रणवीर सिंह आदि मौजूद थे.
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नेशनल ट्रैक साइकिलिंग चैंपियनशिप के पहले दिन झारखंड के खिलाड़ियों ने रजत और कांस्य पदक से अपना खाता खोला है. विकास उरांव ने व्यक्तिगत टाइम ट्रायल 500 मीटर में रजत पदक और इसी इवेंट में नारायण महतो ने कांस्य पदक जीता है. पहले दिन रेलवे, सर्विसेज, पंजाब, महाराष्ट्र और राजस्थान के खिलाड़ियों का दबदबा रहा. वीमेंस जूनियर की 4000 मीटर की टीम शूट में तमिलनाडु ने स्वर्ण, महाराष्ट्र ने रजत और राजस्थान ने कांस्य पदक जीता. पुरुष में राजस्थान ने स्वर्ण, हरियाणा ने रजत और कर्नाटक ने कांस्य पदक जीता. वीमेंस एलीट 500 मीटर में रेलवे की अलीना ने स्वर्ण, अंडमान की सेलेस्टिना ने रजत और रेलवे की त्रियाशा ने कांस्य पदक जीता.
वेलोड्राम स्टेडियम में खिलाड़ी अपने साथ विश्व स्तर की साइकिल लेकर आये हैं. इसकी कीमत एक लाख से 18 लाख रुपये के बीच है. सबसे महंगी साइकिल दूसरे देश से मंगायी गयी है. इसकी खासियत यह है कि इसे कहीं भी फोल्ड करके ले जाया जा सकता है. इसमें अलग-अलग तरह के इक्यूपमेंट लगाये गये हैं. इससे ट्रैक पर साइकिलिस्ट की रफ्तार बढ़ जाती है. 18 लाख रुपये वाली साइकिल का नाम ऑर्गन-18 और लुक टी-20 है.
झारखंड के खिलाड़ी भी साइकिलिंग में राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके हैं. इसमें सरिता कुमारी ने एशियन गेम्स में शामिल हुई थीं. इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर पर सबीना कुमारी, नारायण महतो और विकास उरांव ने स्वर्ण और रजत पदक जीत चुके हैं.
साइकिलिंग कीजिए और फिट रहिए. इसी मूल मंत्र के साथ इंटरनेशनल खिलाड़ी सरिता कुमारी ने 2021 से साइकिलिंग में करियर की शुरुआत की. इससे पहले वह 400 मीटर दौड़ में दमखम दिखा रही थीं. लोहरदगा की रहनेवाली सरिता कहती हैं : पहले इक्यूपमेंट की कमी के कारण परेशानी होती थी, लेकिन जब सोनीपत में गयी तब यह समस्या नहीं हुई.
किसान की बेटी सबीना कुमारी चतरा की रहनेवाली हैं. उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीता है. वह कहती हैं : जब जेएसएसपीएस एकेडमी में आयी और साइकिलिंग की तो, अच्छा लगा. इसके बाद साइकिलिंग पर फोकस किया. इसी का परिणाम है कि आज पदक जीतने का मौका मिल रहा है.
बोकारो के नारायण महतो एक साल की तैयारी में ही राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीत चुके हैं. उन्होंने 2017 में साइकिलिंग की तैयारी शुरू की और वर्ष 2018 में स्वर्ण पदक जीत लिया. इनका कहना है कि साइकिलिंग से फिटनेस तो बनता है और पदक जीतने का मौका भी मिलता है.
लोहरदगा के विकास उरांव जेएसएसपीएस के कैडेट हैं. वे 2017 से साइकिलिंग कर रहे हैं. राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में एक स्वर्ण पदक और तीन रजत पदक भी जीता है. वे कहते हैं : हमें बेहतर अभ्यास करने का मौका मिला. यही कारण है कि प्रदर्शन में काफी सुधार आया है़ आगे भी बेहतर प्रदर्शन करना है.
सबसे खास बात है कि पूरी चैंपियनशिप में जो निर्णय लेंगी वो देश की पहली महिला चीफ जज हैं. इन्होंने एशियन ट्रैक साइकिलिंग में जज की भूमिका निभायी है. 24 साल की वर्सिनी देश की सबसे कम उम्र की पहली महिला चीफ जज के रूप में यहां आयी हैं. तमिलनाडु की रहने वाली वर्सिनी खुद भी राष्ट्रीय स्तर की मेडलिस्ट रही हैं.