खूंटी में नये चेहरों के उतरने से बढ़ा रोमांच
नये चेहरों में जयंत जयपाल सिंह मुंडा हैं, जो मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के पुत्र हैं. उन्हें अबुआ झारखंड पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है. दूसरी, बेलोसा बबीता कच्छप हैं, जो भारत आदिवासी पार्टी (बाप) की उम्मीदवार है.
रांची.उलगुलान की धरती खूंटी में लोकसभा चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक सरगर्मी फिर से तेज हो गयी है. खूंटी लोकसभा क्षेत्र आदिवासी बहुल है और अंग्रेजों के समय से ही यह क्षेत्र जन आंदोलनों के लिए जाना जाता रहा है. कुछ साल पहले तक पत्थलगड़ी के नये स्वरूप से को लेकर यह क्षेत्र देशभर में चर्चित रहा. अब इस बार खूंटी लोकसभा क्षेत्र अपने प्रत्याशियों की वजह से भी चर्चा में आ गया है. एनडीए से केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा और इंडिया गठबंधन की ओर से कांग्रेस के कालीचरण मुंडा चुनाव मैदान में उतरे हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में इन्हीं दोनों प्रत्याशियों के बीच कांटे की टक्कर हुई थी, जिसमें भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा विजयी हुए थे. इस बार कुछ और चेहरे हैं, जो पहली बार खूंटी से अपनी किस्मत आजमाने चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. इनमें एक तो जयंत जयपाल सिंह मुंडा हैं, जो मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा के पुत्र हैं. उन्हें अबुआ झारखंड पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित किया है. दूसरी, बेलोसा बबीता कच्छप हैं, जो भारत आदिवासी पार्टी (बाप) की उम्मीदवार है. अभी नामांकन दाखिल करने तक कुछ और खिलाड़ी इस चुनावी दंगल में सामने आ सकते हैं. जयंत जयपाल सिंह अपने पिता की विरासत और झारखंड की सबसे पुरानी पार्टी झारखंड पार्टी से निकले अबुआ झारखंड पार्टी के नाम के सहारे चुनावी दंगल में हैं. उनकी पार्टी वृहद झारखंड की पुरानी मांग, पेसा कानून, सीएनटी एसपीटी एक्ट को सख्ती से लागू करने, लैंड बैंक को समाप्त करने, तथा खूंटी क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज जैसे मुद्दों को लेकर चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं बेलोसा बबीता कच्छप सबसे युवा उम्मीदवार हैं. कुछ साल पहले खूंटी क्षेत्र में वह नयी तरह की पत्थलगड़ी आंदोलन से जुड़ी थीं. उस आंदोलन में तब सरकारी, स्कूलों, कॉलेजों, बैंक, शासन व्यवस्था और चुनाव तक बहिष्कार किया गया था. अब बदली हुई परिस्थिति में बेलोसा बबीता कच्छप अब लोकतांत्रिक चुनावी व्यवस्था पर आस्था व्यक्त करती हुई चुनावी मैदान में उतर गयी हैं.