निगरानी ने बनाया आरोपी, वन विभाग ने कहा- जहां हुई गड़बड़ी, वहां कभी पदस्थापित नहीं थे अफसर
वर्ष 1996 में हजारीबाग जिले में वन भूमि बेचे जाने का मामला प्रकाश में आया. वर्ष 2006 में इस मामले की विभागीय जांच की गयी. वर्ष 2010 में निगरानी ने जांच शुरू की. अब 10 साल हो गये हैं, लेकिन निगरानी द्वारा मामले की जांच पूरी नहीं किये जाने के कारण वर्तमान में सिमडेगा के डीएफओ प्रवेश अग्रवाल को भारतीय वन सेवा में प्रोन्नति देने में अड़ंगा लग सकता है.
रांची : वर्ष 1996 में हजारीबाग जिले में वन भूमि बेचे जाने का मामला प्रकाश में आया. वर्ष 2006 में इस मामले की विभागीय जांच की गयी. वर्ष 2010 में निगरानी ने जांच शुरू की. अब 10 साल हो गये हैं, लेकिन निगरानी द्वारा मामले की जांच पूरी नहीं किये जाने के कारण वर्तमान में सिमडेगा के डीएफओ प्रवेश अग्रवाल को भारतीय वन सेवा में प्रोन्नति देने में अड़ंगा लग सकता है.
क्या है पूरा मामला : 18 नवंबर 2006 को तत्कालीन क्षेत्रीय वन संरक्षक ने वन भूमि के नक्शे में हेराफेरी के लिए जांच कमेटी का गठन किया. प्रवेश अग्रवाल को कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया. कमेटी में चार और कर्मियों को रखा गया. हजारीबाग पश्चिमी के तत्कालीन वन प्रमंडल पदाधिकारी द्वारा सहयोग नहीं मिलने के कारण 74 दिनों बाद प्रवेश अग्रवाल ने अध्यक्ष पद छोड़ दिया.
दो फरवरी 2007 को प्रवेश अग्रवाल काे जांच कमेटी से हटाये जाने की अधिसूचना जारी कर दी गयी. वहीं, 2010 में निगरानी ने मामले में जांच शुरू की. लेकिन, विभागीय जांच कमेटी के अध्यक्ष प्रवेश अग्रवाल को ही आरोपी बना दिया. 16 सितंबर 2010 को निगरानी ने प्रवेश अग्रवाल (वन संरक्षक) और हजारीबाग वन रोपण प्रमंडल पर प्राथमिकी दर्ज करा दी.
श्री अग्रवाल सहित 27 लोगों को आरोपी बनाया गया. इसकी जानकारी वन विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (हेड ऑफ फोर्स) को दी गयी. तब हेड ऑफ फोर्स ने निगरानी के आरक्षी महानिदेशक को लिखा कि पूरे मामले की जांच करायी गयी. इसमें पाया गया कि श्री अग्रवाल कभी हजारीबाग पश्चिमी में पदस्थापित नहीं थे. इस कारण वन भूमि गड़बड़ी मामले में श्री अग्रवाल की कोई भूमिका नहीं है.
वहीं, प्रवेश अग्रवाल का भी कहना है कि पूरे मामले में मेरी कोई भूमिका ही नहीं है. मुझे तो पूरे मामले की विभागीय जांच कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया था. पता नहीं, निगरानी ने मेरा नाम कैसे जोड़ दिया. अब तक यह मामला चल रहा है. अब प्रवेश अग्रवाल को भारतीय वन सेवा में प्रोन्नत का प्रस्ताव है. जब इस बारे में निगरानी से जानकारी मांगी गयी, तो फिर बताया गया कि उनके खिलाफ जांच चल रही है.
मुख्य बातें :-
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1996 में हजारीबाग जिले में वन भूमि बेचे जाने का मामला, 2006
में हुई विभागीय जांच
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2010 से चल रही है मामले में निगरानी जांच, अब तक कोई नतीजा नहीं निकला
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निगरानी ने वर्ष 2010 में प्रवेश अग्रवाल समेत 27 अन्य के खिलाफ दर्ज करायी प्राथमिकी
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प्रवेश अग्रवाल ने कहा : मैं विभागीय जांच कमेटी का अध्यक्ष था, पूरे मामले में मेरी कोई भूमिका नहीं
Post by : pritish sahay