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Navratri 2023:15 अक्टूबर को हाथी पर सवार होकर मां दुर्गा आ रही है आपके द्वार, जानें कलश स्थापना की शुभ मुहूर्त

इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं, क्योंकि नवरात्र की शुरुआत रविवार से हो रही है. मान्यता है कि जब माता दुर्गा का आगमन पृथ्वी पर हाथी के साथ होता है, तो यह शुभ संकेत है. क्योंकि शास्त्रों में हाथी को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना गया है.

Navratri 2023: मां दुर्गा की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र 15 अक्टूबर से शुरू हो रहा है. इसकी तैयारियां जोरों पर हैं. राजधानी में भव्य पूजा पंडाल बनाये जा रहे हैंं. भक्त मां दुर्गा के आगमन को लेकर उत्साहित हैं. इस बार मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आ रही हैं, क्योंकि नवरात्र की शुरुआत रविवार से हो रही है. मान्यता है कि जब माता दुर्गा का आगमन पृथ्वी पर हाथी के साथ होता है, तो यह शुभ संकेत है. क्योंकि शास्त्रों में हाथी को बुद्धि, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. 15 अक्टूबर को ग्रह गोचरों के शुभ संयोग में कलश स्थापना होगी.

दिन के 11:38-12:23 बजे तक अभिजीत मुहूर्त

15 अक्टूबर को रात 11:52 बजे तक प्रतिपदा तिथि है, जिस कारण कलश स्थापना का पूरा समय मिल रहा है. साथ ही शाम 6: 43 बजे तक चित्रा नक्षत्र भी है. इसके पहले दिन के 11:55 बजे तक वैधृति योग मिल रहा है. वहीं दिन के 11:38 से 12:23 बजे तक अभिजीत मुहूर्त मिल रहा है, जो कलश स्थापना के लिए सबसे उपयुक्त समय है.

अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना उत्तम

पंडित कौशल कुमार मिश्र ने कहा कि 15 अक्तूबर को दिन के 11:55 बजे तक वैधृति योग मिल रहा है. इस कारण अभिजीत मुहूर्त या 11.55 बजे के बाद कलश स्थापना करना उत्तम रहेगा. इस वर्ष मां का गमन भैसा पर हो रहा है, जो शुभ नहीं है. हालांकि किसी भी तिथि में क्षय व वृद्धि नहीं है, जिस कारण मां की विशेष कृपा भक्तों पर रहेगी.

मिथिला पंचांग : मुर्गा पर हो रहा मां का गमन

वाराणसी और मिथिला पंचांग के अनुसार माता का आगमन हाथी पर हो रहा है, जिसका फल शुभ है. इसमें बारिश का संयोग है. वहीं मिथिला पंचांग के अनुसार मां का गमन मुर्गा पर हो रहा है, जिसका फल शुभ नहीं है. पंडित कौशल मिश्र ने बताया कि मिथिला पंचांग के अनुसार सूर्योदय के बाद से ही कलश स्थापना का मुहूर्त शुरू है. हालांकि दिन के 10:30 से 1:30 बजे तक अधपहरा है. इस कारण 10:30 से पहले या दोपहर 1:30 के बाद कलश स्थापना करना अति उत्तम रहेगा.

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ये हैं महत्वपूर्ण तिथि

  • 15 अक्तूबर : प्रतिपदा ( रात 11:52 बजे तक)

  • 16 अक्तूबर : द्वितीया (रात 12:19 बजे तक)

  • 17 अक्तूबर : तृतीया (रात 12:16 बजे तक)

  • 18 अक्तूबर : चतुर्थी (रात 11:42 बजे तक)

  • 19 अक्तूबर : पंचमी (रात 10:40 बजे तक )

  • 20 अक्तूबर : षष्ठी (रात 9.13 बजे तक)

  • 21 अक्तूबर : महासप्तमी (शाम 7:27 बजे तक)

