रांची : झारखंड हाईकोर्ट ने आज से लागू नये कानून भारतीय न्याय संहिता-2023 से संबंधित प्रकाशित पुस्तक में त्रुटि को गंभीरता से लिया है. जस्टिस आनंद सेन व जस्टिस सुभाषचंद की खंडपीठ ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए उसे एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर के समक्ष रेफर कर दिया है. खंडपीठ ने भारतीय न्याय संहिता-2023 के प्रकाशक यूनिवर्सल लेक्सिसनेक्सिस को पुस्तक के कुछ अंश की त्रुटि को तुरंत दूर कर हाइकोर्ट को सूचित करने का निर्देश दिया है.
झारखंड हाईकोर्ट ने कहा कि प्रकाशक यूनिवर्सल लेक्सिसनेक्सिस ने भारत सरकार द्वारा जारी भारतीय न्याय संहिता-2023 के गजट नोटिफिकेशन से मिलान किये बिना ही इस पुस्तक को छाप दिया है. गजट नोटिफिकेशन में न्याय संहिता की धारा-103 की जो व्याख्या है, वह प्रकाशित पुस्तक में अलग है, जबकि पुस्तक में भी धारा-103 की व्याख्या वहीं होनी चाहिए थी, जो भारत सरकार के गजट नोटिफिकेशन में है. खंडपीठ ने कहा कि कानून की पुस्तक में त्रुटि का होना गंभीर बात है.
मानवीय भूल हो सकती है और यह भूल चूक के कारण हुई होगी, लेकिन यह गलती सभी संबंधित लोगों के लिए घातक और शर्मनाक हो सकती है. इस पुस्तक में कोई छोटी गलती होने से उसकी व्याख्या कोर्ट, वकील व मुव्वकिल अपने- अपने तरह से करेंगे. ऐसे में त्रुटि को तुरंत ठीक करना जरूरी है, क्योंकि उक्त पुस्तक बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं, लाइब्रेरी, कोर्ट आदि के लिए जायेंगे.
इसलिए प्रकाशक को बिना देरी किये इस त्रुटि को सुधारने के लिए तत्काल उचित कदम उठाना चाहिए. इसके अलावा, जहां तक भारतीय न्याय संहिता का संबंध है, यूनिवर्सल लेक्सिसनेक्सिस द्वारा प्रकाशित बेयर एक्ट व क्रिमिनल मैनुअल, जो बेचे नहीं गये हैं और पुस्तक विक्रेताओं या वितरकों के पास पड़े हैं, उन्हें तब तक आगे नहीं बेचा जाना चाहिए, जब तक कि उनकी सामग्री में सुधार व सुधार न कर लिया जाये. उन्हें आवश्यक सुधार/सुधार करने के बाद ही बेचा जाना चाहिए. खंडपीठ ने प्रकाशक यूनिवर्सल लेक्सिसनेक्सिस को मामले में प्रतिवादी बनाया है.
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