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धर्म, संस्कृति, जंगल और पहाड़ को बचाने की जरूरत

गांव के मुंडा, पहान, पुजार, ग्राम प्रधान को संगठित होने की जरूरत है. संगठित होकर ही धर्म, संस्कृति, जंगल, पहाड़ और नदी को बचाया जा सकता है. अब हम अपनी धर्म-संस्कृति की ओर जागरूक हो रहे हैं.

खूंटी. गांव के मुंडा, पहान, पुजार, ग्राम प्रधान को संगठित होने की जरूरत है. संगठित होकर ही धर्म, संस्कृति, जंगल, पहाड़ और नदी को बचाया जा सकता है. अब हम अपनी धर्म-संस्कृति की ओर जागरूक हो रहे हैं. उक्त बातें खूंटी विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा सोमवार को नगर भवन में विधानसभा स्तरीय सरहुल मिलन संचालन समिति की ओर से आयोजित कर्रा, मुरहू और खूंटी के गांवों के ग्रामप्रधान, पहान और पुजार के सम्मान में आयोजित समारोह में बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग सरना कोड की मांग कर रहे हैं. विधानसभा में जब सरना बिल आया था, तब उन्होंने अपनी बातों को रखा. बिल में आदिवासी/सरना में ओबलिक को हटाने का मांग रखी. इसके बाद उसे हटाया भी गया. उन्होंने कहा कि 1961 में आदिवासियों के लिए अलग कोड को हटा दिया गया. विधायक ने कहा कि उनका प्रयास है कि सभी लोगों का विकास करें. उसी प्रकार सरना समाज का भी विकास करना मेरा दायित्व है. उन्होंने बताया कि पिछले दिनों सरहुल मिलन समारोह में मुंडा, पहान, पुजार, ग्राम प्रधान को सम्मानित नहीं किया जा सका था. इस कारण आज उन्हें सम्मानित किया गया. इससे पहले विधायक ने मुरहू, कर्रा और खूंटी प्रखंड के ग्राम प्रधान, मुंडा, पहान-पुजार को पगड़ी पहनाकर स्वागत किया. इस अवसर पर गया मुंडा के वंशज रमय मुंडा को भी सम्मानित किया. समारोह को पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष अर्जुन पाहन, तेंबा उरांव, डहरू पाहन, हरि सिंह मुंडा, छुनकु मुंडा आदि ने संबोधित किया. स्वागत भाषण अनूप कुजूर ने किया. संचालन बिरसा धान और विनोद नाग ने किया. मौके पर विधायक प्रतिनिधि काशीनाथ महतो, रूपेश जायसवाल, राजेश महतो, सुरेश जायसवाल आदि उपस्थित थे.

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