रांची में ओडिशा वॉरियर्स की कप्तान नेहा गाेयल रांची (अभिषेक रॉय). छठीं कक्षा में थी, जब दोस्त ने हॉकी से परिचय कराया. उसने बताया कि खेलनेवाले को जूते और कपड़े मिलेंगे. इसके बाद मैंने हॉकी स्टिक थाम ली. लेकिन मैदान पर पूरी ईमानदारी दिखायी. घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. घर से स्टेडियम 10 किमी दूर था. प्रैक्टिस के लिए 20 रुपये ऑटो भाड़ा देने की स्थिति नहीं थी. इस बीच कोच प्रीतम सिवाच ने सहयोग किया. प्रैक्टिस ग्राउंड तक पहुंचने और खेल से जुड़े अन्य खर्च में मदद की. इसके बाद लगातार कड़ी मेहनत की. यही कारण है कि 2014 में टीम इंडिया में जगह बनाने में सफल रही. ये बातें भारतीय महिला हॉकी टीम की मिड फील्डर नेहा गोयल ने कहीं. नेहा पहली बार आयोजित हॉकी इंडिया लीग वीमेंस में ओडिशा वॉरियर्स टीम की कप्तान हैं. बुधवार को ओडिशा वॉरियर्स की टीम मोरहाबादी स्थित मरांग गोमके जयपाल सिंह एस्ट्रोटर्फ हॉकी स्टेडियम में अभ्यास करने पहुंची थी. इस दौरान नेहा ने ‘प्रभात खबर’ के साथ विशेष बातचीत की.
हॉकी ने आत्मनिर्भर बनाया
नेहा ने बताया कि 2016 में सिर से पिता का हाथ उठ गया. मां साइकिल के कारखाने में काम करती थी. महीने के 1000 रुपये मिलते थे. परिवार में मेरी दो छोटी बहनें भी थीं. उस वक्त हॉकी मेरे जीवन का एकमात्र विकल्प था. धीरे-धीरे हरियाणा टीम से खेलना शुरू किया. टीम की जीत पर नगद पुरस्कार मिलने लगी. इससे और बेहतर खेलने का जुनून बढ़ता गया. समय के साथ विभिन्न टूर्नामेंट खेलते हुए टोक्यो ओलिंपिक-2020 पहुंची. इसमें भारतीय महिला हॉकी टीम चौथे स्थान पर रही. इसके बाद लगातार विभिन्न टूर्नामेंट में बेहतर प्रदर्शन किया. सरकार ने रेलवे में नौकरी दी. आज मैं कह सकती हूं कि हॉकी ने मुझे आत्मनिर्भर बनाया है. और हॉकी के बदौलत ही ””””सपनों का घर”””” बना. बहनों की शादी कर पायी.
महिला खिलाड़ियों को था एचआइएल का इंतजार
पुरुष वर्ग के बीच 2013 में एचआइएल शुरू हुआ. इसके बाद से ही एचआइएल वीमेंस का इंतजार था. आखिर 12 वर्ष बाद अवसर मिल ही गया. एचआइएल वीमेंस के कारण अब ज्यादा लड़कियां हॉकी से जुड़ेंगी और अपने बेहतर प्रदर्शन के लिए खेलेंगी.
लीग में स्वीपर बनकर खेलूंगी
भारतीय टीम के लिए मैं मिडफील्डर (राइट-लेफ्ट सेंटर) पोजिशन पर खेलती हूं. टीम और खेल के प्रति जिम्मेदारियां हैं. ऐसे में अब कोच ने मेरी जगह बदली है. एचआइएल के दौरान मैं ज्यादा अटैकिंग करते हुए खेलूंगी. प्रयास है कि टीम के लिए एक बेहतर स्वीपर बन सकूं. शादी के बाद यह मेरा पहला टूर्नामेंट है.
झारखंड मेरे लिए घर जैसा
एचआइएल वीमेंस से पहले एशियन चैंपियन ट्रॉफी और क्वालिफायर मैच के लिए झारखंड पहुंची थी. टीम में झारखंड के कई खिलाड़ी हैं. यहां के स्टेडियम में महीनों खेला है. यहां दर्शकों का सपोर्ट मिलता है. हरियाणा के बाद झारखंड मेरे लिए घर जैसा है. अब ओडिशा वॉरियर्स टीम को झारखंड में लीड करूंगी. इसमें जर्मनी, अर्जेंटीना और नीदरलैंड टीम की वर्ल्ड लेवल की बेस्ट प्लेयर चुन कर आयी हैं.
खाने में पिज्जा, अभिनेता में सलमान खान, फुटबॉल में रोनाल्डो पसंद
नेहा ने पर्सनल च्वाइस के बारे में बताया. कहा कि खाने में पिज्जा, अभिनेता में सलमान खान, खेल में हॉकी के बाद फुटबॉल और खिलाड़ी में सबसे पसंदीदा क्रिस्टियानो रोनाल्डो पसंद हैं. वहीं, पति सुनील उनके जीवन के सबसे पसंदीदा व्यक्तित्व हैं.
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