सहायक पुलिसकर्मियों की वार्ता विफल, आंदोलन पर डटे
तीन सालों के लिए अनुबंध पर कार्यरत हजारों सहायक पुलिसकर्मी स्थायी नौकरी की मांग को लेकर सीएम आवास का घेराव करने के लिए शनिवार को 12 जिलों से रांची पहुंचे. इस दौरान राजभवन के समीप कुछ महिला सहायक पुलिसकर्मियों पर सुरक्षा में तैनात आइआरबी के जवानों ने लाठीचार्ज कर दिया.
रांची : तीन सालों के लिए अनुबंध पर कार्यरत हजारों सहायक पुलिसकर्मी स्थायी नौकरी की मांग को लेकर सीएम आवास का घेराव करने के लिए शनिवार को 12 जिलों से रांची पहुंचे. इस दौरान राजभवन के समीप कुछ महिला सहायक पुलिसकर्मियों पर सुरक्षा में तैनात आइआरबी के जवानों ने लाठीचार्ज कर दिया. इस वजह से दो महिला पुलिसकर्मी बेहोश हो गयीं. खबर लिखे जाने तक सहायक पुलिसकर्मियों को सुबह से ही मोरहाबादी मैदान में ही एक तरह से नजरबंद रखा गया था. वहां से सीएम हाउस व राजभवन जानेवाले रास्ते पर जगह-जगह बैरिकेडिंग लगा कर बड़ी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गयी थी. इस वजह से मैदान में ही सहायक महिला व पुरुष पुलिसकर्मी आंदोलन पर डटे रहे. तेज धूप में जिनकी तबीयत खराब हो रही थी वे बारी-बारी से मैदान में बने शेड में चले जा रहे थे.
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आइआरबी के जवानों ने किया लाठीचार्ज, दो महिला पुलिसकर्मी बेहोश
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आइआरबी के जवानों ने किया लाठीचार्ज, दो महिला पुलिसकर्मी बेहोश
महिला पुलिसकर्मी छोटे-छोटे बच्चों को लेकर भी आयीं थी. आंदोलन के दौरान कहीं भी सोशल डिस्टैंसिंग का पालन नहीं हो रहा था. कुछ पुलिसकर्मी मास्क जरूर लगाये थे. आंदोलन में शामिल सहायक पुलिसकर्मियों को वार्ता के लिए डीआइजी और रांची एसएसपी के पास ले जाया गया. जिसमें उन्हें अन्य पुलिसकर्मियों की तरह छुट्टी देने पर कार्रवाई किये जाने का भरोसा दिया गया. लेकिन स्थायी करने सहित अन्य मांगों पर बात नहीं बनी. इसको देखते हुए सहायक पुलिसकर्मियों का कहना था कि जब तक मामले में सीएम से वार्ता नहीं होती है और ठोस कार्रवाई का आश्वासन नहीं मिलता है, वे लोग आंदोलन पर डटे रहेंगे.
देर शाम गृह सचिव सह मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का से प्रतनिधिमंडल ने बात की. उन्होंने सहायक पुलिसकर्मियों के एक साल एक्सटेंशन के प्रस्ताव को स्वीकृति दिलाने और आनेवाले समय में जो बहाली होगी, उसमें प्राथमिकता दिये जाने की बात कही. लेकिन, प्रतिनिधिमंडल राजी नहीं हुए. उनका कहना है कि रविवार को सीएम से वार्ता के बाद वे लोग आगे का निर्णय लेंगे.
बता दें कि राज्य के 12 जिलों चतरा, गिरिडीह, पलामू, गढ़वा, सिमडेगा, चाईबासा, गुमला, लोहरदगा, लातेहार, खूंटी,जमशेदपुर, और दुमका में अगस्त 2017 में 2500 सहायक पुलिसकर्मियों को तीन साल के अनुबंध पर बहाल किया गया था. अगस्त 2020 में यह अवधि समाप्त हो गयी. फिर भी जिलों में इनसें ड्यूटी ली जा रही थी. वर्तमान में 2350 सहायक पुलिसकर्मी हैं. सभी आंदोलन को लेकर रांची आये हुए थे.
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डीआइजी और एसएसपी से वार्ता के बाद गृह सचिव से भी वार्ता विफल
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सीएम से वार्ता के बाद लेंगे निर्णय
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12 जिलों के करीब 2300 सहायक महिला-पुरुष पुलिसकर्मी मोरहाबादी मैदान मेें डटे
काेरोना को लेकर सोशल डिस्टैंसिंग का नहीं हो रहा पालन रास्ते में आने के दौरान खलारी डीएसपी ने हाथ उठाया : महिला पुलिसकर्मी- एक महिला पुलिसकर्मी ने कहा कि रांची आने के दौरान उनलोगों की गाड़ियों को जगह-जगह पुलिस और अन्य पदाधिकारियों द्वारा जबरन रोका गया. काफी डर-डर कर वे लोग रांची आये. रास्ते में खलारी डीएसपी मनोज कुमार ने उन लोगों पर हाथ भी उठाया. वहीं पलामू की एक महिला कर्मी ने बताया कि वे लोग पलामू से रांची के लिए चल चुके थे. तब वहां के एसपी का फोन आया कि तुमलोग वापस आ जाओ. यहां बात करते हैं. जरूरत पड़ेगी, तो बस दिया जायेगा रांची जाने के लिए.
लेकिन वापस जाने के बाद उन्हें कहा गया कि तुमलोगों को गाड़ी की सुविधा नहीं दी जा सकती. फिर वे लोग किसी तरह गाड़ी बुक कर रांची के लिए चले. लेकिन रांची पहुंचने से पहले उनलोगों को रोक दिया गया. पैदल ही वे लोग रांची आये. सिर्फ बिस्कुट खाकर आंदोलन पर डटे हैं. बच्चों को खिलाने और दूध देने के लिए भी पैसे नहीं है. सरकार ने नक्सलियों से लड़ने के लिए बहाली की थी, अब नौकरी स्थायी नहीं होगी, तो हमलोग क्या करेंगे.
Post by : Pritish Sahay