कैदियों को पेरोल पर रिहा करने का मामला उलझा
रांची : करीब 1000 से ज्यादा सजायाफ्ता कैदियों ने पेरोल के लिए जेल अधिकारियों को आवेदन दिया है. इन कैदियों को पेरोल पर रिहा करने से पहले आवश्यक जांच का प्रावधान है. लॉकडाउन के दौरान जांच में आनेवाली परेशानियों के मद्देनजर प्रोबेशन संघ ने सरकार से जांच के सिलसिले में आवश्यक दिशा निर्देश की मांग […]
रांची : करीब 1000 से ज्यादा सजायाफ्ता कैदियों ने पेरोल के लिए जेल अधिकारियों को आवेदन दिया है. इन कैदियों को पेरोल पर रिहा करने से पहले आवश्यक जांच का प्रावधान है. लॉकडाउन के दौरान जांच में आनेवाली परेशानियों के मद्देनजर प्रोबेशन संघ ने सरकार से जांच के सिलसिले में आवश्यक दिशा निर्देश की मांग की है. सरकार से अब तक दिशा निर्देश नहीं मिलने की वजह से सजायाफ्ता कैदियों को पेरौल पर रिहा करने के मुद्दे पर अंतिम रूप से फैसला नहीं हो सका है.क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट नेसुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस से बचाव के उद्देश्य से जेलों में कैदियों की संख्या कम करने का आदेश दिया था. हालांकि, कोर्ट के इस आदेश का लाभ पोक्सो एक्ट, एनआइए और सीबीआइ से संबंधित मामलों में सजायाफ्ता कैदियों नहीं मिलना है.
राज्य में लागू पेरोल रूल 2012 में सजायाफ्ता कैदियों को अधिकतम 30 दिनों तक पेरोल पर रिहा करने का प्रावधान है. लेकिन, सजायाफ्ता के साथ-साथ विचाराधीन होने पर विशेष परिस्थिति में सिर्फ पांच दिनों का पेरोल देने का प्रावधाव है. इस आदेश के आलोक में विचाराधीन और सजायाफ्ता कैदियों को पेरोल पर रिहा किया जाना है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अमलीजामा पहनाने के लिए उच्चस्तरीय कमेटी की बैठक सात अप्रैल को हुई. बैठक मेें नियमों का पालन करते हुए कैदियों को पेरोल पर रिहा करने का निर्देश जारी किया गया. इस आदेश के आलोक में रांची जेल से करीब 100,चतरा से 37, पाकुड़ से 46, गिरिडीह से 173, गोड्डा से 43, दुमका से 70 और देवघर से 36 के अलावा दूसरे जेलों में बंद सजायाफ्ता कैदियों ने आवेदन दिया. इनमें से 400 से अधिक आवेदनों को जांच के लिए भेज दिया गया है.
तीन स्तर पर होती है आवदेनों की जांचनियमानुसार इन आवेदनों की जांच तीन स्तर पर होती है. प्रोबेशन अधिकारी, पुलिस और उपायुक्त के स्तर से स्वतंत्र रूप से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद जेल अधीक्षक इसे अपने मंतव्य के साथ कारा महानिरीक्षक को भेजते हैं. कारा महानिरीक्षक सजायाफ्ता कैदियों को पेरोल पर रिहा करने के सिलसिले में अंतिम रूप से फैसला लेंगे. सजायाफ्ता कैदियों की जांच के दौरान प्रोबेशन अधिकारियों को पांच बिंदुओं पर अपनी रिपोर्ट सौंपनी होती है. कुछ बिंदुओं की जांच के लिए प्रोबेशन अधिकारियों को कैदी के पते पर जाकर जांच करना पड़ता है. लेकिन लॉकडाउन के दौरान कैदियों के घर और मुहल्ले में जाकर जांच करने में परेशानी पैदा हो रही है.
मंडलकारा से 38 बंदियों को पेरोल पर छोड़ा गया
चतरा : कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर मंडलकारा से 38 बंदियों को गुरुवार को पेरोल पर छोड़ा गया. उच्च न्यायालय के आदेश पर व्यवहार न्यायालय के अलग-अलग न्यायालय में सात साल से कम सजा वाले बंदियों को छोड़ा गया है. पुलिस को बंदियों के घर तक पहुंचाने को कहा गया.