अब किताब पढ़िए नहीं…सुनिए, युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है ऑडियोबुक का ट्रेंड
इस नयी तकनीक ने किताबों से लोगों को दोबारा जोड़ना शुरू कर दिया है. फर्क सिर्फ इतना है कि अब मोटी किताबें हाथों में नहीं, बल्कि ऐप पर उपलब्ध हैं. ऑडियोबुक को बंद कमरे में शांत मन से सुना जाये, तो वह घटनाक्रम से जोड़ सकता है.
रांची, अभिषेक रॉय : तकनीक के इस युग में सब कुछ डिजिटल होता जा रहा है. इस बदलाव में किताबें भी शामिल हो गयी हैं. अब किताबों को पढ़ने के साथ-साथ सुना भी जा सकता है. यह नया ट्रेंड ऑडियोबुक का है. युवाओं ने साहित्य संसार को जीवंत रखने का मॉडर्न तरीका पेश किया है. ”किताबें वाया ऑडियोबुक”. इस नयी तकनीक ने किताबों से लोगों को दोबारा जोड़ना शुरू कर दिया है. फर्क सिर्फ इतना है कि अब मोटी किताबें हाथों में नहीं, बल्कि ऐप पर उपलब्ध हैं. किताब की भाषाई रचना ऑडियो रिकॉर्डिंग रूप में लोगों तक पहुंच रही है. लोग जहां किताबों को पढ़ने में हफ्तों का समय ले रहे थे, अब उन्हीं कंटेंट को चंद घंटों में सुन सकते हैं. इससे रचनाकारों की संवेदना भी भाषाई तौर पर लोगों के मन को छू रही है.
युवाओं में तेजी से बढ़ रहा ट्रेंड
2010 के बाद जन्म लेनेवाले को जेड पीढ़ी में शामिल किया गया है. यह पीढ़ी टेक्नोलॉजी फ्रेंडली है. इसी पीढ़ी ने किताबों के डिजिटल फाॅर्मेट को लोकप्रियता दी है. ई-बुक और ऑडियोबुक का काॅन्सेप्ट आया है. ई-बुक मूल किताब का डिजिटल रूपांतरण है, जिसे हार्ड बुक की जगह मोबाइल, लैपटॉप या टैब में एक डिजिटल डॉक्यूमेंट के तौर पर पढ़ा जा सकता है. वहीं, दूसरा विकल्प है ऑडियोबुक. इसमें किताबों की शाब्दिक रचना को सुन सकते हैं. टेक्नोलॉजी फ्रेंडली युवाओं में इन दोनों माध्यमों का क्रेज तेजी से बढ़ा है. एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में प्रतिमाह 15000 से अधिक लोग लगातार विभिन्न ऑडियोबुक प्लेटफॉर्म से जुड़ रहे हैं. साहित्यकारों की रचनाएं डिजिटल माध्यम से पाठकों तक पहुंच रही हैं.
हर एपिसोड काे रोचक तरीके से किया जा रहा है पेश
जिस तरह किताबों में घटनाक्रम को अलग-अलग खंड में बांटा जाता है, ठीक उसी तरह ऑडियोबुक के कंटेंट भी विभिन्न एपिसोड में उपलब्ध हैं. एक एपिसोड 20 से 40 मिनट का है, जिसे लोग कहीं भी खाली समय में सुन सकते हैं. एपिसोड की रोचक शृंखला तैयार की जा रही, ताकि लोग उससे बंधे रहे. युवाओं का कहना है कि ऑडियोबुक से किताब और समाहित विषय की गहराई तक पहुंचना आसान है. वहीं, साहित्यकारों का कहना है कि बदलती तकनीक ने किताबों की पहुंच बढ़ा दी है.
ट्रायल पीरियड में इन किताबों को सुन सकते हैं
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स्टोरीटेल : नीम का पेड़ (राही मासूम रजा), काशी का अस्सी (काशीनाथ सिंह), शर्मिष्ठा (अणुशक्ति सिंह), वैशाली की नगरवधू (आचार्य चतुरसेन), औघड़ (नीलोत्पल मृणाल), दरकते हिमालय पर दर-ब-दर (अजय सोडानी), परमवीर चक्र (कर्नल गौतम राजऋषि), केनेडीः बदलती दुनिया का चश्मदीद, मैं पाकिस्तान में भारत का जासूस था, वह भी कोई देश है महाराज को उपलब्ध हैं.
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साथ ही लोग अनुवादित किताब भी पढ़ सकते हैं. इसमें मैं हिंदू क्यों हूं : शशि थरूर, भारत हमें क्या सिखा सकता है-मैक्समूलर, अंधकार काल-शशि थरूर, भीमराव आंबेडकर : एक जीवनी-क्रिस्टोफर जाफ्रलो और मिशन इंडिया-डॉ एपीजे अब्दुल कलाम जैसी किताबें शामिल हैं.
