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जाति प्रमाण पत्र को अमान्य करने के मामले में सफल अभ्यर्थियों को नोटिस जारी

प्रतियोगी परीक्षाओं में चयनित अभ्यर्थियों की ओर से दायर याचिकाओं पर फुल बेंच में हुई सुनवाई.

रांची.

झारखंड हाइकोर्ट के फुल बेंच ने प्रतियोगिता परीक्षाओं में चयनित अभ्यर्थियों के जाति प्रमाण पत्र को विभिन्न कारणों से अमान्य कर नियुक्ति नहीं करने के मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की. जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय, जस्टिस आनंद सेन व जस्टिस राजेश शंकर की तीन सदस्यीय पूर्ण पीठ ने इस दौरान प्रार्थियों व प्रतिवादियों का पक्ष सुना. इसके बाद पीठ ने इस मामले से प्रभावित होनेवाले नियुक्त अभ्यर्थियों (सफल अभ्यर्थियों) को नोटिस जारी किया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई के लिए पीठ ने 27 जून की तिथि निर्धारित की.

इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन, अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया, अधिवक्ता श्रेष्ठ गौतम व अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने बताया कि प्रार्थियों ने कट ऑफ मार्क्स से अधिक अंक प्राप्त किया है. बावजूद उनके जाति प्रमाण पत्र को आयोग द्वारा अमान्य करने के कारण उनकी नियुक्ति नहीं की गयी. खंडपीठ ने तीन इश्यू निर्धारित करते हुए मामले को लार्जर बेंच में रेफर किया था. वहीं झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) व झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता सुनील कुमार व अधिवक्ता संजय पिपरावाल ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी डॉ नूतन इंदुवार व अन्य की ओर से 43 याचिकाएं दायर की गयी है. इसमें डेंटल चिकित्सक, हाइस्कूल शिक्षक, स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक, दारोगा बहाली, सातवीं से 10वीं संयुक्त सिविल प्रतियोगिता परीक्षा के अभ्यर्थी शामिल हैं. याचिका में कहा गया है कि जेपीएससी और जेएसएससी ने विभिन्न विज्ञापनों में उनके जाति प्रमाण पत्र को मान्यता नहीं दी, जिसके चलते उनकी नियुक्ति नहीं हो पायी है. आयोग ने जाति प्रमाण पत्र के आधार पर उनका चयन रद्द कर दिया.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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