Jharkhand News, Ranchi News रांची: नयी उत्पाद नीति से झारखंड सरकार को इस बार बंपर फायदा हुआ है. सरकार ने मई माह में शराब की बिक्री और उठाव से 188 करोड़ का राजस्व अर्जित किया है. खुदरा उत्पाद दुकानों के संचालन से अर्जित 183 करोड़ की राशि राज्य सरकार के खाते में जमा करा दी गयी है. आपको बता दें कि ये पिछले साल फरवरी में 166 करोड़ के मुकाबले 22 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई है. उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे ने ये जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि नयी उत्पाद नीतियों के बल पर हमने अब तक की बिक्री के सभी रिकॉर्ड को ध्वस्त किया है. 15 नवंबर 2000 के बाद एक माह में अब तक यह सर्वाधिक रेवेन्यू है.
उत्पाद आयुक्त अमित कुमार ने बताया कि एक माह से 49 दुकानों में ट्रैक एंड ट्रेस सिस्टम पायलट प्रोजेक्ट के रूप में संचालित हो रहा है. एक जून से पांच जिलों (रांची, जमशेदपुर, धनबाद, सरायकेला और बोकारो) में भी यह सिस्टम प्रारंभ किया जा रहा है. उक्त व्यवस्था लागू होने से लिकेज की संभावना खत्म हो जायेगी. मौके पर झारखंड राज्य बिवरेजेज काॅरपोरेशन लिमिटेड के पदाधिकारी भी मौजूद थे.
इस साल राज्य के लिए 2200 करोड़ रुपये के राजस्व लक्ष्य को रखा गया है. उत्पाद सचिव ने कहा कि मौजूदा नीतियों को लागू करने के बाद प्रत्येक माह करीब 200 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल होगा. वर्ष 2017 में उत्पाद नीति को लागू करने पर महज 23 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था. अप्रैल 2019 के पहले माह में महज 152 करोड़ का राजस्व जुटाया जा सका था. राशि उस वक्त से 36 करोड़ यानी यह तकरीबन 25 प्रतिशत अधिक है.
उत्पाद विभाग ने बताया कि गर्मी के कारण बीयर की खपत अधिक है. इस कारण मांग पूरी करने में परेशानी आ रही है. बीयर की सप्लाई के लिए बोकारो में एक बड़े बिवरेज को स्थापित करने का प्रयास चल रहा है. इसके लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से पर्यावरण संबंधी मंजूरी की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. इसके बाद समस्या नहीं रहेगी.
जल्द ही राज्य भर की 1434 दुकानों में क्यूआर कोड और डिजिटल पेमेंट की सुविधा बहाल होगी. इसके लिए पीएनबी सहित अन्य बैंकों से समझौता किया जा रहा है.
झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने उत्पाद विभाग द्वारा जारी आंकड़े पर सवाल उठाये हैं. संघ के सचिव सुबोध कुमार जायसवाल ने कहा कि राजस्व संबंधी तथ्यों को आम जनता के सामने बड़ी ही चतुराई के साथ पेश किया गया है. मई महीने में लोकप्रिय ब्रांड उपलब्ध ही नहीं है, तो कमाई कहां से हुई.