विपक्ष ने हथियार डाल दिये, एकतरफा चुनाव जीत रहा एनडीए : बाबूलाल मरांडी

झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का. प्रभात खबर के प्रमुख संवाददाता सतीश कुमार ने उनसे बातचीत की.

By Prabhat Khabar News Desk | May 22, 2024 1:28 PM

एनडीए झारखंड की सभी सीटें बड़े अंतर से जीत रही है. जनता का रुझान एनडीए के प्रति है. विपक्ष ने अपने हथियार डाल दिये हैं. जनता के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा है. ऐसे में जनता इंडिया गठबंधन का साथ देकर अपना वोट बर्बाद नहीं करेगी. यह कहना है झारखंड भाजपा अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का. प्रभात खबर के प्रमुख संवाददाता सतीश कुमार ने उनसे बातचीत की.

झारखंड में लोकसभा चुनाव के दो चरण संपन्न हो गये हैं. सीटों के हिसाब से पार्टी को कहां खड़ा पाते हैं?

देखिए, झारखंड में लोकसभा की आधी सीटों पर चुनाव हुआ है. अगर इन क्षेत्रों को देखें, तो इसमें से हम छह सीट जीते थे. बाद में गीता ने कोड़ा सांसद रहते हुए भाजपा में योगदान किया. ऐसे में सभी सात सीटें हमारी हुई. अभी झारखंड में सात लोकसभा सीटें और विधानसभा की एक सीट पर उपचुनाव हुआ है. बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से मिली जानकारी के अनुसार सभी सीटें भाजपा बड़े अंतर से जीत दर्ज कर रही है. अगले चरण की चार सीटें भी भाजपा की जीती हुई सीट है. सभी सीटों पर जनता का रुझान भाजपा के प्रति है. एनडीए एकतरफा चुनाव जीत रहा है. विपक्ष ने पहले ही हथियार डाल दिया है.

झारखंड में भाजपा मोदी लहर के दम पर चुनाव लड़ रही है या फिर प्रत्याशी का चेहरा भी है सामने?

लोकसभा के चुनाव में सामान्यत: जनता केंद्र की ओर से देखती है. केंद्र में प्रधानमंत्री कौन है? पिछले 10 वर्षों से देश में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री हैं. इस बार तीसरी पारी के लिए भी चुने जायेंगे. दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन की ओर देखेंगे, तो उनके पास कोई नेता ही नहीं है. कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल, आप समेत इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियां प्रधानमंत्री का नाम बताने से भी डर रहे हैं? ऐसे में जनता यूं ही अपना वोट बर्बाद नहीं करेगी. उसके सामने प्रधानमंत्री के रूप नरेंद्र मोदी एक ऐसा चेहरा है, जिसने पिछले 10 वर्षों में देश का गौरव बढ़ाया है. चुनाव में प्रत्याशी की छवि, मेहनत व कार्यकर्ताओं के साथ उनका संबंध भी काम करता है.

कई सीटों पर सांसद-विधायक ने अपने को चुनाव प्रचार से अलग रखा. वैसे नेताओं पर अब पार्टी कार्रवाई कर रही है? क्या इसका कोई असर पड़ता दिख रहा है?

यह पार्टी का अंदरूनी मामला है. पार्टी की नीति-सिद्धांत के तहत कदम उठाये जा रहे हैं.

इंडिया गठबंधन के नेताओं का कहना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा 65-65 चिल्ला रही थी, 25 पर रुकी, अब 400 पार कह रही है, तो 150 में सिमटेंगे. आपका क्या कहना है?

देखिए. एनडीए ने कोई बहुत बड़ा लक्ष्य नहीं रखा है. अगर पिछले लोकसभा चुनाव को देखेंगे, तो भाजपा ने खुद 303 सीटें जीती थी. एनडीए गठबंधन को मिला कर कुल 353 सीटें हैं. ऐसे में देखेंगे, तो 400 में सिर्फ 47 सीटें ही कम पड़ रही है. आज की तारीख में कई स्थानों पर एनडीए की सीटें बढ़ रही हैं. इसमें दक्षिण के राज्यों के साथ उत्तर प्रदेश, बंगाल व ओड़िशा में एनडीए को बढ़त मिल रही है. अगर झारखंड को देखेंगे, तो पिछली बार एनडीए 14 में 12 सीट जीत पायी थी. इस बार सभी 14 सीटें जीत रहे हैं. इसे गौर से देखेंगे, तो एनडीए ने कोई बड़ा लक्ष्य निर्धारित नहीं किया है.

इस बार के लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है ?

देखिए चुनाव में कोई एक मुद्दा नहीं होता है. कई मुद्दे होते हैं. मोदी सरकार का स्पष्ट विजन है कि किसी हाल में भ्रष्टाचारी नहीं बचेंगे. विकास उनकी प्राथमिकता सूची में शामिल है. राम मंदिर व कश्मीर से धारा 370 हटाने व तीन तलाक को लेकर मोदी सरकार की ओर से उठाये कदम से जनता में भाजपा के प्रति विश्वास बढ़ा है. इन सभी मुद्दों पर भाजपा को जनता का साथ मिलता दिख रहा है.

इंडिया गठबंधन हेमंत व चंपाई सरकार की उपलब्धियां बता रहा है. भाजपा पर केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगा रहा है, आपका क्या कहना है?

झारखंड में पिछले चार साल में सिर्फ भ्रष्टाचार का बोलबाला रहा. सरकार के पास उपलब्धि बताने के लिए कुछ नहीं है. गठबंधन सरकार को बताना चाहिए कि पूजा सिंघल के सीए के घर से नोट पकड़ाना, मंत्री आलमगीर आलम के पीए के नौकर से 32 करोड़ कैश मिलना, कांग्रेस सांसद के घर 353 करोड़ कैश मिलना, इस सरकार की उपलब्धि है? इस सरकार ने नदी-नालों के बालू बेच दिये. राजमहल के पहाड़ अवैध रूप से खुदवा दिया. सरकारी दफ्तर में बिना पैसे के काम नहीं हो रहा है. यही वर्तमान राज्य की सरकार की उपलब्धि है. विपक्ष में रहते हुए भाजपा ने राजनीति धर्म निभाते हुए हेमंत सोरेन को कई पत्र लिख कर राज्य में हो रहे भ्रष्टाचार पर ध्यान आकृष्ट कराया, लेकिन सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की. साथ ही भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम किया. इसका नतीजा है कि केंद्रीय एजेंसी सीबीआइ व इडी को आगे आकर जांच करना पड़ा. अब भ्रष्टाचारी जेल की सलाखों के पीछे हैं.

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