रांची (विशेष संवाददाता). संस्कृत कॉलेज, रांची के वरीय प्राध्यापक डॉ शैलेश कुमार मिश्र ने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन भारतीय संस्कृति में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है. महाभारत काल में युधिष्ठिर तथा रामायण काल में लंका विजय के बाद इसी विशिष्ट दिवस पर भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक हुआ था. डॉ मिश्र मंगलवार को डीएसपीएमयू अंतर्गत स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग द्वारा आयोजित भारतीय नवसंवत्सर (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा) के प्रारंभ पर काल गणना विमर्श को लेकर वर्ष प्रतिपदा कार्यक्रम में बोल रहे थे. मारवाड़ी कॉलेज संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ राहुल कुमार ने कहा कि भारतीय काल गणना विश्व की सभी गणनाओं से उत्कृष्ट स्पष्ट व सूक्ष्मतम है. वर्ष प्रतिपदा का उत्सव निश्चित रूप से हमारी भारतीय संस्कृति का मूलाधार है. ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी. कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ धनंजय वासुदेव द्विवेदी ने की. उन्होंने भारतीय कालगणना की सूक्ष्मतम इकाइयों की जानकारी दी.इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ श्वेता और दीपिका द्वारा वैदिक मंगलाचरण तथा शिवम नारायण द्वारा लौकिक मंगलाचरण के साथ हुआ. स्वागत गीत तनु सिंह ने तथा सर्वोत्तमा एवं प्रतिमा ने वर्ष प्रतिपदा पर अपने विचार व्यक्त किये. आगंतुकों का स्वागत डॉ श्रीमित्रा, मंच संचालन शोभा कुमारी तथा आशीष कुमार ने संयुक्त रूप से किया. जबकि धन्यवाद ज्ञापन जगदंबा प्रसाद सिंह ने किया. कार्यक्रम में मेनका, अनामिका व कृति ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया.
युधिष्ठिर व श्रीराम का राज्याभिषेक चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही हुआ : डॉ मिश्र
संस्कृत कॉलेज, रांची के वरीय प्राध्यापक डॉ शैलेश कुमार मिश्र ने कहा कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन भारतीय संस्कृति में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है.
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