सरहुल शोभायात्रा में डीजे नहीं ढोल- मांदर के साथ आयें , केंद्रीय सरना धर्म समिति ने किया आह्वान
सरहुल जुलूस में आने वालों से यही अपील है कि जो भी लोग आयें वे पांपरिक पहनावे में आयें. महिलाएं लाल पाड़ की साड़ी और पुरुष धोती-सरना गमछा के साथ आयें.
केंद्रीय सरना धर्म समिति ने सोमवार को सरहुल पर्व की तैयारियों पर बैठक का आयोजन किया. जिसमें केंद्रीय सरना समिति और युवा सरना समिति के सदस्यों ने हिस्सा लिया. बैठक में तय किया गया कि इस बार डीजे नहीं बल्कि आदिवासियों के पारंपरिक वाद्य यंत्र के धुन पर सरहुल की यात्रा निकाली जायेगी. मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय सरना समिति के प्रदेश अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि अपनी संस्कृति से अलग होने पर हम खत्म हो जायेंगे. हमें अपनी संस्कृति और आदिवासी संगीत को बचाकर रखना है. अजय तिर्की ने लोगों से यह अपील की कि सरहुल जुलूस में अपने पारंपरिक पहनावे में आयें. महिलाएं लाल पाड़ की साड़ी और पुरुष धोती-सरना गमछा के साथ आयें.
1967 से ही सरहुल पर्व पर शोभायात्रा की परंपरा
रांची शहर में 1967 से सरहुल पर्व का आयोजन किया जा रहा है. सरना समिति की ओर से बताया गया कि इस जुलूस का उद्देश्य अपनी संस्कृति की रक्षा करना है. यही वजह है कि इस जुलूस में पारंपरिकता का ध्यान रखा जाता है. इस बार जुलूस में शामिल होने वाले लोगों के लिए विशेष व्यवस्था की गयी है. टाॅयलेट का अच्छा इंतजाम है, ताकि दिक्कत ना हो. सुरक्षा की भी पुख्ता व्यवस्था की गयी है.साथ ही रौशनी की भी व्यवस्था की जायेगी.
बैठक में ये रहे मौजूद
बैठक में मौजूद रहने वालों में नवनीत उरांव, अजय तिर्की, डॉ प्रवीण उरांव, शिबू तिग्गा, रमेशचंद्र उरांव, बसंत पाहन, अजय उरांव, रोहित पाहन, रंजीत उरांव, सुगिया कच्छप, सुनिता कच्छप, प्रकाश हंस, राजेश कुजूर, सुनिल कच्छप, अरविन्द बाखला, जयनाथ कच्छप, राजू खलखो, दुर्गा उरांव, गैना कच्छप, सोहन मुण्डा, कुंदरसी मुण्डा, आकाश बाड़ा, महावीर उरांव, बसंत बाड़ा, विकास हंस, रोहित उराॅंव, रोशन हंस, सुरज हंस, मुन्ना उरांव, रुपचंद जी, कैलाश तिर्की, मनीष हंस, अनिता हंस, रेखा कच्छप, रवि खलखो, योगेन्द्र उरांव, बाबूलाल महली, बुधराम उरांव, मादी उरांव, अनिल कच्छप, उदय हंस, अविनाश हंस, राजा हंस, सन्नी हंस, सुशीला कच्छप, इंज्वॉय हंस एवं सुनिता कच्छप शामिल हैं.