नयी शिक्षा नीति पर बोले सीएम हेमंत सोरेन-विरोध केवल राजनीति के लिए न हो
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नयी शिक्षा नीति पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण का 2010-11 में भाजपा ने पुरजोर विरोध किया था और झामुमो ने भी साथ दिया था, लेकिन अब कुछ और हो रहा है
रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नयी शिक्षा नीति पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण का 2010-11 में भाजपा ने पुरजोर विरोध किया था और झामुमो ने भी साथ दिया था, लेकिन अब कुछ और हो रहा है. विरोध करना केवल राजनीति के लिए नहीं हो, बल्कि जनभावना के अनुरूप हो. देश में 70 प्रतिशत आबादी आदिवासी, दलित और पिछड़ों की है. उनका क्या होगा? अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ों के अारक्षण का दस्तावेज में स्पष्ट नहीं है.
रोजगार का भी दस्तावेज में जिक्र नहीं : मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के समानांतर विषय रोजगार है. उसका भी जिक्र मौजूदा दस्तावेज नहीं है. शिक्षा से रोजगार का मार्ग प्रशस्त नहीं होता है, तो शिक्षा कैसे ग्रहण करेंगे. आदिवासी दलित को पढ़ाई के अतिरिक्त पेट की चिंता भी होती है. फिर भी पेट काट कर वे पढ़ाने की हिम्मत कर रहे हैं.
निजीकरण उनकी हिम्मत और सीढ़ी छीनने के बराबर होगा. हमने अपनी आशंका जता दी है. योजना को धरातल पर उतारना राज्य सरकार की जवाबदेही होती है. इस विषय पर सही तरीके से बातें नहीं रखी गयीं और संघीय व्यवस्था के पिलर को नजरअंदाज किया गया, तो वह धराशायी हो जायेगा.
सीएम ने उठाये अहम सवाल
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देश में 70% आदिवासी, दलित व पिछड़ों की आबादी, उनका क्या होगा?
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राज्य के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में कौन संस्थान खोलेंगे?
Posy by : Pritish Sahay