बिशुनपुर के पांच गांवों में नेताओं की नो इंट्री, वोट नहीं देने का फरमान

गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड के पूर्वी पठार के पांच गांवों- जालिम, केचकी, हिसिर, हाड़ुप एवं सेरेंगदाग के लोगों ने लोकसभा चुनाव में मतदान करने से इनकार कर दिया है. ये लोग अपने इलाके में सड़क नहीं बनने और अन्य मूलभूत सुविधाएं नहीं होने से आक्रोशित हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | April 25, 2024 11:47 PM

बिशुनपुर(गुमला).

गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड के पूर्वी पठार के पांच गांवों- जालिम, केचकी, हिसिर, हाड़ुप एवं सेरेंगदाग के लोगों ने लोकसभा चुनाव में मतदान करने से इनकार कर दिया है. ये लोग अपने इलाके में सड़क नहीं बनने और अन्य मूलभूत सुविधाएं नहीं होने से आक्रोशित हैं. गुरुवार को केचकी गांव की पाइनटोली में हुई बैठक में तय किया गया कि इन पांच गांवों का जो भी व्यक्ति मतदान करेगा, उसे गांव के लोगों के समक्ष एक लाख रुपये जुर्माना भरना पड़ेगा. साथ ही उसे सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य एवं शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं बहाल करने की जिम्मेदारी लेनी होगी. बैठक के बाद ग्रामीणों ने पांचों गांवों में नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए ‘नो इंट्री’ बोर्ड भी लगा दिया है. कहा कि जब तक सड़क निर्माण शुरू नहीं होगा, तब तक हम में से कोई मतदान नहीं करेगा. गांव का निर्णय नहीं माननेवाले नेताओं और कार्यकर्ताओं को बंधक बनाया जायेगा. हाड़ुप, रिसापाठ क्लस्टर में पड़नेवाले इन पांच गांवों की आबादी पांच हजार है. वहीं, सेरेंगदाग बूथ पर आठ सौ और अन्य चारों गांवों के बूथों पर 500-500 मतदाता हैं. ग्रामीणों ने मतदान की पर्ची बांटने पहुंचे बीएलओ से साफ कह दिया : जब हम वोट ही नहीं डालेंगे, तो हमें पर्ची की क्या जरूरत?

अधिकारी और नेता हमें जानवर समझते हैं :

बैठक में मौजूद ग्रामीण रामलाल उरांव, बौधा बृजिया, हरिचंद्र भगत ने कहा कि हमारा गांव पहाड़ में बसे है. इसलिए सांसद, विधायक और अधिकारी हमें जंगली जानवर समझते हैं. तभी तो आज तक हमारे लिए सड़क की व्यवस्था नहीं की गयी है. इस संबंध में बिशुनपुर के सीओ शेखर वर्मा ने कहा जिन दो सड़कों के निर्माण की मांग को लेकर ग्रामीण वोट बहिष्कार की बात कह रहे हैं, वह स्वीकृत हो चुकी हैं. आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण टेंडर नहीं हो पा रहा है. चुनाव बाद बहुत सड़क निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा.

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