पॉडकास्ट का ट्रेंड बढ़ा
ऑडियोबुक के चलन बढ़ने से इस श्रेणी में नया बदलाव आया हैं. जिसे अब ”पॉडकास्ट” का नाम दे दिया गया है. इसमें वाॅयस ओवर आर्टिस्ट पॉडकास्टर के रूप में अलग-अलग जॉनर में काम कर रहे हैं. यानी जिसकी जैसी आवाज उसी के अनुरूप काम. पॉडकास्ट में स्टोरी टेलिंग, नरेशन, वाॅयस क्लिप, ऑडियोबुक एपिसोड जैसे विकल्प हैं.
ऑडियोबुक से रोजगार की नयी संभावना भी बनी है
साहित्य जगत में तकनीक के हस्तक्षेप से रोजगार का नया माध्यम तैयार हुआ है. पहले साहित्य जगत में सिर्फ कंटेंट राइटर को ही तवज्जो मिल रही थी. अब ऑडियोबुक के प्रचलन में आने से वॉयस ओवर आर्टिस्ट के रूप में रोजगार का नया विकल्प तैयार हुआ है. वाॅयस ओवर आर्टिस्ट अपनी आवाज के दम पर विभिन्न विषयों पर लिखी पुस्तकों से श्रोताओं को जोड़ रहे हैं. इन कंटेंट को सुनाना भी कलात्मक शैली है. इससे लोगों का विषय के प्रति जुड़ाव बढ़ता है.
युवाओं की बात
स्पॉटिफाई पर बीयरबाइसेप्स की ओर से आयोजित रणवीर शो को सुनती हूं. इसमें बिजनेस से जुड़ी बारीकियों से परिचय कराया जाता है. यह जानकारी किताबों में भी है, लेकिन ऑडियोबुक को सुनने से विषय को समझना आसान हो जाता है.
– अंशु धान
लॉ की छात्रा होने की वजह से कई विषयों पर किताबें पढ़नी होती है. कम समय में ज्यादा विषयों को कवर कर सकूं, इसके लिए पॉडकास्ट का सहारा लेती हूं. रॉटेन मैंगो और बेकिंग ए मर्डर जैसे चैनल पर जांच प्रक्रिया, कानूनी लड़ाई और सरकारी सुरक्षा के कामकाज जैसे विषयों की जानकारी मिल जाती है. किताब के जरिये इन विषयों को समझना जटिल है.
– श्रेया श्रुति
साहित्यकार रणेंद्र ने कहा, बीते वक्त की याद दिलाता है ऑडियोबुक
साहित्यकार रणेंद्र ने कहा कि ऑडियोबुक हमें बचपन से जोड़ रहा है. यह बीते वक्त की याद दिलाता है. सभी लोग दादी-नानी की कहानी सुनकर बड़े हुए हैं. कहानी सुनने की परंपरा रही है और इसे पसंद भी किया जाता रहा है. ऑडियोबुक को बंद कमरे में शांत मन से सुना जाये, तो वह घटनाक्रम से जोड़ सकता है़ वर्तमान में साहित्यकारों और प्रकाशकों के बीच होने वाले एग्रीमेंट में भी ऑडियोबुक का जिक्र होता है. रचना लोगों तक किसी माध्यम से पहुंचे, उसकी रॉयल्टी कथाकार या कवि को मिलती ही है. अब डिजिटल माध्यम से रचनाएं ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंच रही हैं.
स्टोरी टेल पर रांची के रेहान को सुन रहे सात मिलियन लोग
मेन रोड रांची के रेहान जलील वॉयस ओवर आर्टिस्ट हैं. उन्होंने बताया कि स्टोरी टेल प्लेटफॉर्म पर उनका ऑडियोबुक (एआर रहमान की ऑटोबायोग्राफी) लगातार ट्रेंड कर रहा है. अब तक सात मिलियन से ज्यादा लोग सुन चुके हैं. इसके अलावा रेहान खुद का पॉडकास्ट चैनल भी चलाते हैं, जहां अलग-अलग विषयों पर अपनी बातें रखते हैं. उन्होंने बताया कि ऑडियोबुक व पॉडकास्ट के प्रचलन में आने से वाॅयस ओवर आर्टिस्ट को रोजगार मिल रहा है. इसमें अपनी आवाज के दम पर हजारों रुपये तक की कमाई की जा सकती है. इसके लिए श्रोताओं को जोड़ना होगा. पार्ट टाइम के रूप में पॉडकास्टर 20-25 हजार रुपये तक कमा सकते हैं.