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झारखंड में संचालित 50 से अधिक स्टार्टअप के फाउंडर युवा, इनकी तकनीक और स्किल ने लोगों के काम को किया आसान

इन युवाओं ने तकनीक, सामाजिक कार्यक्षेत्र और स्किल को बढ़ावा देते हुए आम लोगों की दैनिक समस्या का हल निकाला है. रांची में कई ऐसे युवा हैं, जो अपने लक्ष्य के प्रति सजग हैं.

स्वामी विवेकानंद आम जनमानस के लिए मिसाल हैं. आज उनकी 161वीं जयंती है. यह विशेष दिन युवा दिवस के रूप में सेलिब्रेट किया जाता है. इस वर्ष का थीम है : संकल्प से सिद्धि : डिजिटल इंडिया के लिए युवा. इस बात को देश व राज्य के युवा भी सिद्ध कर रहे हैं. झारखंड में संचालित 50 से अधिक स्टार्टअप के फाउंडर युवा ही हैं. इन युवाओं ने तकनीक, सामाजिक कार्यक्षेत्र और स्किल को बढ़ावा देते हुए आम लोगों की दैनिक समस्या का हल निकाला है. रांची में कई ऐसे युवा हैं, जो अपने लक्ष्य के प्रति सजग हैं. आज की रिपोर्ट इन्हीं युवाओं पर है.

विटिलिगो के साथ रैंप पर अनुराधा का ‘कॉन्फिडेंस’वॉक

बहुबाजार की अनुराधा दास 10 वर्ष की होंगी, जब उन्हें विटिलिगो (इंफेक्शन की वजह से त्वचा का रंग सफेद होना) हुआ. त्वचा का रंग बदलते देख पूरा परिवार चिंतित था. न जाने कहां-कहां इलाज कराये गये, लेकिन सबकुछ बेअसर रहा. इसका असर अनुराधा पर भी दिखा. वह कहती हैं : आत्मविश्वास पूरी तरह खो चुकी थी. फिर स्कूल के शिक्षकों ने काफी प्रेरित किया. यही कारण है कि इंटरमीडिएट की पढ़ाई के दौरान स्कार्फ बांधना छोड़ दिया. अनुराधा कहती हैं : शुरुआत में काफी मुश्किल हुई, लेकिन आज इस विशिष्ट रोग को अपना चुकी हूं. आत्मविश्वास से लबरेज हूं. फिर रांची वीमेंस कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई की. इस दौरान फैशन डिजाइनिंग की शिक्षिका ने मॉडलिंग करियर से परिचय कराया. वर्तमान में फैशन डिजाइनर आशीष एस साहू के मार्गदर्शन में अनुराधा शहर के विभिन्न फैशन शो में आत्मविश्वास के साथ रैंपवॉक करती दिख जाती हैं.

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जर्मनी में रिसर्च कर रही हैं युक्ति शिखा

मोरहाबादी की युक्ति शिखा ने विदेश के किसी विवि में पढ़ने का लक्ष्य तय किया. हालांकि ना ही किसी कोर्स की जानकारी थी, ना ही विवि की. लेकिन इंटरनेट की मदद से कोर्स और कॉलेज सर्च करना शुरू किया. इस दौरान डीएएडी स्कॉलरशिप की जानकारी मिली. यह स्कॉलरशिप जर्मनी की यूनिवर्सिटी में दूसरे देश के विद्यार्थियों की शैक्षणिक यात्रा पूरा करने में पूरी मदद करती है. इसके बाद शिखा ने जर्मनी की तुबिंगन यूनिवर्सिटी से संपर्क पर कोर्स इंट्रेस्ट सिनोप्सिस भेजा. विवि के प्रोफेसर को उनका थिसिस पसंद आया और ऑनलाइन इंटरव्यू के माध्यम से युक्ति का चयन पीएचडी इन मीडिया स्टडीज के लिए हो गया. युक्ति सोशल मीडिया एंड डार्क वेब पर रिसर्च कर रही हैं. वह कहती हैं : स्वामी विवेकानंद के कथन लक्ष्य तय कर ध्यान केंद्रित करो सफलता तय है, ने काफी प्रभावित किया है. इसके अलावा युक्ति वर्ष 2022 में स्टेट लेवल शूटिंग चैंपियनशिप में ब्रांज मेडल और हरियाणा में आयोजित नेशनल यूथ चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं.

