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व्यापारीकरण को बढ़ावा दे रही नयी शिक्षा नीति- हेमंत सोरेन

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि ‘नयी शिक्षा नीति’ निजीकरण और व्यापार काे बढ़ावा दे रही है. इस नीति में निजी और विदेशी संस्थानों को आमंत्रित करने की बात है. लेकिन, आदिवासी, दलित, पिछड़े, किसान-मजदूर वर्ग के बच्चों के हितों की रक्षा के बारे में इसमें कुछ ठोस नहीं कहा गया है

By Prabhat Khabar News Desk | September 8, 2020 4:59 AM

रांची : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि ‘नयी शिक्षा नीति’ निजीकरण और व्यापार काे बढ़ावा दे रही है. इस नीति में निजी और विदेशी संस्थानों को आमंत्रित करने की बात है. लेकिन, आदिवासी, दलित, पिछड़े, किसान-मजदूर वर्ग के बच्चों के हितों की रक्षा के बारे में इसमें कुछ ठोस नहीं कहा गया है. क्या 70-80 प्रतिशत के बीच की जनसंख्या वाले इस बड़े वर्ग के बच्चे लाखों-करोड़ों की फीस दे पायेंगे?

श्री सोरेन सोमवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में ‘उच्चतर शिक्षा के रूपांतरण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 की भूमिका’ पर आयोजित वर्चुअल चर्चा को संबोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने शिक्षा नीति पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार को बधाई देते हुए कहा : भारत विविधताओं से भरा देश है. यहां विभिन्न राज्यों की जरूरतें अलग-अलग हैं. जैसा कि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है, इसे बनाने में सभी राज्यों के साथ खुले मन से चर्चा होनी चाहिए थी.

उन्होंने इस नीति को बनाने में पारदर्शिता और परामर्श का अभाव बताते हुए यह भी कहा कि राज्यों के साथ पहले चर्चा नहीं की गयी. मौके पर मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, सीएम के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का और शिक्षा सचिव राहुल शर्मा उपस्थित थे.

प्रधानमंत्री से निजीकरण पर सवाल : मुख्यमंत्री ने कहा कि कई सार्वजनिक संस्थानों के निजीकरण के निर्णय, कॉमर्शियल माइनिंग और जीएसटी पर केंद्र सरकार के एकतरफा निर्णय के बाद अब नयी शिक्षा नीति के नियमन में राज्यों से सलाह मशविरा का अभाव मुझे सहकारी संघवाद की बुनियाद पर आघात प्रतीत होती है. मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से कहा कि आप और आपकी पार्टी ने 2010-11 में निजी सस्थानों को बढ़ावा देने संबंधी निर्णय का विरोध किया था. उसे झारखंड मुक्ति मोर्चा जैसे अन्य दलों का समर्थन भी मिला था. तो किन परिस्थितियों में आज नयी शिक्षा नीति में विदेशी निजी शिक्षण केंद्रों को बढ़ावा देने का मन बना लिया गया?

सरकारी संस्थानों के अच्छे प्रोफेसरों को कैसे रोक पायेंगे? : सीएम ने कहा कि लाखों-करोड़ों की फीस वसूलनेवाले निजी विवि जब हमारे प्रतिष्ठित संस्थानों के अच्छे प्रोफेसरों को बड़े सैलरी पैकेज का ऑफर देंगे, तो हम उन्हें कैसे रोक पायेंगे? और इससे हानि किस वर्ग के विद्यार्थियों को होगी? शिक्षा नीति के साथ इसमें रोजगार संबंधित नीति पर भी चर्चा होनी चाहिए थी. सीएम ने कहा कि जीडीपी का छह प्रतिशत शिक्षा पर खर्च होगा, तो राज्यों पर कितना अतिरिक्त बोझ आयेगा?

