रांची : कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग ने चालू खरीफ के मौसम में पूरे राज्य में 18 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा था. इसकी तुलना में 14.57 लाख हेक्टेयर में धान लग गया है, जो कुल तय लक्ष्य का करीब 82 फीसदी है. ऐसे में राज्य सरकार इस बार केंद्र सरकार के समक्ष रोपा के आधार पर पूरे राज्य के लिए सूखे का दावा नहीं कर सकेगी. बता दें कि ‘सूखा’ के लिए भारत सरकार द्वारा तय मैनुअल (ड्राउट मैनुअल) में खरीफ (अगस्त तक) में 75 फीसदी से अधिक खेतों में धान लग जाने पर सूखे का दावा नहीं किया जा सकता है. रबी के लिए यही लक्ष्य 80 फीसदी का रखा गया है.
14 जिलों में कितना हुआ धान रोपाई का काम
जिलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक झारखंड के 14 जिलों में धान रोपा लक्ष्य का 75 फीसदी या इससे अधिक हो गया है. वहीं, 10 जिलों में अब भी धान का रोपा तय लक्ष्य से 75 फीसदी से कम हुआ है. सरकार इन जिलों की स्थिति पर नजर रखे हुए है. अगस्त तक रोपा की स्थिति देखने के बाद राज्य सरकार इस पर निर्णय लेगी. विभाग का मानना है कि इसमें एक-दो जिलों की स्थिति सुधर सकती है. वहीं, कुछ जिलों में सूखे की स्थिति बनी रह सकती है. गौरतलब है कि बीते दो साल से झारखंड सूखे का दंश झेल रहा था, जबकि इस वर्ष राज्य में जुलाई और अगस्त में अच्छी बारिश दर्ज की गयी है.
साल 2022 और 2023 में कितना लक्ष्य रखा था सरकार ने
खरीफ 2022 में भी राज्य सरकार ने 18 लाख हेक्टेयर में धान लगाने का लक्ष्य रखा था. इसकी तुलना में 15 अगस्त तक मात्र छह लाख हेक्टेयर में ही धान लग पाया था. इसी तरह बीते साल भी राज्य सरकार ने 18 लाख हेक्टेयर ही लक्ष्य रखा था. इसमें करीब 8.55 लाख हेक्टेयर में धान लग पाया था. बीते साल राज्य सरकार ने सूखा राहत के लिए भारत सरकार के पास दावा ही नहीं किया था. वहीं, 2022 में राज्य सरकार के सूखा राहत के दावे के बाद भारत सरकार की एक टीम भी आयी थी. राज्य आपदा फंड में रखी राशि को खर्च करने की अनुमति दी थी.
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