रांची : साल 2023 खत्म होने को है. यह वर्ष कला-साहित्य के क्षेत्र में अपना योगदान देने वाले शख्सियतों के लिए उपलब्धियों से भरा रहा. अपने कर्म से न केवल शहर में बल्कि देशभर में पहचान बनाने वाली हस्तियों ने राष्ट्रपति से लेकर सामाजिक कार्यक्रम में विभिन्न पुरस्कार हासिल किये. प्रतिष्ठित सम्मान का सिलसिला इस वर्ष फरवरी माह से ही शुरू हो गया. जहां पहली बार झारखंड के कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया गया. 23 फरवरी को दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने चार कलाकारों को संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से सम्मानित किया.
इसमें रांची के रंगकर्मी अजय मलकानी को नाटक के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान रंगमंच के निर्देशक के रूप में मिला. सरायकेला छऊ के लिए ब्रजेंद्र कुमार पटनायक को, संथाली संगीत व पारंपरिक संगीत को संरक्षित रखने के लिए जादूगोड़ा के दुर्गा प्रसाद मुर्मू और बोकारो के चेतन जोशी को हिंदुस्तानी संगीत के क्षेत्र में उनके बांसुरी वादन के लिए सम्मानित किया गया.
लोक गायक महाबीर नायक को 16 सितंबर को दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के हाथों संगीत नाटक अकादेमी अमृत पुरस्कार का सम्मान मिला. उन्होंने महाबीर को ताम्रपत्र, अंगवस्त्रम के अलावा एक लाख रुपये का नकद राशि भेंट की. महाबीर को यह पुरस्कार झारखंडी लोक संगीत में उनके योगदान के लिए दिया गया. मूल रूप से जगन्नाथपुर हटिया के महाबीर नायक घासी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. अकादेमी ने उन्हें यह पुरस्कार झारखंडी लोक संगीत में उनके योगदान को देखते हुए दिया. महाबीर नायक अब तक 500 से अधिक लोक गीत लिख चुके है, जबकि 1000 से अधिक लोक गीत का संकलन किया है. नागपुरी भाषा में उनके भिनसरिया रागा, फ्रगुआ, पावस रागा और मार्दानी झूमर के गीत पूरे राज्य व आस-पास के राज्यों में भी लोकप्रिय है.
वरिष्ठ रंगकर्मी, डीएसपीएमयू हिंदी विभाग के प्राध्यापक सह रंगसंस्था रंगदर्पण के सचिव डॉ अनिल ठाकुर सुमन को ””नाट्य सम्राट भगवान नटराज अवार्ड”” का सम्मान एक नवंबर को वृंदावन में आयोजित ””बांसुरी रंग महोत्सव 2023”” के रजत जयंती समारोह में मिला. डॉ अनिल बीते 30 वर्षों से राज्य में बतौर रंगकर्मी व निर्देशक सक्रिय है.
प्रलेक न्यास की ओर से वर्ष 2023 का प्रलेकन व लेखन सम्मान रांची की डॉ पार्वती तिर्की को मिला. डॉ पार्वती को यह सम्मान उनके प्रथम काव्य संग्रह ””फिर उगना”” के लिए हासिल हुआ. उन्होंने अपने काव्य संग्रह में लोक जीवन, आदिवासी दर्शन, लोक संस्कृति, जल-जंगल-जमीन, लोक आस्था व विश्वास, लोक कथाएं, गीत का मनुष्य पर प्रभाव, परिस्थितिकी तंत्र और प्रकृति के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया है.
साहित्य अकादेमी ने जनवरी माह में महादेव टोप्पो को अकादमी के कार्यकारिणी समिति सदस्य के रूप चुना. इसके बाद 24 अगसत को आदेमी ने नयी जिम्मेदारी सौंपी. इसके तहत उन्हें अकादेमी की ओर से संचालित सेंटर फॉर ओरल एंड ट्राइबल लिटरेचर (कॉटलिट) का भी सदस्य बनाया गया. जिससे महादेव अब सदस्य के रूप में नॉर्थ ईस्ट और भूवनेश्वर सेंटर पर साहित्य के संवर्धन और विकास के साथ-साथ प्रकाशन से जुड़े कामकाज देख रहे हैं.
अघोषित उलगुलान – अनुज लुगुन
शालडुंगरी का घायल सपना – मनोज भक्त
आलोकुठी – विजय गौड़
अगम बहै दरियाव – शिवमूर्ति