अब शहर के वार्डों को भी करना होगा कचरा मुक्त
केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छा स्थान पाने के लिए राज्यों को अब शहरों की जगह सभी वार्ड में बढ़िया काम करना होगा.
रांची : केंद्र सरकार के स्वच्छता सर्वेक्षण में अच्छा स्थान पाने के लिए राज्यों को अब शहरों की जगह सभी वार्ड में बढ़िया काम करना होगा. सर्वेक्षण में स्टार रेटिंग पाने के लिए केंद्र सरकार ने नये मापदंड लागू किये हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 की तैयारी में नये मानकों का ख्याल रखना होगा.
केंद्रीय शहरी कार्य मंत्रालय ने पिछले साल की तुलना में इस बार मापदंडों में कई परिवर्तन किये हैं. सबसे बड़ा फेरबदल वार्ड स्तर पर स्टार रेटिंग करने काे लेकर है. स्टार रेटिंग को इस बार स्मार्ट रेटिंग से जोड़ा गया है. नगर निकायों को अब सभी वार्डों के लिए अलग-अलग योजनाएं बना कर कचरा वार्ड में ही निष्पादित करने पर ध्यान देना होगा. कचरा मुक्त शहरों के लिए बनाये गये मानक स्वच्छता सर्वेक्षण पर भी लागू होंगे. स्वच्छता के मानकों पर रैंकिंग के लिये अंतिम परिणाम में चार स्तर पर तय कर स्टार रेटिंग तय की जायेगी.
वार्डों की रेटिंग के औसत से शहरों की रेटिंग निर्धारित होगी. वार्ड और शहरों में सोर्स पर ही अलग-अलग प्रकार के कूड़े को बांटना होगा. क्षेत्रों में झाड़ू लगाना, गंदगी फैलाने पर यूजर फीस, पैनाल्टी स्पॉट फाइन, प्लास्टिक बैन को लागू करना, ज्यादा कचरा पैदा करने वाले व्यक्ति, प्रतिष्ठान या संस्थान की निगरानी करना और वैज्ञानिक तरीके से कचरे के निष्पादन के पैमानों पर जांच की जायेगी. इसके अलावा नागरिक शिकायत निवारण प्रणाली, जलाशयों की सतह और नालों की सफाई, सौंदर्यीकरण के काम तथा गीले कचरे का मौके पर ही निष्पादन करने के उपायों की भी जांच होगी.
अब 12 की जगह 24 पैमानों की होगी जांच
इस बार स्वच्छता सर्वेक्षण में 12 की जगह 24 पैमानों के आधार पर जांच की जायेगी. चार स्तरों पर थर्ड पार्टी पार्टीसिपेशन अनिवार्य किया गया है. सभी वार्ड के अलग-अलग स्कोर होंगे. पांच या सात स्टार के लिए आवेदन करने से पहले हानिकारक कचरे के सौ फीसदी निष्पादन की शर्त रखी गयी है.
हर वार्ड की जियो मैपिंग
नयी व्यवस्था में वार्ड स्तर पर रेटिंग के लिए जियो मैपिंग जरूरी की गयी है. कचरा शोधन सुविधा, लैंडफिल्स, डंप साइट्स, ड्रेन, नाला, जलाशयों और एसटीपी प्लांटों की भी जियो मैपिंग करनी होगी.