रांची : वन विभाग ने जमीन माफिया से सांठगांठ के आरोपी वन विकास निगम के उप निदेशक शंभु प्रसाद को निलंबित कर विभागीय कार्यवाही चलाने की अनुशंसा की है. इस अधिकारी ने सिमडेगा और बोकारो में पदस्थापन के दौरान वन भूमि को गैर वन भूमि बता कर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया. भू माफिया से सांठगांठ कर जारी किये गये इस प्रमाण पत्र की वजह से वन भूमि की खरीद-बिक्री हुई. इस अधिकारी के खिलाफ सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है. पिछले दिनों इसी अधिकारी ने मंत्री को पत्र लिख कर खुद को वन प्रमंडल पदाधिकारी के पद पर पदस्थापित करने का अनुरोध किया था.
इस अधिकारी के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच के बाद विभाग ने उसके कारनामों की सूची भी सरकार को भेजी है. इसमें कहा गया है कि बोकारो वन प्रमंडल में सहायक वन संरक्षक के रूप में काम करने के दौरान इस अधिकारी ने जमीन माफिया से साठगांठ कर वन भूमि को गैर वन भूमि बता कर अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया. इससे जमीन माफिया को वन भूमि की खरीद-बिक्री करने में कामयाबी मिली.
इस अधिकारी ने मौजा बांधगोड़ा और तेतुलिया की अधिसूचित एवं सीमांकित वन भूमि की खरीद-बिक्री में पद का दुरुपयोग करते हुए मदद पहुंचायी. इस बात की पुष्टि बोकारो में वन भूमि की खरीद-बिक्री के सिलसिले में दर्ज प्राथमिकी की जांच में भी हुई. पुलिस ने मौजा तेतुलिया की वन भूमि को गैर वन भूमि बताने से संबंधित वर्ष 2006 में जारी अनापत्ति प्रमाण पत्र को 24 नवंबर 2015 को फिर से सत्यापित करनेवाले अधिकारी का नाम जानना चाहा था.
बोकारो में जन सूचना पदाधिकारी के रूप में काम करने के दौरान इस अधिकारी ने आरटीआइ के प्रावधानों का उल्लंघन किया. रंजीत कुमार सिंह द्वारा आरटीआइ के तहत दिये गये आवेदन के साथ संलग्न मैप को ही इस अधिकारी ने हस्ताक्षरित कर उसे लौटा दिया. नियमानुसार आरटीआइ के तहत सरकारी दस्तावेज में उपलब्ध तथ्यों के आधार पर आवेदक को सूचना देनी है. वनपाल बीरेंद्र पांडे और सुरेंद्र कुमार पर लगे आरोपों के मामले में शंभु प्रसाद को जांच अधिकारी बनाया गया था. हालांकि सात-सात बार स्मार पत्र दिये जाने के बावजूद जांच रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंपी.