रांची. नीति आयोग के चेयरमैन डॉ वीके शाश्वत की अध्यक्षता में 11 अप्रैल 2023 को हुई बैठक में एचइसी के पुनरुद्धार की संभावनाओं पर चर्चा हुई थी. लेकिन, बैठक के एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद भी नीति आयोग की सिफारिश लागू नहीं की गयी. वर्तमान में एचइसी की स्थिति और बदतर हो गयी है.
राष्ट्र निर्माण में एचइसी का बहुमूल्य योगदन
बैठक में डॉ शाश्वत ने एचइसी की तकनीकी ताकत के अलावा राष्ट्र निर्माण में एचइसी के बहुमूल्य योगदान की बात स्वीकारी थी. उन्होंने एचइसी के पुनरुद्धार की अनिवार्यता का आकलन करने के लिए बॉक, आइसीएआर, डीआरएमएल, एनपीसीआइएल, भारतीय नौसेना, माझगांव डॉक लिमिटेड व मिश्र धातु निगम लिमिटेड की राय ली थी. बैठक में मौजूद सदस्य एचइसी को चलाने के पक्ष में थे. भारतीय नौसेना के प्रतिनिधि ने कहा था कि एचइसी 2019 में आकांक्षा परियोजना के लिए योग्य पार्टी थी और उसे सम्मानित किया गया था.संघ बनाने का दिया था सुझाव
बैठक में एचइसी की ओर से कहा गया था कि बकाया व पुनरुद्धार के लिए एचइसी को करीब तीन हजार करोड़ रुपये की आवश्यकता है. वहीं, डॉ शाश्वत ने पीएसयू और सरकार का एक संघ (कंसोर्टियम) बनाने का सुझाव दिया था. उन्होंने कंसोर्टियम के सदस्यों के साथ एचइसी बोर्ड के पुनरुद्धार की भी सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि एचइसी को बंद करना देश की आत्मनिर्भरता के हित में नहीं होगा. बैठक में वैकल्पिक रूप से एचइसी के पुनरुद्धार और आधुनिकीकरण के लिए कैबिनेट की मंजूरी की आवश्यकता होगी, ताकि अधिशेष एचइसी भूमि की बिक्री या प्रत्यक्ष सरकारी वित्त पोषण के माध्यम से आवश्यक धन उत्पन्न किया जा सके. बैठक में एचइसी के तत्कालीन सीएमडी नलिन सिंघल ने कंपनी की वर्तमान स्थिति को देखते हुए कंपनी के भविष्य के लिए तत्काल निर्णय लेने की बात कही थी. वहीं, बैठक में भारी उद्योग सचिव ने आगे का रास्ता तैयार करने के लिए एक और बैठक करने की बात कही थी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है