बांग्लादेशी घुसपैठियों के मामले में केंद्र सरकार को नोटिस
हाइकोर्ट के फैसले को चुनाैती देनेवाली राज्य सरकार की स्पेशल लीव पिटीशन पर सुनवाई
रांची. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड में बांग्लादेशी घुसपैठियों के मामले में हाइकोर्ट के फैसले को चुनाैती देनेवाली राज्य सरकार की स्पेशल लीव पिटीशन (एसएलपी) पर शुक्रवार को सुनवाई की. जस्टिस सुधांशु धूलिया व जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने सुनवाई के दाैरान झारखंड सरकार का पक्ष सुनने के बाद केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया. मामले में केंद्र को अगली सुनवाई तक जवाब दायर करने का निर्देश दिया. खंडपीठ ने तब तक राज्य सरकार को फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में अपने सदस्यों को नामित न करने की स्वतंत्रता दी है. मामले की अगली सुनवाई तीन दिसंबर को होगी. इससे पूर्व झारखंड सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पैरवी की. उन्होंने खंडपीठ को बताया कि राज्य सरकार ने झारखंड हाइकोर्ट द्वारा पारित 20 सितंबर 2024 के आदेश को चुनाैती दी है. इसमें हाइकोर्ट ने बांग्लादेशी घुसपैठियों का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार के अधिकारियों से मिल कर एक फैक्ट फाइंडिंग कमेटी बनाने की बात कही है. फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को इस तथ्य के बावजूद नियुक्त किया गया कि छह जिलों (दुमका, साहिबगंज, गोड्डा, जामताड़ा, पाकुड़ व देवघर) के उपायुक्तों द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी, जिसमें साहिबगंज जिले के दो मामलों को छोड़कर कोई भी अवैध प्रवास नहीं पाया गया है, जिसे राज्य के अधिकारियों द्वारा निपटाया जा रहा था. इसके बावजूद हाइकोर्ट ने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के लिए केंद्र व राज्य सरकार से अधिकारियों का नाम मांगा था, जबकि कमेटी की कोई जरूरत नहीं है. प्रतिवादी दानियल दानिश की ओर से वरीय अधिवक्ता अरदेंदु प्रसाद व अधिवक्ता निर्मल अंबष्ठा ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर झारखंड हाइकोर्ट द्वारा पारित 20 सितंबर 2024 के आदेश को चुनाैती दी है. सरकार ने आदेश को निरस्त करने का आग्रह किया है. एसएलपी में झारखंड सरकार ने तर्क दिया है कि उसने फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की नियुक्ति पर आपत्ति जतायी थी. सरकार ने पाया था कि संतालपरगना क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) में परिवर्तन होने के बारे में प्रतिवादी के दावे अस्तित्वहीन हैं. दावा पूरी तरह से निराधार व झूठा है.
क्या है मामला
झारखंड हाइकोर्ट के समक्ष दानियल दानिश ने जनहित याचिका दायर कर संताल परगना क्षेत्र में हो रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों के अवैध प्रवेश को रोकने की मांग की है. प्रार्थी ने कहा है कि साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, गोड्डा, जामताड़ा आदि क्षेत्रों में अवैध प्रवासियों (बांग्लादेशी घुसपैठिये) के प्रवेश के कारण जनसंख्या में बदलाव हो रहा है. उस क्षेत्र में मदरसों की बाढ़ आ गयी है. घुसपैठिये भोले-भाले आदिवासी लड़कियों से शादी-विवाह कर उनकी सीएनटी की जमीन पर कब्जा कर रहे हैं. वहीं एक अन्य प्रार्थी सोमा उरांव ने जनहित याचिका दायर कर आदिवासियों के धर्म परिवर्तन का मामला उठाया है. धर्मांतरण के कारण आदिवासियों की आबादी घटती जा रही है. बांग्लादेशी घुसपैठ के चलते उस क्षेत्र में डेमोग्राफी में बदलाव की समस्या काफी गंभीर हो गयी है. उस क्षेत्र में 44 प्रतिशत आदिवासियों की संख्या थी, जो घट कर लगभग 28 प्रतिशत पहुंच गयी है. केंद्र सरकार की ओर से दायर शपथ पत्र में बताया गया था कि वर्ष 2011 तक संताल परगना क्षेत्र में मुसलमानों की आबादी में औसत 13.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि में साहिबगंज व पाकुड़ में लगभग 35 प्रतिशत मुसलमानों की आबादी में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है