लोहरदगा में हार-जीत के अंतर से अधिक था नोटा का विकल्प
लोहरदगा लोकसभा सीट पर पिछले दो चुनाव में जितने वोट से हार-जीत का फैसला हो रहा, उससे अधिक लोग किसी प्रत्याशी को वोट नहीं दे रहे हैं. लोगों ने किसी प्रत्याशी को वोट देने के बजाय नोटा का विकल्प चुना है.
रांची. लोहरदगा लोकसभा सीट पर पिछले दो चुनाव में जितने वोट से हार-जीत का फैसला हो रहा, उससे अधिक लोग किसी प्रत्याशी को वोट नहीं दे रहे हैं. लोगों ने किसी प्रत्याशी को वोट देने के बजाय नोटा का विकल्प चुना है. इस सीट पर पिछले तीन चुनाव से भाजपा जीत दर्ज कर रही है. तीनों चुनाव में हार-जीत का फैसला लगभग एक फीसदी वोट के अंतर से हो रहा है. इस वर्ष भाजपा ने अपना प्रत्याशी बदल दिया है. वर्तमान सांसद सुदर्शन भगत की जगह राज्यसभा सांसद समीर उरांव को अपना प्रत्याशी बनाया है. जबकि इंडिया गठबंधन के तहत सीट कांग्रेस के हिस्से में गयी है. कांग्रेस ने एक बार फिर से यहां सुखदेव भगत को अपना प्रत्याशी बनाया. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सुखदेव भगत 10357 वोट से चुनाव हार गये थे, जबकि 10770 लोगों ने नोटा का विकल्प चुना था. वर्ष 2014 में कांग्रेस प्रत्याशी रामेश्वर उरांव भाजपा के सुदर्शन भगत से 6489 वोट से चुनाव हार गये थे. जबकि नोटा का विकल्प चुनने वाले लोगों की संख्या 16764 थी. वर्ष 2009 से वर्ष 2019 तक के चुनाव में हार-जीत का फैसला लगभग एक फीसदी वोट से हुआ है. वर्ष 2019 में भाजपा को 45.41 फीसदी व कांग्रेस को 44.14 फीसदी, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 34.78 फीसदी व कांग्रेस को 33.79 फीसदी वोट मिले थे. वर्ष 2009 में भाजपा को 27.69 फीसदी व निर्दलीय चुनाव लड़े चमरा लिंडा को 26.10 फीसदी वोट मिला था. वर्ष 2009 में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही. कांग्रेस को 24.81 फीसदी वोट मिले थे. वर्ष 2009 में भी सुदर्शन भगत ने जीत दर्ज की थी.