रांची : झारखंड में सोमवार तक बैंकों में छुट्टी है. इस बीच डिजिटल ट्रांजेक्शन और क्यूआर कोड सुविधावाले पेमेंट एेप ने कैश की शॉर्टेज जैसी समस्या से लोगों को मुक्त कर दिया है. आज डिजिटल ट्रांजेक्शन हर जगह हो रहा है. फल से लेकर सब्जियों की खरीदारी में भी लोग क्यूआर कोड के जरिए पेमेंट दे रहे हैं.
बड़े रिटेल आउटलेट्स से लेकर छोटे दुकानदार भी इसका उपयोग जम कर कर रहे हैं. इस्तेमाल करने वालों में बड़ी तादाद युवाओं की है. राज्य के 37 लाख से ज्यादा ग्राहक नेट बैंकिंग सुविधा का उपयोग कर रहे हैं.
वहीं, शहर के कई बड़े रिटेलर्स से लेकर छोटे दुकानदारों के पास पीओएस मशीन भी है. पीओएस मशीन का इस्तेमाल कार्ड स्वाइप करने में आता है. इसके जरिए भी लोग अपने डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिए आसानी से पेमेंट कर सकते हैं. राज्यभर में 48,562 पीओएस मशीन उपयोग में लायी जा रही है.
वहीं, पेमेंट एेप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें न तो किसी मशीन के कांटेक्ट में आना पड़ता है. न ही पब्लिकली अपने कार्ड का सिक्योरिटी नंबर मशीन में डालना होता है. पेमेंट ऐप में यूनीफाइड क्यूआर कोड होता है, मोबाइल से स्कैन करते ही बैंक अकाउंट में पैसे चले जाते हैं. इंस्टेंट सेटलमेंट के लिए जीरो एमडीआर शुल्क लगता है.
स्मार्टफोन में क्यूआर कोड का फीचर शामिल है, जिनकी मदद से किसी भी सामान के लिए क्यूआर कोड स्कैन कर चुटकी में पेमेंट कर दे रहे हैं. इससे कैश साथ में लेकर चलने का झंझट भी खत्म हो गया है.
शुभम कुमार, इंजीनियरिंग स्टूडेंट
डिजिटल पेमेंट्स का उपयोग करने की मुख्य वजह पैसे के लेन-देन की झंझट को खत्म करना है. किसी भी क्यूआर कोड (भीम यूपीआइ, गूगल-पे, पे-टीएम फोनपे) को स्कैन कर तत्काल भुगतान कर सकते हैं.
– रजनीश कुमार, प्रोपराइटर, मोना
कोरोना काल में इ-वॉलेट या पेमेंट एेप का प्रयोग मोबाइल के जरिए किसी भी तरह के पेमेंट करने में कर रहे हैं. इससे सोशल डिस्टैंसिंग का नियम भी पूरा होता है.
सुबोध कुमार, बैंककर्मी
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