पेसा रूल नहीं बनाने पर ओडिशा के अनुदान में हुई कटौती, झारखंड पर भी मंडराया खतरा
केंद्र सरकार ने पांचवीं अनुसूची में शामिल सभी राज्यों को पेसा रूल अधिसूचित करने का निर्देश दिया था. साथ ही रूल नहीं बनानेवाले राज्यों को 15 वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित राशि नहीं देने की चेतावनी दी थी.
रांची, शकील अख्तर : केंद्र सरकार ने पेसा रूल नहीं बनाने की वजह से ओडिशा के ग्राम पंचायतों को दी जानेवाली राशि में कटौती कर दी है. इससे झारखंड को भी चालू वित्तीय वर्ष 2023-24 में मिलनेवाली राशि में कटौती का खतरा मंडरा रहा है. हालांकि ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल (टीएसी) की बैठक में पंचायती राज विभाग द्वारा तैयार पेसा रूल के प्रारूप पर सहमति नहीं दी गयी है. काउंसिल ने इस पेसा रूल के मुद्दे पर लोगों से और सुझाव मांगने का निर्देश दिया है. काउंसिल के इस फैसले से राज्य में फिलहाल पेसा रूल अधिसूचित करने का मामला उलझ गया है. केंद्र सरकार ने पांचवीं अनुसूची में शामिल सभी राज्यों को पेसा रूल अधिसूचित करने का निर्देश दिया था. साथ ही रूल नहीं बनानेवाले राज्यों को 15 वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित राशि नहीं देने की चेतावनी दी थी. केंद्र ने पेसा रूल की समीक्षा के दौरान पाया था कि पांचवीं अनुसूची में शामिल 10 राज्यों (आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तेलंगाना) में से झारखंड और ओडिशा ने केंद्र सरकार के निर्देश के बावजूद पेसा रूल अधिसूचित नहीं किया है. समीक्षा के दौरान इन दोनों राज्यों द्वारा शीघ्र ही पेसा रूल बना कर अधिसूचित करने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन इन दोनों राज्यों में से किसी ने भी पेसा रूल तैयार कर उसे अधिसूचित नहीं किया.
-
पांचवीं अनुसूची में शामिल 10 राज्यों में से झारखंड व ओड़िशा ने केंद्र के निर्देश के बावजूद पेसा रूल अधिसूचित नहीं किया
-
टीएसी की बैठक में पंचायती राज विभाग द्वारा तैयार पेसा रूल के प्रारूप पर सहमति नहीं मिली है
-
टीएसी ने इस पेसा रूल के मुद्दे पर लोगों से और सुझाव मांगने का निर्देश दिया है
इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा में ओडिशा के पंचायतों को मिलनेवाली अनुदान की राशि में कटौती कर दी है. केंद्रीय पंचायती राज विभाग के उप सचिव द्वारा ओडिशा सरकार को लिखे गये पत्र में कहा गया है कि राज्य में पेसा रूल अधिसूचित नहीं किये जाने की वजह से 1918 अनुसूचित ग्राम पंचायतों (पेसा पंचायत) के बदले सिर्फ 4876 गैर-अनुसूचित ग्राम पंचायतों (नन-पेसा) के लिए 175.53 करोड़ रुपये विमुक्त किया गया है.
Also Read: झारखंड : पेसा कानून को दिया गया अंतिम रूप, ग्रामसभा को आदिवासियों की जमीन वापसी का मिलेगा अधिकार
केंद्र सरकार के इस कदम से झारखंड को मिलनेवाली अनुदान राशि में भी कटौती का खतरा पैदा हो गया है. 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर वित्तीय वर्ष 2023-24 में झारखंड के ग्राम पंचायतों को कुल 1307 करोड़ रुपये मिलना है. राज्य की कुल 4345 ग्राम पंचायतों में 2066 ग्राम पंचायत अनुसूचित क्षेत्र के हैं. केंद्र सरकार द्वारा 15 वें वित्त आयोग की अनुशंसित राशि देर से विमुक्त किये जाने की वजह से ग्राम पंचायतों का कामकाज फिलहाल वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए मिली राशि से चल रहा है. वित्तीय वर्ष 2022-23 की दूसरी किस्त के रूप में 646.50 करोड़ रुपये राज्य सरकार को अक्तूबर 2023 में मिला है.
पेसा रूल के मुद्दे पर राज्य में कायम विवाद
राज्य में बनाये गये पेसा रूल पर अभी विवाद कायम है. इसका विरोध करनेवालों का कहना है कि पेसा एक्ट 1996 के आलोक में बनाया जाना चाहिए. लेकिन सरकार ने पंचायत राज अधिनियम 2001 के तहत पेसा रूल के प्रारूप का गठन किया है. दूसरी तरफ सरकार का मानना है कि राज्य में पंचायत राज अधिनियम 2001, पेसा एक्ट 1996 के अनुरूप बना है. सैमुएल सुरीन व अन्य ने हाइकोर्ट में जनहित याचिका (2549/2010) दायर कर झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 को चुनौती दी थी.
Also Read: झारखंड समेत इन राज्यों ने नहीं बनाया पेसा रूल, जानें क्या है ये
साथ ही यह भी कहा था कि पेसा एक्ट 1996 की धारा 4(ओ) के तहत झारखंड के अनुसूचित क्षेत्र में इसे लागू नहीं किया जा सकता है. कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद झारखंड पंचायती राज अधिनियम 2001 को संवैधानिक और पेसा 1996 के अनुरूप करार दिया. हाइकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी और हाइकोर्ट के आदेश के बरकरार रखा. सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बावजूद राज्य के अनुसूचित क्षेत्र के पंचायतों के लिए पंचायती राज अधिनियम 2001 के अनुरूप पेसा रूल बनाने के मुद्दे पर विवाद कायम है.
झारखंड के लिए अनुशंसित राशि (करोड़ में)
वित्तीय वर्ष अनुशंसित राशि
2021-22 1249 करोड़ रुपए
2022-23 1293 करोड़ रुपए
2023-24 1307 करोड़ रुपए
2024-25 1385 करोड़ रुपए
2025-26 1351 करोड़ रुपए