रांची : एनटीपीसी ने पूर्वी भारत का सबसे बड़ा कोल कन्वेयर बेल्ट बनाने में कामयाबी हासिल की है. यह कन्वेयर बेल्ट एक हजार करोड़ की लागत से 21 किमी लंबा बना है. हजारीबाग-बड़कागांव पकरी बरवाडीह कोल खनन परियोजना से बानादाग रेलवे साइडिंग तक कोयले की ढुलाई कन्वेयर बेल्ट से होगी. प्रति घंटा 2500 टन कोयले की ढुलाई होगी.
इससे एनटीपीसी के पावर प्लांट में कोयला समय से उपलब्ध होगा. वहीं, रैबिट लोडिंग सिस्टम से कन्वेयर बेल्ट के जुड़ने से कोयला रेलवे रैक तक पहुंच जायेगा. इससे पर्यावरण सुरक्षित रहेगा और कोयले की ढुलाई की रफ्तार चार गुना बढ़ जायेगी. इसका ट्रायल शुरू हो चुका है. मई तक कन्वेयर बेल्ट के दोनों लेयर पूर्ण रूप से काम करने लगेंगे.
हजारीबाग-बड़कागांव क्षेत्र के पहाड़, जंगल व नदी-नाला को सुरक्षित रखते हुए कन्वेयर बेल्ट बनाया गया है. जंगली जानवरों के लिए कॉरिडोर का भी ख्याल रखा गया है. जमीन से छह मीटर की ऊंचाई पर कन्वेयर बेल्ट गुजरेगा. कोयला खनन क्षेत्र में जमीनी सतह पर सात किमी और अरहरा गांव से बानादाग रेलवे साइडिंग 14 किमी तक कोयले की ढुलाई में धूल व कोयले का गर्द भी नहीं गिरेगा. घनी आबादी क्षेत्रों में कोयले के बड़े वाहन से सड़क दुर्घटना व जाम पूर्ण रूप से समाप्त होंगे.
बड़कागांव से हजारीबाग बानादाग सड़क मार्ग से हजारों ट्रक हर दिन कोयले की ढुलाई करते हैं. इससे आये दिन सड़क दुर्घटना में लोगों की मौत हो रही है. कोयले की धूल से लोग परेशान थे. इतने वाहन चलने से पर्यावरण को भी नुकसान हो रहा था. कन्वेयर बेल्ट बनने से इन सभी परिशानियों से राहत मिलेगी.
झारखंड, बिहार व ओड़िशा के वरीय क्षेत्रीय कार्यकारी निदेशक पार्थ मजूमदार ने बताया कि कन्वेयर बेल्ट का ट्रायल शुरू हो गया है. कोयला खनन क्षेत्र से टीओपी-10 कोयला लोडिंग तक ढुलाई कन्वेयर बेल्ट से सफलतापूर्वक हो गयी है. मई तक कन्वेयर बेल्ट के दोनों लेयर काम करने लगेंगे. एनटीपीसी ने बेल्ट के निर्माण को पूरा कराने में हर कदम पर चुनौतियों का सामना किया था.
समय लगा
09 साल
ढुलाई क्षमता
2500 टन/घंटा
Posted By: Sameer Oraon