एनडीए ने भ्रष्टाचार, परिवारवाद को बनाया मुद्दा, तो इंडिया गठबंधन ने संविधान बदल देने का नरेटिव चलाया
झामुमो ने हेमंत सोरेन को जेल भेजने को साजिश व आदिवासी विरोधी बताया, मोदी की तानाशाही को भी मुद्दा बनाया
रांची (ब्यूरो प्रमुख). लोकसभा चुनाव सात चरणों में संपन्न हुए. लगभग महीने भर चुनाव प्रचार चला. चुनावी सभाओं में एनडीए और इंडिया गठबंधन ने एक दूसरे के खिलाफ नरेटिव चलाने का प्रयास किया. दोनों ने एक दूसरे के खिलाफ हुंकार भरे. एनडीए की ओर से हर चरण में अलग-अलग मुद्दों पर इंडिया गठबंधन को घेरने का प्रयास किया. इंडिया गठबंधन ने संविधान बदलने की बात कही. इस नरेटिव को जमीन तक ले जाने के लिए ताबड़तोड़ अभियान चलाया. इंडिया गठबंधन का कहना था कि 400 पार का नारा, सिर्फ इसलिए दिया है कि संविधान बदलना है. इस पर भाजपा की ओर से कांग्रेस पर हमले हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह सहित प्रदेश के नेताओं ने हमला किया. भाजपा नेताओं ने इसकी धार मोड़ने की कोशिश कि और बड़े तबके को साधने के लिए आरक्षण का मुद्दा उछाला. भाजपा नेताओं ने हर सभा में कहा कि ओबीसी का आरक्षण छीन कर ये लोग मुसलमानों को दे देंगे. भाजपा नेताओं ने पिछले 10 वर्षों के नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियों को भी जनता के बीच लेकर गये. केंद्र सरकार की योजनाओं को चुनावी एजेंडा बनाने की कोशिश हुई. एनडीए ने पूरे चुनाव को विकास बनाम परिवारवाद बनाने की कोशिश की गयी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित कई नेताओं ने गांधी, लालू और अखिलेश यादव पर परिवारवाद का आरोप लगाया. एनडीए ने राज्य के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया. चुनाव के दौरान ही मंत्री आलमगीर आलम के नौकर के घर छापा पड़ा. 35 करोड़ रुपये पकड़े गये. प्रधानमंत्री ने कहा कि झारखंड में नोटों का पहाड़ मिल रहा है. भ्रष्टाचारियों को छोड़ा नहीं जायेगा. उन्होंने पूर्व सांसद धीरज साहू के ठिकाने से मिले 300 करोड़ की जब्ती को भी मुद्दा बनाया. इधर प्रदेश में झामुमो की ओर से कल्पना सोरेन और मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने मोर्चा संभाला. कल्पना सोरेन ने हर सभा में कहा कि हेमंत सोरेन को एक साजिश के तहत जेल भेजा गया है. हेमंत सोरेन के विकास कार्यों से भाजपा डर गयी थी. झामुमो ने हर सभा में भाजपा को आदिवासी विरोधी बताया. इंडिया गठबंधन की ओर से राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, अरविंद केजरीवाल, कल्पना सोरेन सहित सभी नेताओं ने इडी-सीबीआइ की कार्रवाई को दुर्भावना से प्रेरित बताया. केंद्रीय संस्थाओं के कामकाज को भी चुनावी मुद्दा बनाया. पूरे चुनाव के दौरान एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुद्दों का वार जबरदस्त चला.
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