रांची. झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य के वन विभाग में बड़ी संख्या में पदों के रिक्त रहने व वन्य जीवों की सुरक्षा को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद व जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान हस्तक्षेपकर्ता व राज्य सरकार का पक्ष सुना. पक्ष सुनने के बाद खंडपीठ ने मामले में झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को प्रतिवादी बनाया. साथ ही राज्य सरकार को अन्य पदों पर नियुक्त करने के मामले में तथा जेपीएससी को सहायक वन संरक्षक (एसीएफ) व वन क्षेत्र पदाधिकारी (रेंजर) के पद पर चल रही नियुक्ति प्रक्रिया के मामले में जवाब दायर करने का निर्देश दिया. पूछा कि कब तक नियुक्ति प्रक्रिया पूरी हो जायेगी. मामले की अगली सुनवाई छह सितंबर को होगी.
जेपीएससी को अधियाचना भेजी गयी
इससे पूर्व राज्य सरकार की ओर से खंडपीठ को बताया गया कि एसीएफ व रेंजर के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए जेपीएससी को अधियाचना भेजी गयी है. अन्य रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए नियमावली बनायी जा रही है. इस पर खंडपीठ ने जवाब दायर करने का निर्देश दिया. वहीं हस्तक्षेपकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिवाकर उपाध्याय ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि लातेहार के जंगलों में हाथियों की मौत को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. इस मामले में विधायक सरयू राय ने भी हस्तक्षेप याचिका दायर की है.
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