Palm Sunday 2024: यरूशलेम में प्रवेश यीशु की यात्रा का अंतिम पड़ाव नहीं, रांची में बोले आर्चबिशप विसेंट आईंद

Palm Sunday 2024: राजधानी रांची में मसीही विश्वासी पाम संडे (खजूर रविवार) की आराधना में शामिल हुए. आर्चबिशप विसेंट आईंद ने कहा कि यरूशलेम में प्रवेश यीशु की यात्रा का अंतिम पड़ाव नहीं था.

By Guru Swarup Mishra | March 24, 2024 10:09 PM

Palm Sunday 2024: रांची: यीशु मसीह के यरूशलेम में प्रवेश की स्मृति में मसीही विश्वासी आज पाम संडे (खजूर रविवार) की आराधना में शामिल हुए. आराधना में शामिल लोग खजूर की डालियों के साथ शामिल हुए और यीशु मसीह की जयघोष के साथ उनका स्वागत किया. इस अवसर पर रांची के लोयला मैदान में खजूर की डालियों की आशीष की गयी और फिर संत मरिया महागिरजाघर तक शोभायात्रा निकाली गयी. महागिरजाघर के प्रांगण में आर्चबिशप विसेंट आईंद ने विश्वासियों को खजूर रविवार के महत्व पर प्रकाश डाला.

यरूशलेम में प्रवेश यीशु की यात्रा का अंतिम पड़ाव नहीं
आर्चबिशप विसेंट आईंद ने कहा कि यरूशलेम में प्रवेश यीशु की यात्रा का अंतिम पड़ाव नहीं था. आज के चारों पाठ से यीशु की तीन यात्राओं का पता लगता है. पहली यात्रा यरूशलेम की ओर था जिसका प्रबंध उन्होंने खुद किया था. यीशु की दूसरी यात्रा कलवरी या गोलगाथा की है. इस दौरान यीशु गेतसमानी की बारी जाते हैं, फिर वे महासभा में उपस्थित होते हैं और उसके बाद उन्हें पिलातुस के दरबार में हाजिर होना पड़ता है. इस यात्रा के दौरान यीशु को दुख, निराशा, धोखा, और छल कपट से गुजरना पड़ता है. उन्हें क्रूस मृत्यु मिलती है. तीसरी यात्रा स्वर्गारोहण से जुड़ी है. संत पौलुस बताते हैं कि यीशु ने खुद को दीन बनाकर पेश किया. इसका फल था कि ईश्वर ने उन्हें महान बनाया और उसे अपनी दाहिनी ओर विराजमान किया. आर्चबिशप ने कहा कि इन पाठों से गुजरते हुए हम अपने विश्वास के केंद्रबिंदु में प्रवेश करते हैं. इस पुण्यसप्ताह में जरूरी है कि हम अपने विश्वास को टटोलें. इस आराधना के दौरान पल्ली पुरोहित फादर आनंद डेविड और अन्य पुरोहितों ने आर्चबिशप का साथ दिया.

संत पॉल्स कैथेड्रल बहूबाजार
हम यीशु की ओर खड़े हैं या उन्हें क्रूस पर चढ़ानेवाली भीड की ओर : बिशप बीबी बास्के
संत पॉल्स कैथेड्रल बहूबाजार में विश्वासी खजूर की डालियों के साथ पाम संडे की आराधना में शामिल हुए. इस अवसर पर उपदेश बीबी बास्के ने दिया. उन्होंनें कहा कि यीशु की अंतिम यात्रा के दौरान पहले भीड़ ने उनका राजा की तरह स्वागत किया था. बाद में वहीं लोग उन्हे क्रूस पर चढ़ाने की मांग कर रहे थें. आज के संदर्भ में हमें यह देखने की जरूरत है कि हम किसकी ओर खड़े हैं. हम यीशु की ओर खड़े हैं या फिर उन्हें क्रूस पर चढ़ाने की मांग करने वाली भीड़ की ओर? एक विश्वासी के तौर पर यीशु की तरफ हमारा व्यवहार और प्रतिक्रिया क्या है? यहूदी सोचते थे कि यीशु उन्हें रोमी शासन से मुक्ति दिलायेंगे और उनपर शासन करेंगे. पर वे गलत थे . यीशु कहते हैं कि मेरा शासन इस संसार का नहीं है. आज हम पुण्य सप्ताह में प्रवेश करते हैं. और हमें यीशु के प्रति अपने विश्वास को फिर से दृढ़ करने की जरूरत है. इस अवसर पर पेरिश प्रिस्ट एस डेविड, रेव्ह अनिल कुमार डाहंगा, रेव्ह निर्मल समद, रेव्ह विकास कुजूर सहित अन्य पुरोहितों ने उन्हें सहयोग किया.

जीइएल चर्च
खजूर की डालियों के साथ किया यीशु का स्वागत : बिशप सीमांत तिर्की
मेन रोड स्थित जीइएल चर्च में दिन के 10:30 बजे की आराधना का संचालन रेव्ह बी तोपनो ने किया. इस अवसर पर उपदेशक बिशप सीमांत तिर्की ने कहा कि यरूशलेम के निवासियों से यीशु का स्वागत खजूर की डालियां बिछाकर किया. यीशु के प्रवेश पर उन्होंने होशन्ना का नारा दिया. इस नारे का मतलब था हमें बचा. वहीं कुछ लोगों ने उनको लेकर सवाल भी पूछे कि यह कौन है? उन्हे बताया गया कि यह नासरत का भविष्यवक्ता यीशु है. उसकी प्रभुता सर्वदा बढ़ती रहेगी और उसकी शक्ति का कभी अंत नहीं होगा. बिशप सीमांत ने कहा कि यीशु ने सभी जातियों से शांति की बात कही. उन्होंने कहा कि इस दिन की घटनाओं का निष्कर्ष यह है कि वह हमें पाप, मृत्यु और शैतान से हमें बचाने तथा छुड़ाने आया है. न सिर्फ यहूदियों को बल्कि जगत के सभी लोगों को. इसलिए हम अपने मन का राजा न बने बल्कि यीशु को राजा के रूप में स्वीकार करें.

Next Article

Exit mobile version