पर्यावरण को लेकर जागरूक कर रहे इंदल पासवान

इंदल पासवान पर्यावरण प्रेमी हैं. वह कहते हैं : स्वामी विवेकानंद जी के विचार काफी प्रभावित करते हैं. उन्होंने कहा : आस-पास घटते पेड़-पौधों की संख्या देख मन विचलित हो उठता है. कोरोना काल में लोगों को ऑक्सीजन के लिए परेशान होते देखा था. पर्यावरण प्रेम सभी के मन में हो इसके लिए दोस्तों के साथ मिलकर जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया. ”पर्यावरण मित्र” संगठन का गठन किया. इसके बाद दोस्तों के साथ खाली जगहों पर पौधरोपण और उसके संरक्षण में जुट गये. इंदल अभी तक सैकड़ों पौधे लगा चुके हैं.

अरविंद पांडेय की पेंटिंग में छुपी रहती हैं कविताएं

अरविंद पांडेय पेंटिंग की दुनिया में झारखंड का नाम रोशन कर रहे हैं. इनकी पेंटिंग खास है, क्योंकि इसमें कविताएं छुपी होती हैं. अब तक 10 राष्ट्रीय और चार अंतरराष्ट्रीय पेंटिंग एग्जिबिशन में अपनी कल्पनाशीलता दिखा चुके हैं. पिछले वर्ष 26 जनवरी को लाल किले पर झारखंड का प्रतिनिधित्व किया था. इस वर्ष भी 26 जनवरी को अपनी कला प्रदर्शित करेंगे. 2023 में भद्रकाली मंदिर इटखोरी चतरा में चतरा महोत्सव का मंच तैयार करने में इनकी बड़ी भूमिका रही. वहीं पतरातू में आयोजित जी-20 समिट में झारखंड की विभिन्न कलाओं को अपनी पेंटिंग के माध्यम से दर्शाया. वे कहते हैं : स्वामी विवेकानंद युवाओं के आदर्श हैं. युवा उनके आदर्शों को अपनाकर समाज और देश को आगे बढ़ा रहे हैं.

जरूरतमंदों की सेवा में तत्पर रहते हैं निपुण जैन

रांची के निपुण जैन व्यवसायी होते हुए भी समाज सेवा में अहम योगदान दे रहे हैं. वे जरूरतमंदों की सेवा में तत्पर रहते हैं. युवाओं की टीम बनाकर सामाजिक सरोकारों से जोड़ रहे हैं. निपुण कहते हैं : पर्यावरण के सरंक्षण के लिए 2019 में टीम ग्रीन का गठ8न किया, जिसमें 200 से ज्यादा युवा जुड़े हुए हैं. सभी रांची को हरा-भरा बनाने में अहम योगदान दे रहे हैं. साथ ही कोरोना काल में जरूरतमंदों की मदद के लिए टीम हेल्प की नींव रखी. इससे जुड़े युवा आज भी प्रत्येक रविवार समय निकाल कर असहायों की मदद करते हैं. शिक्षा, स्वच्छता और सहायता के ध्येय के साथ आगे बढ़ रहे हैं. इसके अलावा प्रत्येक रविवार गांव-गांव जाकर कपड़े व आवश्यक सामग्री का वितरण करते हैं. निपुण कहते हैं : मैं स्वामी विवेकानंद से काफी प्रभावित हूं.

नेत्रहीन सौरभ ने हर मुश्किल को दी मात

नेत्रहीन सौरभ प्रसाद प्रतिष्ठित कंपनी माइक्रोसॉफ्ट में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. इंद्रप्रस्थ इंस्टीट्यूट ऑफ इनफॉरमेशन टेक्नोलॉजी, दिल्ली से इंजीनियरिंग (सीएसइ ब्रांच) की डिग्री हासिल की है. स्वामी विवेकानंद का कथन उन्हें प्रेरित करता है. वह कथन है : उठो! जागो और तब तक मत रुको, जब तक की लक्ष्य की प्राप्ति न हो. चतरा जिले के एक छोटे से गांव टंडवा में जन्मे सौरभ का यहां तक का सफर काफी संघर्षपूर्ण रहा है. वे बताते हैं : बचपन से ही ग्लूकोमा नामक बीमारी से पीड़ित था. यह एक ऐसा नेत्र रोग है, जो धीरे-धीरे ऑप्टिक तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाता है. व्यक्ति पूर्ण अंधेपन का शिकार हो जाता है. सौरभ कहते हैं : मैं गांव के ही एक स्कूल में सामान्य बच्चों के साथ पढ़ाई कर रहा था. करीब 11 वर्ष की उम्र थी, तक पढ़ाई में परेशानी महसूस होने लगी

