Jharkhand news: 14 अप्रैल को रांची पहुंचेगी ‘ढाई आखर प्रेम का’ सांस्कृतिक यात्रा, जागरूक होगी नयी पीढ़ी

jharkhand news: राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा 'ढाई आखर प्रेम का' का आगाज छत्तीसगढ़ के रायपुर से हो रहा है. यह यात्रा 14 अप्रैल को रांची पहुंचेगी. मोरहाबादी स्थित डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान में शाम 6 बजे से सांस्कृतिक आयोजन होगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 6, 2022 6:24 PM

Jharkhand news: आजादी के 75 साल के मौके पर भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की पहल पर राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा निकाली जा रही है. इसका नाम ‘ढाई आखर प्रेम का’ है. भाईचारे को बढ़ाने के लिए संत कबीर के महान संदेश ‘ढाई आखर प्रेम का’ के साथ सांस्कृतिक यात्रा का आगाज छत्तीसगढ़ के रायपुर से हो रहा है. रायपुर से निकल कर यह यात्रा 13 अप्रैल को गढ़वा के रास्ते झारखंड सीमा में प्रवेश करेगी. यह यात्रा मेदिनीनगर होते हुए 14 अप्रैल को रांची पहुंचेगी.

लोकप्रिय लोकनाट्य ‘नाचा’ का होगा आयोजन

रांची में सिदो-कान्हू, नीलांबर-पीतांबर और महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद मोरहाबादी स्थित डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान में शाम छ: बजे से सांस्कृतिक आयोजन होगा. इस आयोजन में मशहूर किस्सागो कफील जाफरी राष्ट्रीय एकता विषय पर किस्सागोई करेंगे. इसके अलावा छत्तीसगढ़ की लोकप्रिय लोकनाट्य ‘नाचा’ का आयोजन होगा. रांची के मोरहाबादी मैदान में नाचा टीम का झारखंड के रंगकर्मियों, साहित्यकारों, संस्कृतिकर्मियों और बुद्धिजीवियों द्वारा स्वागत किया जाएगा.

रांची के अलावा अन्य जिलों में होगा आयोजन

इस दौरान गांधी मूर्ति, सिदो-कान्हू सहित नीलांबर-पीतांबर पार्क में अलग-अलग कार्यक्रम होंगे. रांची के आयोजन के बाद यह यात्रा जमशेदपुर, घाटशिला, चाईबासा, रामगढ़, हजारीबाग और कोडरमा होते हुए बिहार में प्रवेश करेगी. यात्रा को प्रलेस, जलेस, जसम, जनम, इस्कफ, दलित लेखक संघ और विभिन्न जनवादी संगठनों ने अपना समर्थन दिया है. इस यात्रा में देश के सुविख्यात कलाकार, बुद्धिजीवी तथा संस्कृतिकर्मी शामिल होंगे.

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इस यात्रा से नयी पीढ़ी होगी जागरूक

‘ढाई आखर प्रेम का’ सांस्कृतिक यात्रा असल में स्वाधीनता संग्राम के गर्भ से निकले स्वतंत्रता, समता, न्याय और बंधुत्व के उन मूल्यों के तलाश की कोशिश है, जो आजकल नफरत, वर्चस्व और दंभ के तुमुलघोष में डूब-सा गया है. यह यात्रा उन तमाम शहीदों, समाज सुधारकों एवं भक्ति आंदोलन औ सूफीवाद के पुरोधाओं का सादर स्मरण हैं, जिन्होंने भाषा, जाति, लिंग और धार्मिक पहचान से इतर मुनष्यता की मुक्ति एवं लोगों से प्रेम को अपना एकमात्र आदर्श घोषित किया. साथ ही यह यात्रा नयी पीढ़ी को जागरूक करेगी.

Posted By: Samir Ranjan.

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