  • 22 अक्तूबर : महाअष्टमी (शाम 5:25 बजे तक)

  • 23 अक्तूबर : महानवमी (दिन के 3:10 बजे)

  • 24 अक्तूबर : विजयादशमी (दोपहर 12:49 बजे तक)

14 अक्तूबर को महालया

बांग्ला पंचांग के अनुसार 14 अक्तूबर को महालया है. इस दिन राजधानी के विभिन्न बांग्ला मंडपों से सुबह महालया का प्रसारण होगा. शाम में महिषासुरमर्दिनी का मंचन किया जायेगा. बांग्ला पंचांग के अनुसार इस बार का मां आगमन और गमन घोड़ा पर हो रहा है, जिसे शुभ नहीं माना जा रहा है. आगमन व गमन दोनों का फल छत्रभंग है.

दुर्गा बाड़ी में महिषासुरमर्दिनी का मंचन 14 को

कल मेन रोड स्थित दुर्गा बाड़ी में महिषासुरमर्दिनी का मंचन होगा. शाम 6:30 बजे रूपा डे के निर्देशन में मंचन किया जायेगा. दुर्गा बाड़ी के प्रवक्ता प्रदीप राय ने बताया कि कलाकार नियमित अभ्यास में जुटे हैं. श्रद्धालुओं में खासा उत्साह है. वहीं मजलिस की ओर से 15 अक्तूबर को महिषासुरमर्दिनी का मंचन किया जायेगा. मेकन के कम्यूनिटी हॉल में शाम सात बजे कार्यक्रम शुरू होगा.

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नवरात्र की पूजन सामग्री

कलश, ढक्कन, दीया, नारियल, रोड़ी, अबीर, गुलाल, सिंदूर, हल्दी चूर्ण, कपूर, गंगा जल, मधु, पंचमेवा, गुड़, मौली, कसैली, लौंग, इलाइची, घी, अगरबत्ती, पंच पल्लव, आम का पल्लव, अरवा चावल, सर्वोषधि, सप्तधान, सप्तमृतिका, पंचरत्न, चुनरी, वस्त्र, माला, जनेउ, जौ, रुई बत्ती, माला, हल्दी गोटा, बत्तासा, शालू कपड़ा, वेदी रंग, कस्तूरी, छड़ीला, इत्र, सुगंधित तेल, कुश, काला उड़द, पीला सरसों, नवग्रह झंडा, नवग्रह लकड़ी, चंदन, धूप, काला तिल, जटामशी, गुगूल, धुवन, भोजपत्र, सुगंध कोकिला, सूखा नारियल, अभ्रक चूर्ण आदि.

21 अक्तूबर की रात महानिशा पूजा

21 अक्तूबर की रात 11:35 से 12.26 बजे तक निशित व्यापिनी अष्टमी मिलने के कारण इस दिन महानिशा पूजा होगी. साथ ही बलिदान आदि का अनुष्ठान होगा. वहीं 22 अक्तूबर को उदया काल में अष्टमी तिथि मिल रही है. 23 अक्तूबर को नवमी व्रत है, जिस दिन हवन और बलिदान होगा. 24 अक्तूबर को विजयादशमी है. वहीं 28 अक्तूबर शरद पूर्णिमा और कोजागिरी लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त है.

पितृपक्ष का समापन कल

पितृपक्ष का समापन 14 अक्तूबर को होगा. शनिवार रात 11:27 बजे तक अमावस्या तिथि है. इसके बाद प्रतिपदा तिथि लग जायेगी. जिन्हें माता-पिता की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है, वे 14 अक्तूबर को माता-पिता का तर्पण कर सकते है. तर्पण के बाद जरूरतमंदों की मदद करें. पितृपक्ष के समापन पर राजधानी स्थित नदी, तालाब और डैम में तर्पण करने के लिए भीड़ रहेगी. वहीं शनि अमावस्या भी है. इस दिन शनि मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होगी.

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