Ranchi news : 10 लाख रुपये डिसमिल वाली जमीन से लिया जा रहा सिर्फ 10 रुपये सालाना लगान
रेट इतना कम है कि राजस्व वसूली के नाम पर मामूली राशि ही सरकार जुटा पा रही है.
मनोज लाल, रांची. जमीन से लगान के रूप में राजस्व संग्रह में परेशानी हो रही है. एक तो बड़ी संख्या में ऐसे रैयत हैं, जिनकी जमीन पर लगान लिया ही नहीं जा रहा है. यानी उनका लगान तय नहीं किया गया है. दाखिल-खारिज के बाद लगान तय करने की प्रक्रिया वर्षों से लटकी हुई है. वहीं, बड़ी संख्या में गैर मजरुआ मालिक प्रकृति की जमीन पर भी रैयतों से लगान वसूली नहीं हो रही है. वहीं, जिनका दाखिल-खारिज होकर लगान तय हो गया है, उनसे हर साल राजस्व की वसूली हो तो रही है, पर इसका रेट इतना कम है कि राजस्व वसूली के नाम पर मामूली राशि ही सरकार जुटा पा रही है.
इस तरह तय है लगान का रेट
रांची शहरी क्षेत्र में जहां जमीन की बाजार दर 10 से 15 लाख रुपये प्रति डिसमिल है, वहां भी प्रति डिसमिल सालाना लगान 10 से 12 रुपये तय है. इस तरह चार डिसमिल जमीन का लगान विभिन्न सेस को मिला कर 49 रुपये तय होता है, तो भी राजस्व विभाग को इसमें से सिर्फ 20 रुपये ही मिल रहे हैं. इसमें से पांच रुपये रोड टैक्स, 10 रुपये स्वास्थ्य सेस, 10 रुपये शिक्षा सेस व चार रुपये कृषि सेस के हिसाब से निर्धारित किये गये हैं. किसी-किसी मामले में राशि में मामूली अंतर भी पाया जा रहा है. इस तरह करीब 50-60 लाख रुपये बाजार कीमत की जमीन का सिर्फ 49 रुपये का कुल लगान निर्धारित हो रहा है. सभी जगहों पर रेट लगभग इसी तरह का है. कहीं-कहीं मामूली अंतर है.कुछ मौजों में रेट की स्थिति
शहर के कुछ प्रमुख मौजा में लगान की स्थिति ऑनलाइन देखने पर इसके रेट का पता चला. जैसे लालपुर जैसे जगह में दो कट्ठे के जमीन का लगान 7.35 रुपये सालाना तय हुआ है. इसमें तीन रुपये लगान, 75 पैसा रोड सेस, 1.50 शिक्षा सेस, 1.50 स्वास्थ्य सेस व 60 पैसा कृषि सेस है. इसी तरह कोनका मौजा में 1 कट्ठा चार छटाक जमीन का वार्षिक लगान मात्र 12.25 रुपये निर्धारित है. कोकर मौजा में लगान 12.25 रुपये प्रति कट्ठा निर्धारित है. वहीं बजरा-बरियातू मौजा में करीब 10 रुपये प्रति डिसमिल लगान तय किया गया है.
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