इसके बाद माता-पिता ने रांची स्थित नेत्रहीन स्कूल में एडमिशन करा दिया. उस वक्त मुझे ब्रेल लिपि की जानकारी नहीं थी, जिस कारण किंडरगार्टन से पढ़ाई शुरू करनी पड़ी. आगे चलकर राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान संस्थान, देहरादून में आठवीं कक्षा में दाखिला ले लिया. हालांकि गणित विषय काफी चुनौतीपूर्ण था. लेकिन धीरे-धीरे कड़ी मेहनत से आत्मविश्वास बढ़ता गया. हालांकि उस वक्त दृष्टिबाधित छात्र 11वीं कक्षा के बाद विज्ञान नहीं पढ़ सकते थे, लेकिन सौभाग्य से नेशनल एसोसिएशन फॉर द ब्लाइंड (एनएबी), दिल्ली से काफी सपोर्ट मिला. यहीं कारण है कि उन्हें टैगोर इंटरनेशनल स्कूल में शामिल होने की अनुमति मिल गयी. फिर जेइइ की तैयारी में जुट गया.

सौरभ एनसीपीइडीपी के तहत जावेद आबिदी फेलो के रूप में कार्य करते हैं. जो दृष्टिबाधित छात्रों के लिए स्टेम विषयों में पहुंच और उच्च कक्षाओं में उनकी भागीदारी बढ़ाने के लिए काम करते हैं. साथ ही दृष्टिबाधित छात्र कोडिंग सीख सकें, इसके लिए a11code.com बनाया है.

स्वामी विवेकानंद के संदेश

जब तक जीना, तब तक सीखना यानी अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है

ब्रह्मांड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं. वो हम ही हैं जो अपनी आंखों पर हाथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अंधकार है.

उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये.

खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है.

शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है, विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है, प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है.

एक समय में एक काम करो और ऐसा करते समय अपनी पूरी आत्मा उसमें डाल दो और बाकी सब कुछ भूल जाओ.

जब तक जीना, तब तक सीखना यानी अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है.

जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर विश्वास नहीं कर सकते.

चिंतन करो, चिंता नहीं, नये विचारों को जन्म दो.

जैसा तुम सोचते हो, वैसे ही बन जाओगे. खुद को निर्बल मानोगे तो निर्बल और सबल मानोगे तो सबल ही बन जाओगे.

जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है : शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक उसे जहर की तरह त्याग दो.

हम जो बोते हैं वहीं काटते हैं. हम स्वयं अपने भाग्य निर्माता हैं.

हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है, इसलिए इस बात का ध्यान रखिए कि आप क्या सोचते हैं. शब्द गौण हैं, विचार रहते हैं, वे दूर तक यात्रा करते हैं.

वह नास्तिक है, जो अपने आप में विश्वास नहीं रखता.

किसी चीज से डरो मत, तुम अद्भुत काम करोगे. यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है.

बल ही जीवन है और दुर्बलता मृत्यु.

मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य की किरणों के समान हैं, जब वो केंद्रित होती हैं, चमक उठती हैं.

जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं, उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है और भगवान उसमें बसता है.

पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता ये तीनों सफलता के लिए आवश्यक हैं, लेकिन इन सबसे ऊपर प्यार है.

जिस प्रकार केवल एक ही बीज पूरे जंगल को पुनर्जीवित करने के लिए पर्याप्त हैं, उसी तरह एक ही मनुष्य विश्व में बदलाव लाने के लिए पर्याप्त है. ये मनुष्य आप हो सकते हैं.

स्वार्थ ही अनैतिकता और स्वार्थहीनता ही नैतिकता है.

निःस्वार्थकता अधिक लाभदायक है, किंतु लोगों में उसका अभ्यास करने का धैर्य नहीं है.

संसार में कई धर्म हैं, जबकि उनकी उपासना के नियम अलग-अलग हैं, पर वास्तव में सब एक ही हैं.

लक्ष्य बनाने में सहयोगी हैं स्वामी विवेकानंद के संदेश

देशप्रेम व जिज्ञासा की भावना हो, तो जीवन का लक्ष्य तय करना आसान है. स्वामी विवेकानंद के दर्शन और विचार युवाओं को आत्म मंथन करने के लिए प्रेरित करेंगे. स्वामी जी के विचार : आत्मविश्वास रखो और जगत कल्याण के लिए बेहतर काम करो, इसके लिए निडर बनने की जरूरत है. युवाओं को अपनाने की जरूरत है.

– स्वामी भावेशानंद, सचिव, रामकृष्ण मिशन आश्रम

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