sdg index report niti aayog jharkhand रांची : विकास के लिए निर्धारित पैमाने (ससटेनेबल डेवलपमेंट गोल) पर झारखंड 27वें नंबर और बिहार 28 वें नंबर पर है. वर्ष 2020 में एसडीजी के 16 बिंदुओं पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किये गये कार्यों के आधार पर नीति आयोग ने परिणाम निकाला है. झारखंड में 36.20 प्रतिशत बच्चे ठिगनापन के शिकार हैं, जबकि 42% बच्चों का वजन कम है. 62 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनिमिया की शिकार हैं, लेकिन 100% परिवारों के पास बैंक खाता है.
नीति आयोग ने एसडीजी के 16 बिंदुओं की समीक्षा करने और हर बिंदु पर किये गये कार्यों के अनुरूप नंबर देने के बाद यह परिणाम निकाला है.
आयोग ने झारखंड को समेकित रूप से 56 व बिहार को कुल 52 अंक मिले हैं. एसडीजी में मिले अंकों के आधार पर बिहार को सबसे नीचे यानी 28 वां और झारखंड को 27 वां रैंक मिला है. पिछले साल भी इन दोनों राज्यों की यही स्थिति थी. 2019 में झारखंड को 53 और बिहार को 52 अंक मिले थे. वर्ष 2020 में सबसे ज्यादा अंक लाकर केरल और चंडीगढ़ विकास के पैमाने पर अव्वल रहे. हिमाचल प्रदेश, दिल्ली,तमिलनाडु,लक्षदीप और पुड्डुचेरी को इस मामले में दूसरा स्थान मिला.
राज्य में 77.80 प्रतिशत लाभुक खाद्य सुरक्षा अधिनियम के दायरे में शामिल हैं. इस मामले में राष्ट्रीय औसत 99.51 प्रतिशत है. राज्य में पांच साल से कम उम्र के 42.90 बच्चों का वजन कम है. पांच साल से कम उम्र के बच्चों का वजन कम होने के मामले में राष्ट्रीय औसत 33.40 प्रतिशत है. पांच साल से कम उम्र के 36.20 प्रतिशत बच्चे ठिगना हैं. 15-49 साल तक 62.60 प्रतिशत गर्भवती एनिमिया की शिकार हैं.
इसके अलावा 10-19 साल के 34 प्रतिशत किशोर भी एनिमिया से पीड़ित हैं. गर्भवती के एनिमिक होने के मामले में राष्ट्रीय औसत 50.40 प्रतिशत और किशोरों के एनिमिया से पीड़ित होने का राष्ट्रीय औसत 28.40 प्रतिशत है. राष्ट्रीय औसत(51.36 प्रतिशत) के मुकाबले झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र की 35.49 प्रतिशत आबादी को पाइपलाइन से पेयजल की सुविधा मिल रही है.
एसडीजी के 16 बिंदुओं पर समीक्षा के बाद नीति आयोग ने निकाला निष्कर्ष
पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल और ओड़िशा की स्थिति झारखंड से बेहतर
झारखंड के पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल और ओड़िशा की स्थिति झारखंड से काफी बेहतर है. पश्चिम बंगाल को एसडीजी में 17 वां और ओड़िशा को 19 वां रैंक मिला. आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2020 की अवधि में गरीबी मिटाने, भूख व पोषण जैसे लक्ष्यों में देश के अन्य राज्यों की तुलना में निचले पांचवें पायदान पर रहा. हालांकि स्वास्थ्य, स्वच्छता और असमानता कम करने जैसे लक्ष्यों में बेहतर काम हुआ. इन बिंदुओं में झारखंड अग्रणी राज्यों में शामिल रहा. लेकिन फिर भी राष्ट्रीय औसत से पीछे रहा. राज्य में 36.96 प्रतिशत आबादी गरीबी रेखा के नीचे रहती है, जबकि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 21.92 प्रतिशत है. मनरेगा में रोजगार मांगनेवालों में से 80.62 प्रतिशत को रोजगार मिला,जबकि राष्ट्रीय औसत 84.44 है.
राज्य रैंक
केरल 01
चंडीगढ़ 01
हिमाचल प्रदेश 02
दिल्ली 02
तमिलनाडु 02
लक्षदीप 02
पुड्डुचेरी 02
आंध्र प्रदेश 04
उत्तराखंड 04
गोवा 04
कर्नाटक 04
अंडमान निकोबार 04
जम्मू कश्मीर 05
लद्दाख 05
दादर नागर हवेली 07
सिक्किम 08
महाराष्ट्र 09
गुजरात 10
तेलंगाना 10
मिजोरम 12
पंजाब 12
हरियाणा 14
त्रिपुरा 15
मणिपुर 16
मध्य प्रदेश 17
पश्चिम बंगाल 17
छत्तीसगढ़ 19
नागालैंड 19
ओड़िशा 19
अरुणाचल प्रदेश 22
मेघालय 22
उत्तर प्रदेश 22
राजस्थान 22
असम 26
झारखंड 27
बिहार 28
Posted by : Sameer Oraon