रांची (वरीय संवाददाता). इंडी गठबंधन के लोग संविधान बचाने की बात कहकर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. दरअसल संविधान का सर्वाधिक बार अपमान इसी इंडी गठबंधन के लोगों ने किया है. संविधान का पहला संशोधन 1951 में जवाहरलाल नेहरू ने किया था, जब वह अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री थे. अभिव्यक्ति की आजादी पर कई पाबंदियां लगायी थीं. यह बात मंगलवार को भाजपा की ओर से कही गयी. भाजपा ने आगे कहा कि 1975 में जब राजनारायण मामले में इंदिरा गांधी मुकदमा हार गयीं, तो उन्होंने पूरे संविधान को ही सस्पेंड करते हुए देश में आपातकाल लगा दिया. भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव भाजपा के मीडिया सेंटर में पत्रकारों से कहा कि स्व राजीव गांधी ने 1986 में शाहबानो मामले में सिर्फ मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलते हुए संविधान की मूल भावना के विपरीत जाकर अदालत के निर्णय को पलटवा दिया. इसके अतिरिक्त संविधान में प्रेस की आजादी वर्णित है. लेकिन राजीव गांधी ने 1988 में मानहानि विधायक लाकर प्रेस पर अंकुश लगाने की कोशिश की थी. संविधान की कोख से जन्मे संसद के कैबिनेट से पास अध्यादेश को शहजादे राहुल गांधी ने 2013 में सार्वजनिक रूप से फाड़ कर देश के संविधान का अपमान किया था.
कांग्रेस को संविधान पर भरोसा नहीं
प्रतुल शाहदेव ने कहा कि कांग्रेस और उनके सहयोगियों को देश के संविधान पर भरोसा ही नहीं है. अल्पसंख्यक तुष्टिकरण की सारी सीमाएं यूपीए के शासनकाल में भी पार कर दीं. 2013-14 की यूपीए सरकार के आउटकम बजट में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि बजट की राशि का 15 प्रतिशत हिस्सा अल्पसंख्यक के लिए अलग-अलग स्कीमों में प्रयोग किया जायेगा. इसके उलट मोदी सरकार का मूल मंत्र सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास है. कांग्रेस के लिए अल्पसंख्यक का अर्थ सिर्फ मुस्लिम होता है. बातचीत कर रहे थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है