झारखंड : अफीम, ब्राउन शुगर के 40 फीसदी मरीज रोज पहुंच रहे हैं CIP और रिनपास, युवाओं में बढ़ रहे इसके लत

केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआइपी) में वर्ष 2022 में पांच हजार मरीज नशा मुक्ति केंद्र में इलाज के लिए आये थे. वर्ष 2023 में इनकी संख्या बढ़ कर सात हजार से अधिक हो गयी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 28, 2024 9:52 AM

रांची : राजधानी रांची के मनोचिकित्सा संस्थानों के नशा मुक्ति केंद्र में इलाज कराने वाले 40 फीसदी मरीज सूखा नशा (अफीम, ब्राउन शुगर, गांजा आदि) वाले होते हैं. दो साल पहले एक-दो मरीज ही आते थे. इनकी संख्या तेजी से बढ़ी है. नशा मुक्ति केंद्र हमेशा मरीजों से भरा रहता है. लगभग हर दिन मनोचिकित्सा संस्थानों मे मरीज पहुंच रहे हैं.

केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआइपी) में वर्ष 2022 में पांच हजार मरीज नशा मुक्ति केंद्र में इलाज के लिए आये थे. वर्ष 2023 में इनकी संख्या बढ़ कर सात हजार से अधिक हो गयी. वहीं, इस साल अब तक करीब 1200 मरीजों का इलाज इस केंद्र में किया गया है. वर्ष 2022 में करीब 700 मरीजों को इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. जबकि, वर्ष 2023 में करीब एक हजार मरीजों को भर्ती किया गया था.

Also Read: रांची : सभागार की बुकिंग के विवाद में अंजुमन इस्लामिया के अध्यक्ष व सचिव में विवाद, हुई मारपीट

यही स्थिति झारखंड सरकार के मनोचिकित्सा संस्थान रिनपास की है. यहां बीते तीन माह में करीब 230 मरीज ड्रग संबंधित मामलों में इलाज लिए आये थे. सीआइपी में सात हजार से अधिक मरीजों में से करीब 40 फीसदी (2500 से 3000) मरीज सूखे नशे की लत वाले होते हैं. इसको लेकर संस्थान के चिकित्सक भी चिंतित हैं.

सीआइपी के नशा मुक्ति केंद्र के इंचार्ज डॉ एसके मुंडा कहते हैं कि स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. युवाओं में इसकी लत बढ़ रही है. आम तौर पर देखा जाता है कि पुलिस जब दबाव बनाती है, तो मरीजों की संख्या बढ़ जाती है. जैसे ही नशे की लत वाले मरीजों की सप्लाई चेन टूटती है, तो वे मनोविकार के शिकार हो जाते हैं. बिना नशे के वह नहीं रहने लगते हैं. उनके व्यवहार में बदलाव होता है. वैसे में कुछ खुद तो कुछ परिवार के साथ इलाज के लिए आते हैं. कई बार तो पूरा ग्रुप इलाज के लिए आता है.

हारना नहीं, हराना है 

रिनपास के मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा ने कहा कि संस्थान में हर दिन सूखे नशे के मरीज इलाज के लिए आते हैं. इसमें ज्यादातर युवा होते हैं. युवाओं को नशा करने के लिए पैसे की कमी हो जाती है, तो वह परेशान हो जाते हैं. ऐसे में परिवार से सहयोग की उम्मीद करते हैं. परिजनों को भी समझना चाहिए कि वह आपके घर के सदस्य हैं. विकट परिस्थिति में हारना नहीं है, उसे हराना है. नशे की लत वाले मरीजों के जो लक्षण हैं, उसको पहचाने की जरूरत है.

केस -01

नशे के लत में कई बार युवाओं की जान पर बन आयी है. वहीं कइयों ने जान गंवानी पड़ी है. ऐसा ही मामला अपर बाजार के एक युवक का है. ब्राउन शुगर के ओवर डोज के कारण उसकी जान चली गयी. युवक का अपर बाजार में तीन मंजिला मकान था. उसमें कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान है़ंं उसके किराये से घर चलता था. युवक के बारे में बताया जाता है कि पहले टेबलेट से नशे की शुरुआत की. फिर कफ सिरप, इंजेक्शन और अंतत: वह ब्राउन शुगर का आदि हो गया. तीन माह पहले ब्राउन शुगर के ओवरडोज के कारण उसकी जान चली गयी.

रिनपास और सीआइपी में होता है इलाज

रिनपास और सीआइपी में नशे के मरीजों का इलाज होता है. सीआइपी में बुधवार और शनिवार को नशा की लत वाले का विशेष क्लिनिक होता है. वैसे किसी भी दिन आने वाले का इलाज होता है. यहां मरीजों को भर्ती करने की भी सुविधा है.

केस -02

इसी प्रकार कचहरी चौक (रेडियम रोड) के एक युवक ने गांजा से शुरूआत की. लंबे समय तक गांजा का नशा करता रहा. कुछ दिन तक उसे जो भी नशा मिलता, उसे कर लेता था. वह महावीर चौक के पास हमेशा आया-जाया करता था. यहीं से उसे ब्राउन शुगर की लत लग गयी. कुछ दिन पहले ब्राउन शुगर का ओवर डोज ले लिया. इसके बाद सोया, तो सोया ही रह गया.

नशा करने वालों के लक्षण

  • स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है
  • आंखें भी अलग तरह की दिखने लगती हैं
  • अकेला रहना पसंद करते हैं
  • पैसे की मांग घर में ज्यादा करने लगते है
  • घर के जेवरात भी चुराने लगते हैं
  • अपने दोस्तों के बारे में बात करने से भागते हैं

Next Article

Exit mobile version