राज्य के सिर्फ छह निजी अस्पतालों को मिली है रैपिड एंटीजन टेस्ट की अनुमति
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की अनुमति के बिना ही कई निजी अस्पताल रैपिड एंटीजन किट से कोरोना की जांच कर रहे थे. प्रभात खबर में इससे संबंधित खबर प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार को रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए सख्त आदेश जारी किया.
रांची : इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) की अनुमति के बिना ही कई निजी अस्पताल रैपिड एंटीजन किट से कोरोना की जांच कर रहे थे. प्रभात खबर में इससे संबंधित खबर प्रकाशित होने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने शनिवार को रैपिड एंटीजन टेस्ट के लिए सख्त आदेश जारी किया. आदेश में कहा गया है कि कई निजी अस्पतालों द्वारा बिना अनुमति के रैपिड एंटीजन टेस्ट की सूचना मिल रही है.
यह आइसीएमआर की गाइडलाइन का उल्लंघन है. राज्य में रैपिड एंटीजन टेस्ट एनएबीएल लैब व एनएबीएच अस्पतालों को ही करना है. राज्य में सिर्फ छह निजी अस्पतालों को ही इसकी अनुमति है. अन्य निजी अस्पताल व निजी जांच लैब रैपिड एंटीजन से जांच करते हैं, तो इसे नियम विरुद्ध माना जायेगा. उन पर कार्रवाई की जायेगी.
गाइडलाइन का पालन करें: स्वास्थ्य विभाग ने स्पष्ट किया है कि जिन छह अस्पतालों को रैपिड एंटीजन टेस्ट की अनुमति दी गयी है, उन्हें आइसीएमआर की गाइडलाइन का अक्षरश: पालन करना होगा. इसके अनुसार, आरटीपीसीआर ऐप से सैंपल कलेक्शन करना, सभी प्रकार के रिजल्ट को आइसीएमआर के सीवी पोर्टल पर अपलोड करना, रिजल्ट का आइसीएमआर कोड जेनरेट करना व सभी जांच की सूचना संबंधित जिला के सिविल सर्जन व स्टेट आइडीएसपी को मेल के माध्यम से देना है.
प्रभात खबर में खबर छपने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया आदेश
इन अस्पतालों को मिली है रैपिड टेस्ट की अनुमति
मेदांता अस्पताल, रांची
राज अस्पताल, रांची
सेंटेविटा अस्पताल, रांची
टाटा मोटर्स अस्पताल, जमशेदपुर
टाटा मेन हॉस्पिटल, जमशेदपुर
ब्रह्मानंद नारायणा मल्टी स्पेशियालिटी हॉस्पिटल, जमशेदपुर
निजी अस्पतालों की मनमानी को लेकर याचिका दायर
रांची. कोरोना के नाम पर निजी अस्पतालों की मनमानी तथा महंगे इलाज को लेकर हाइकोर्ट में अधिवक्ता राजीव कुमार ने याचिका दायर की गयी है. राज्य सरकार, मुख्य सचिव, स्वास्थ्य सचिव, विभिन्न प्राइवेट हॉस्पिटल आदि को प्रतिवादी बनाया गया है. याचिका में कहा है कि कि निजी हॉस्पिटल कोरोना के नाम पर मरीजों का आर्थिक शोषण कर रहे हैं. इलाज में पारदर्शिता का अभाव है.
डिस्चार्ज होने तक बिल लाखों में चला जाता है. निजी अस्पतालों पर अंकुश लगाना आवश्यक है. श्री कुमार ने याचिका में लिखा है कि रिम्स की व्यवस्था को मजबूत बनाया जाना चाहिए. रिम्स के पास जमीन की कमी नहीं है. अधिक से अधिक पेइंग वार्ड बहुमंजिला बना कर मरीजों का बेहतर इलाज किया जा सकता है. प्रार्थी ने कोर्ट से स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार को उचित आदेश देने का आग्रह किया है.
Post by : Prirtish Sahay