  • विरोध केवल राजनीति के लिए न हो, बल्कि जनभावनाओं के अनुरूप हो : हेमंत

  • सीएम ने उठाये अहम सवाल

  • देश में 70 प्रतिशत आबादी आदिवासी, दलित और पिछड़ों की है, उनका क्या होगा?

राज्य के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में कौन संस्थान खोलेगे? : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नयी शिक्षा नीति पर मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में निजीकरण का 2010-11 में भाजपा ने पुरजोर विरोध किया था और झामुमो ने भी साथ दिया था, लेकिन अब कुछ और हो रहा है. विरोध करना केवल राजनीति के लिए नहीं हो, बल्कि जनभावना के अनुरूप हो. देश में 70 प्रतिशत आबादी आदिवासी, दलित और पिछड़ों की है. उनका क्या होगा? अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ों के अारक्षण का दस्तावेज में स्पष्ट नहीं है.

शिक्षा को लेकर वर्तमान सरकारी व्यवस्था पर हो चिंतन : उन्होंने कहा कि देश के 50 प्रतिशत से अधिक बच्चे सरकारी स्कूल-कॉलेज में पढ़ते हैं. निजीकरण को लेकर जब केंद्र सरकार आगे बढ़ रही है, तो मौजूदा सरकारी व्यवस्था पर भी चिंतन होना चाहिए. सीएम ने सवाल रखा कि झारखंड के सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र सारंडा के जंगल और ओड़िशा के कालाहांडी में कौन संस्थान खोलेगा. संस्थान वहीं खोले जायेंगे, जहां सुविधाएं ज्यादा होंगी. ये संस्थान महानगरों में खुलेंगे.

रोजगार का भी दस्तावेज में जिक्र नहीं : मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के समानांतर विषय रोजगार है. उसका भी जिक्र मौजूदा दस्तावेज नहीं है. शिक्षा से रोजगार का मार्ग प्रशस्त नहीं होता है, तो शिक्षा कैसे ग्रहण करेंगे. आदिवासी दलित को पढ़ाई के अतिरिक्त पेट की चिंता भी होती है. फिर भी पेट काट कर वे पढ़ाने की हिम्मत कर रहे हैं. निजीकरण उनकी हिम्मत और सीढ़ी छीनने के बराबर होगा. हमने अपनी आशंका जता दी है. सीएम ने कहा कि योजना को धरातल पर उतारना राज्य सरकार की जवाबदेही होती है. इस विषय पर सही तरीके से बातें नहीं रखी गयीं और संघीय व्यवस्था के पिलर को नजरअंदाज किया गया, तो वह धराशायी हो जायेगा.

  • उच्चतर शिक्षा के रूपांतरण में राष्ट्रीय शिक्षा नीति -2020 की भूमिका पर आयोजित हुई वर्चुअल चर्चा

  • मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पीएम नरेंद्र मोदी के समक्ष रखी अपनी बात

  • केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, राज्यपाल, उप राज्यपाल व शिक्षा मंत्री हुए शामिल

झारखंड की क्षेत्रीय भाषा नहीं : सीएम ने कहा कि नयी शिक्षा नीति में आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं का ही जिक्र किया गया है. जबकि बहुत सी भाषाएं सूची में शामिल नहीं हैं. झारखंड की हो, मुंडारी, उरांव (कुड़ुख) जैसी भाषाएं शामिल नहीं हैं, जबकि इनके बोलनेवाले 10-20 लाख हैं. सीएम ने विश्वविद्यालयों को स्वायतत्ता देने की बात भी कही. उन्होंने कहा कि भौगोलिक कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां शायद ही कोई निवेशक शिक्षा में निवेश करेगा. तब पिछड़े व उपेक्षित इलाकों में नये संस्थान नहीं खुल पायेंगे. सीएम ने कहा कि निजीकरण एवं व्यापारीकरण को बढ़ावा देना एक बड़े वर्ग के साथ अन्याय होगा.

Post by : Pritish Sahay

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