एनपीइएल कंपनी का प्रमाण पत्र फर्जी मिला, जानें पूरा मामला

एनपीइएल का प्रमाण पत्र सीबीआइ जांच में फर्जी पाया गया

By Prabhat Khabar News Desk | October 30, 2020 9:16 AM

रांची : 15.80 करोड़ की लागत से सिकिदिरी हाइडल प्रोजेक्ट की मरम्मत करनेवाली कंपनी एनपीइएल का प्रमाण पत्र सीबीआइ जांच में फर्जी पाया गया है. इस कंपनी के निदेशक एनएस मित्तल ने टेंडर प्रकाशित होने से पहले ही भेल के अधिकारियों को 15.80 करोड़ में काम करने की बात कही थी. वहीं दूसरी कंपनी ने उक्त कार्य 2.85 करोड़ रुपये में करने का प्रस्ताव दिया था. हालांकि भेल के अधिकारियों ने उस कंपनी को अयोग्य घोषित कर दिया.

सिकिदिरी हाइडल प्रोजेक्ट की मरम्मत करनेवाली कंपनी ने अपने काम के अनुभव के सिलसिले में सात प्रमाण जमा किया था. भेल के साथ एकरारनामा के समय मेसर्स एनइपीएल ने नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (एनएचपीसी) का काम करने के पांच व गुजरात और उत्तराखंड में एक-एक काम करने का प्रमाण पत्र सौंपा था. सीबीआइ जांच के दौरान काम के अनुभव से जुड़े सभी प्रमाण पत्रों को एनएचपीसी, गुजरात और उत्तराखंड की संबंधित कंपनियों को भेजा गया.

इन प्रमाण पत्रों की जांच के बाद एनएचपीसी, गुजरात और उत्तराखंड ने सीबीआइ को यह सूचित किया कि मेसर्स एनपीइएल को किसी तरह की मरम्मत का काम नहीं दिया गया था. जांच के लिए भेजे गये सभी प्रमाण पत्र फर्जी हैं. सीबीआइ ने भेल के अधिकारियों और मेसर्स एनपीइएल के बीच हुए पत्राचार की जांच की, तो इसमें यह पाया गया कि भेल के जेनरल मैनेजर जीएस सचदेवा ने इमेल भेज कर एनएस मित्तल से यह जानना चाहा था कि वह सिकिदिरी हाइडल प्रोजेक्ट के काम को कितने में कर सकते हैं.

मित्तल ने जवाब में हाइडल प्रोजेक्ट की मरम्मत आदि के काम को 15.80 करोड़ रुपये में करने पर सहमति दी थी. भेल के अधिकारियों ने इसी के अनुरूप इस काम को 15.80 करोड़ रुपये में पूरा कराने की योजना बनायी थी. भेल द्वारा सिकिदरी हाइडल प्रोजेक्ट के लिए निकाले गये टेंडर और उसमें हिस्सा लेनेवालों की जांच के दौरान यह पाया गया है कि इसमें मेसर्स फाइबरटेक और मेसर्स एसएन सिंह ने हिस्सा लिया था.

फाइबरटेक ने सिकिदिरी हाइडल प्रोजेक्ट के काम को 16.72 करोड़ रुपये में करने का प्रस्ताव दिया था. वहीं मेसर्स एसएन सिंह ने इस काम को सिर्फ 2.85 करोड़ रुपये में करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इस कंपनी के पास आवश्यक मशीन और उपकरण नहीं होने के आधार पर उसे अयोग्य घोषित कर दिया गया. इस प्रकरण में सबसे महत्पूर्ण बात यह है कि वर्ष 2005 में भेल ने टेंडर में हिस्सा लेकर सिकिदिरी हाइडल प्रोजेक्ट की मरम्मत का काम 59.75 लाख रुपये में लिया था. इसके बाद भेल ने यह काम मेसर्स एसएन सिंह को सिर्फ 34.50 लाख रुपये दे दिया था.

posted by : sameer oraon

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